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OBC आरक्षण बिल: PM मोदी का मास्टर स्ट्रोक, बड़े सियासी दांव से विपक्ष को किया चित

OBC Reservation Bill: लोकसभा में 127वां संविधान संशोधन बिल पेश किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने इसका समर्थन करने का एलान किया।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 10 Aug 2021 9:30 AM IST
ओबीसी आरक्षण बिल: PM मोदी का मास्टर स्ट्रोक, बड़े सियासी दांव से विपक्ष को किया चित
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

OBC Reservation Bill: संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के साथ ही पेगासस मुद्दे (Pegasus Case) पर लामबंद हुए विपक्ष को मोदी सरकार (Modi Government) ने ओबीसी बिल (OBC Bill) का एक बड़ा सियासी दांव चलते हुए समर्थन करने के लिए मजबूर कर दिया। सरकार ने मानसून सत्र (Monsoon Session) के आखिर में इस बिल को पेश करके विपक्ष को सरकार के साथ खड़े होने के लिए विवश कर दिया।

लोकसभा में 127वां संविधान संशोधन बिल पेश किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने इसका समर्थन करने का एलान किया। दरअसल इस बिल के जरिए राज्यों को अपने हिसाब से ओबीसी लिस्ट (OBC List) तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट की हाल में हुई बैठक में इस बिल को मंजूरी दी गई थी।

इस बिल को मोदी सरकार का बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। संसद के मानसून सत्र के दौरान अधिकांश दिन पेगासस और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही बाधित रही मगर इस बिल का समर्थन करने के लिए विपक्ष को भी सरकार के साथ आना पड़ा। एनडीए (NDA) के गठबंधन के नेताओं की ओर से भी इस बिल को पेश किए जाने की मांग की जा रही थी। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का मास्टर स्ट्रोक (Master Stroke) माना जा रहा है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधने में कामयाबी हासिल की है।

सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मांग हुई तेज

इस बिल को लेकर उस समय से मांग ज्यादा तेज हो गई थी जब सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर फैसला सुनाया था कि राज्यों को शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को परिभाषित करने का कोई अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि यह अधिकार केंद्र सरकार के पास ही सुरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया था।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) ने अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और इस फैसले का काट निकालने की अपील भी की थी। अब यह नया बिल पास होने पर राज्यों को यह अधिकार मिल जाएगा कि वे अपने यहां पिछड़े वर्ग को चिन्हित कर सकें।

मल्लिकार्जुन खड़गे (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

विपक्ष इसलिए समर्थन को हुआ मजबूर

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से बुलाई गई विपक्ष के नेताओं की बैठक में इस बिल का समर्थन करने का फैसला किया गया। बैठक के बाद खड़गे ने कहा कि देश में आधी से अधिक आबादी पिछड़े समुदाय की है और इस बिल के जरिए राज्यों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की पहचान का बड़ा अधिकार दिया जा रहा है। यही कारण है कि विपक्ष ने इस बिल का समर्थन करने का फैसला किया है।

हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि हम अन्य मुद्दों पर भी सरकार का समर्थन करेंगे। सियासी जानकारों का मानना है कि ओबीसी वर्ग से जुड़ा हुआ बिल होने के कारण विपक्ष से इस बिल का समर्थन करने के लिए मजबूर हो गया क्योंकि इस बिल के पास होने में बाधक होने पर बड़ा सियासी नुकसान होने की आशंका थी।

इन समुदायों को मिलेगा बड़ा फायदा

लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। इस कानून से महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का रास्ता साफ होने के साथ ही कर्नाटक में लिंगायत, हरियाणा में जाट और गुजरात में पटेल समुदाय को भी फायदा होगा। इन समुदायों की ओर से काफी दिनों से ओबीसी वर्ग में शामिल किए जाने की मांग की जा रही है।

राज्यों को यह अधिकार न होने के कारण अभी तक यह मांग पूरी नहीं हो सकी थी मगर इस बिल के पास होते ही इन समुदायों की ओर से लंबे समय से की जा रही मांग भी पूरी हो जाएगी। इन समुदायों के ओबीसी वर्ग में शामिल होते ही इन्हें भी अन्य पिछड़ी जातियों की तरह ही आरक्षण की सुविधा का लाभ मिलने लगेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

एनडीए में भी उठ रही थी मांग

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मेडिकल परीक्षाओं में ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का एलान किया गया था। अब मोदी सरकार की ओर से लाए गए इस बिल को मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है क्योंकि इसके जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है।

पिछले दिनों में एनडीए के भीतर भी इसे लेकर आवाज उठी थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हम के मुखिया जीतन राम मांझी की ओर से इस तरह की मांग उठाई गई थी। मोदी सरकार की ओर से लाए गए इस बिल के बाद सरकार एनडीए में शामिल घटक दलों की इस मांग को भी पूरा करने में कामयाब हुई है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भाजपा को मिलेगा बड़ा सियासी फायदा

भारतीय जनता पार्टी को अगले साल उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में बड़ी सियासी जंग लड़नी है। इन चुनावों के दौरान ओबीसी वर्ग की भूमिका निर्णायक होगी। खासतौर पर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा नेतृत्व अभी से ही पूरी ताकत लगाए हुए हैं। माना जा रहा है कि इस बिल के पास होने के बाद भाजपा 2022 के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव में इसके जरिए बड़ा सियासी लाभ पाने की कोशिश करेगी।

हाल के चुनावों में भाजपा को ओबीसी वर्ग का जमकर समर्थन मिलता रहा है और भाजपा नेतृत्व इस तथ्य से वाकिफ है कि अगर ओबीसी समुदाय का समर्थन इसी तरह आगे भी जारी रहा तो सियासी रूप से पार्टी काफी मजबूत हो जाएगी। इस बिल के जरिए मोदी सरकार ने जातीय आधार पर जनगणना की मांग को कुंद करने का भी प्रयास किया है और आने वाले दिनों में निश्चित रूप से इसका असर दिखेगा।

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