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Old Age Citizens in India: बस किसी तरह जी रहे बुजुर्ग, पेंशन तक नसीब नहीं, करोड़ों को गंभीर बीमारी

Old Age Citizens in India: 60 साल की उम्र से ज्यादा के करीब साढ़े सात करोड़ बुजुर्ग किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Monika
Published on: 3 Dec 2021 7:14 AM GMT
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बुजुर्गो को पेंशन तक नसीब नहीं (फोटो : सोशल मीडिया )

Old Age Citizens in India: भारत में बुजुर्गों की हालत बहुत अच्छी नहीं है। शारीरिक (sharirik bimari) और मानसिक बीमारी (mansik bimari) इन पर हावी है और अधिकांश बुजुर्ग बगैर पेंशन (pension ) किसी तरह बस जी रहे हैं। देश में लगातार बढ़ती बुजुर्ग आबादी को देखते हुए ये एक गंभीर स्थिति है।

एक सर्वे के मुताबिक भारत में 60 साल की उम्र से ज्यादा के करीब साढ़े सात करोड़ बुजुर्ग किसी न किसी गंभीर बीमारी (gambhir bimari) से ग्रस्त हैं। 40 प्रतिशत बुजुर्गों को कोई न कोई दिव्यांगता है और 20 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी से ग्रसित हैं। एक और तथ्य यह है कि 60 साल या उससे अधिक वर्ष के 78 प्रतिशत लोगों को पेंशन नहीं मिलती है। सर्वे के मुताबिक देश के 60 साल या इससे अधिक उम्र के 43.5 प्रतिशत लोग पढ़े लिखे हैं। कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों का प्रतिशत 64.8 है।

2011 की जनगणना के अनुसार, 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या भारत की कुल आबादी की 8.6 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि भारत में बुजुर्गों की तादाद 10.3 करोड़ थी (elderly people no.103 million in 2011 )। बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है और बीते दस साल में स्थिति कितनी बदली है ये अगली गिनती में ही पता चलेगा। लेकिन फिर भी, ताजा सर्वे के अनुसार अनुमानित तीन प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर से वर्ष 2050 में बुजुर्गों की आबादी बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी। ये एक बड़ी संख्या है जिस पर विशेष फोकस की जरूरत है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की लौंगिट्यूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (एलएएसआई) रिपोर्ट के अनुसार भारत में पहली बार और विश्व में इस तरह का ये सबसे बड़ा सर्वे है। एलएएसआई देश में उम्रदराज हो रही आबादी के स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक निर्धारकों और परिणामों की वैज्ञानिक जांच का व्यापक राष्ट्रीय सर्वे है।

सबसे ज्यादा हृदय रोग

राष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक 60 साल या इससे अधिक उम्र के 34.6 फीसदी लोग दिल की बीमारियों (dil ki bimari ) के शिकार हैं। शहरी इलाकों में दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या 37.5 फीसदी है जबकि ग्रामीण इलाकों में ये 23.2 फीसदी है। इसके अलावा बुजुर्ग लोग मानसिक बीमारी के साथ अकेलेपन से भी पीड़ित हैं।

सर्वे के मुताबिक हाई ब्ल्ड प्रेशर (high blood pressure) की बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या भी काफी है। सर्वे के अनुसार शहरी इलाकों में 35.6 प्रतिशत बुजुर्ग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 21.1 फीसदी बुजुर्ग इसके मरीज हैं।

इस सर्वे का मकसद देश के बुजुर्गों की स्थिति का आकलन कर उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के लिए नीतियां बनाना है। 2011 की जनगणना में 60 साल या उससे अधिक आबादी भारत की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत थी यानी 10.3 करोड़ लोग बुजुर्ग थे जो संख्या 2050 में 31.9 करोड़ हो जाएगी।

इस सर्वे में 45 वर्ष और उसके ऊपर के 72,250 व्यक्तियों और उनके जीवनसाथी का बेसलाइन सैंपल कवर किया गया। ये सैंपल सिक्किम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए।

तेज वृद्धि

नेशनल सैंपल सर्वे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-21 के बीच सामान्य आबादी की बढ़ोतरी की रफ्तार 12.4 फीसदी रही है, जबकि इस अवधि में 60 पार जनसंख्या 36 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच बुजुर्गों की आबादी में 2.7 करोड़ की वृद्धि हुई। 2011 से 21 के बीच यह वृद्धि 3.4 करोड़ की रही। इसके बाद 2021 से 31 के बीच वृद्धों की आबादी में 5.6 करोड़ का इजाफा होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में देश में बुजुर्गों की आबादी 13.8 करोड़ हो सकती है। 2031 में कुल आबादी का 13.1 फीसदी हिस्सा बुजुर्ग होंगे, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 10.1 प्रतिशत है। 1961 में महज 5.6 फीसदी आबादी बुजुर्गों की थी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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