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covid 19 : 2022 की उम्मीद - होगा महामारी का खात्मा, ओमिक्रॉन से क्या हो रही है कोरोना के अंत की शुरुआत

Covid 19 : ओमीक्रान वेरियंट के बारे में कहा जा रहा है कि यही वेरियंट कोरोना महामारी के खात्मे की शुरुआत है।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Ragini Sinha
Published on: 24 Dec 2021 2:00 PM IST
covid 19 : 2022 की उम्मीद - होगा महामारी का खात्मा, ओमिक्रॉन से क्या हो रही है कोरोना के अंत की शुरुआत
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Covid 19 : दुनिया भर में ओमीक्रान की दहशत के बीच एक अच्छी खबर यह है कि अगले साल यानी 2022 में कोरोना महामारी का अंत हो सकता है। नई वैक्सीन, बूस्टर डोज़, नई दवाओं और ओमीक्रान के बारे में नई रिसर्च के चलते ये उम्मीद काफी बलवती हुई है। ओमीक्रान वेरियंट के बारे में कहा जा रहा है कि यही वेरियंट कोरोना महामारी के खात्मे की शुरुआत है। यहाँ खात्मे से मतलब यह है कि वायरस तो हमारे बीच रहेगा । लेकिन यह सर्दी-जुकाम वाले वायरस जैसा हो जाएगा जो मामूली अवस्था में पड़ा रहेगा।

2022 में इस महामारी का अंत हो जाना चाहिए

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि 2022 में इस महामारी का अंत हो जाना चाहिए। डब्लूएचओ का मानना है कि 2022 में पूरी दुनिया का वैक्सीनेशन हो जाएगा। साल की पहली तिमाही में ज्यादा जोखिम वाली जनसंख्या को बूस्टर डोज़ भी लग जायेगी। इसके अलावा कोरोना की एक विशिष्ट दवा भी बाजार में आ चुकी है। डब्लूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने कहा है कि महामारी आये दो साल हो गए हैं । अब हम वायरस को अच्छी तरह समझ चुके हैं और हमारे पास इससे लड़ने के सभी टूल्स मौजूद हैं। डब्लूएचओ के एलान से पहले कई वैज्ञानिक भी कह चुके हैं कि ओमीक्रान वेरियंट से यह संकेत मिलता है कि अब कोरोना फ्लू जैसी साधारण बीमारी बनने वाला है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओमीक्रान की लहर से ही महामारी का अंत तेजी से आयेगा। अमेरिकी वैज्ञानिक अन्थोनी फौची और अरबपति उद्यमी बिल गेट्स तक का मानना है कि अब कोरोना महामारी एक साधारण बीमारी बनने की तरफ जा रही है। विश्वविख्यात वाइरलोजिस्ट डॉ डेविड हो ने कहा है कि ओमीक्रान वेरियंट ही महामारी को एंडेमिक यानी स्थानिक बीमारी बना देगा ।लेकिन इस क्रम में बहुत से लोगों को बीमारी झेलनी होगी। वैज्ञानिकों की एक थ्योरी यह है कि संक्रमण की दर बहुत ज्यादा होने से लोगों में प्राकृतिक इम्यूनिटी बन जायेगी, जिससे आगे आने वाले वेरियंट्स से सुरक्षा मिलेगी। बहुत से देशों में पहले ही बड़ी जनसँख्या कोरोना संक्रमित हो चुकी है । सो उनमें प्राकृतिक इम्यूनिटी बन गयी है । इसीलिए ओमीक्रान संक्रमण तो फ़ैल रहा है । लेकिन उसकी गंभीरता कम है। डॉ हो का कहना है कि कई बार तेजी से भड़की आग बहुत तेजी से फैलती है । लेकिन जल्द ही अपने आप समाप्त हो जाती है। यही ओमीक्रान के साथ और अंततः कोरोना के साथ होने वाला है।


