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BJP के OBC कार्ड की काट खोजने में जुटा विपक्ष, पवार ने विधेयक पर सरकार को घेरा

Politics: उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ओबीसी को लेकर बड़ा सियासी दांव खेलने की कोशिश में जुटी हुई है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Divyanshu Rao
Published on: 17 Aug 2021 2:23 PM IST
Sharad Pawar
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एनसीपी प्रमुख शरद पवार और पीएम नरेंद्र मोदी (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Politics: उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ओबीसी को लेकर बड़ा सियासी दांव खेलने की कोशिश में जुटी हुई है। संसद के दोनों सदनों में हाल में पारित ओबीसी विधेयक को इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले से दिए गए अपने संबोधन के दौरान दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग से जुड़े लोगों को आरक्षण का लाभ देने का संकल्प एक बार फिर दोहराया है।

विपक्ष नीट में ओबीसी वर्ग से जुड़े अभ्यर्थियों को आरक्षण और ओबीसी विधेयक से भाजपा को मिली बढ़त की धार कुंद करने में जुट गया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में विपक्ष की ओर से जातीय जनगणना की मांग को तेज करके मोदी सरकार को घेरा जाएगा।

एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने ओबीसी आरक्षण पर मोदी सरकार को घेरा

दूसरी ओर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि संसद में विधेयक पारित कराकर राज्यों को ओबीसी सूची में संशोधन का अधिकार दे दिया गया है मगर सच्चाई यह है कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार हर किसी को गुमराह करने की कोशिश में जुटी हुई है।

एनसीपी प्रमुख शदर पवार की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

जातीय जनगणना के मुद्दे पर सरकार की चुप्पी

विपक्ष के एक नेता का कहना है कि भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है। इस चुनाव में ओबीसी वर्ग से जुड़े मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए भाजपा की ओर से ओबीसी विधेयक की चाल चली गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ओबीसी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश तो की जा रही हैं। मगर सरकार ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। एनडीए में शामिल दलों की ओर से भी जातीय जनगणना की मांग की जा रही है। मगर इस मुद्दे पर सरकार की ओर से पत्ते नहीं खोले जा रहे हैं।

बिहार के सीएम नीतिश कुमार ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मिलने का मांगा था समय

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर पिछले दिनों प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। उन्होंने बिहार के सभी दलों की ओर से प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर मिलने का समय मांगा है मगर पीएमओ की ओर से अभी तक नीतीश के पत्र का जवाब नहीं दिया गया है। इसे लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश और एनडीए पर तंज भी कसा है। सियासी जानकारों का मानना है कि जातीय जनगणना का मुद्दा भाजपा के लिए नुकसान देह साबित हो सकता है। यही कारण है कि भाजपा ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। दूसरी ओर विपक्ष भाजपा के ओबीसी कार्ड का जवाब जातीय जनगणना की मांग से देने में जुटा हुआ है।

ओबीसी विधेयक का मुद्दा काफी संवेदनशील है

ओबीसी से जुड़ा यह मुद्दा काफी संवेदनशील है। और यही कारण है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी कांड को लेकर हमलावर रुख अपनाने वाले विपक्ष ने भी लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में इस विधेयक को पारित कराने में सरकार की मदद की थी। दरअसल विपक्ष अपने दामन पर यह दाग नहीं लगने देना चाहता था। कि उसकी वजह से ओबीसी विधेयक लटक गया। क्योंकि इसे लेकर भाजपा की ओर से बाद में सियासी फायदा उठाया जा सकता था। इसी कारण विपक्षी दल भी इस विधेयक का समर्थन करने को मजबूर हो गए।

पवार ने सरकार पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया

दूसरी और एनसीपी के मुखिया शरद पवार का कहना है कि सरकार ओबीसी विधेयक के मुद्दे पर हर किसी को गुमराह करने की कोशिश में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही यह फैसला दिया जा सकता है कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती।

उन्होंने आगे कहा कि अब केंद्र सरकार की ओर से दलील दी जा रही है कि राज्य सरकार अपने हिसाब से ओबीसी की सूची में संशोधन कर सकती है। केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही इस दलील में तनिक भी दम नहीं है। क्योंकि अधिकांश राज्यों में 50 फ़ीसदी आरक्षण की सीमा पार की जा चुकी है। ऐसे में लोगों को इस विधेयक का कोई फायदा नहीं मिलने वाला मगर इस मामले में इस सच्चाई को सबके सामने लाना होगा।

शरद पवार की तस्वीर (फाइल फोटो:सोशल मीडिया)

शरद पवार ने राज्यसभा की घटना पर नाराजगी जताई

पवार ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि पिछले सप्ताह राज्यसभा की कार्यवाही दौरान मार्शलों को बुलाया जाना सांसदों पर हमले के सिवा कुछ नहीं था। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद केंद्र सरकार के कई मंत्रियों की ओर से सफाई पेश की गई जिससे साफ है कि इस मामले में सरकार का पक्ष काफी कमजोर था।

पवार ने कहा कि उनका 54 साल का संसदीय जीवन रहा है और इस दौरान उन्होंने कभी भी ऐसा नजारा नहीं देखा कि विपक्षी सांसदों के खिलाफ सदन में 40 मार्शलों को बुलाया गया हो।

उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जानी चाहिए कि बाहरी लोगों को सदन में क्यों बुलाया गया और उन्होंने विपक्षी सांसदों के साथ बुरा सलूक क्यों किया। उन्होंने देश की विदेश नीति और पड़ोसी देशों पर पड़ने वाले उसके असर की समीक्षा करने की भी मांग की।



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Divyanshu Rao

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