ओमीक्रान का एक अलग पहलू

ओमीक्रान एक अत्यधिक संक्रामक वेरियंट तो है । लेकिन इसके चलते गंभीर बीमारी या मौतें ज्यादा नहीं हैं। साउथ अफ्रीका में हुई एक नई स्टडी से पता चला है कि डेल्टा के मुकाबले ओमीक्रान से संक्रमित लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम आती है। स्कॉटलैंड में हुई एक अन्य स्टडी में भी यही बात निकल कर आई है। ओमीक्रान सबसे पहले साउथ अफ्रीका में ही पकड़ में आया था। वहां ये वेरियंट जितनी तेजी से फैला है उसकी तुलना में अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बहुत कम है। इंग्लैंड में भी यही ट्रेंड देखा जा रहा है।

तेजी से बढ़ा और तेजी से घटा

ओमीक्रान के बारे में एक हैरानीवाली बात यह सामने आई है कि इसका संक्रमण जितनी तेजी से लोगों के बीच फैला है, उतनी तेजी से नीचे भी आया है। ओमीक्रान का एपिसेंटर साउथ अफ्रीका का गौतेंग शहर माना जा रहा है । वहां और देश के अन्य हिस्सों के बारे में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमीक्रान की लहर पहले की अपेक्षा बहुत जल्दी चरम सीमा यानी पीक पर पहुँच गयी है। वैसे ये ट्रेंड कोरोना के शुरुआती वेरियंट्स में भी देखा गया था।


साउथ अफ्रीका में कोरोना मरीजों की मौतें

एनआईसीडी के डेटा के अनुसार, गौतेंग में मामलों की संख्या चरम स्थिति को पा कर अब ढलान पर है। नवम्बर के मध्य में यहाँ जीरो मामले थे , जो दिसंबर की शुरुआत में 10 हजार प्रतिदिन हो गए । लेकिन अब ये तेजी से घट कर 5 हजार प्रतिदिन हो गए हैं। साउथ अफ्रीका के अस्पतालों में कोरोना मरीजों की मौतें पहले की लहरों की अपेक्षा इस बार काफी कम हैं। जो मरीज भर्ती हुए हैं उनको बहुत कम दिन अस्पताल में रहना पड़ रहा है। डेटा के अनुसार इस बार अस्पतालों में भर्ती लोगों की संख्या 5.7 फीसदी है , जबकि पहले की लहर में ये 13 फीसदी था। इसी तरह अस्पतालों में मौतें पहली, दूसरी और तीसरी लहर के दौरान 19 फीसदी थी । लेकिन अब यह 5.6 फीसदी पाया गया है।

सभी वेरियंट्स से बचायेगी एक वैक्सीन

कोरोना के खात्मे में दिशा में एक नई वैक्सीन बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाली है। अब से कुछ ही हफ़्तों बाद यानी जनवरी 2022 में अमेरिका के वैज्ञानिक एक ऐसी वैक्सीन की घोषणा करने वाले हैं जो न सिर्फ ओमीक्रान बल्कि कोरोना के सभी वेरियंट्स के खिलाफ मजबूत कवच प्रदान करेगी। अमेरिका के वाल्टर रीड आर्मी इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक दो साल से ये वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। सेना की इस प्रयोगशाला को 2020 की शुरुआत में कोरोना वायरस की पहली डीएनए सीक्वेंसिंग हासिल हुई थी। उसके बाद ये काम शुरू किया गया कि एक ऐसी वैक्सीन डेवलप की जाए जो न सिर्फ वर्तमान स्ट्रेन बल्कि आने वाले सभी संभावित वेरियंट्स के खिलाफ प्रभावी हो। अब वाल्टर रीड इंस्टिट्यूट की 'स्पाइक फेरिटिन नैनोपार्टिकल वैक्सीन' या एसपीएफएन तैयार है।इसके ट्रायल पशुओं पर पूरे हो चुके हैं , जिनके रिजल्ट सकारात्मक आये हैं। अब आगे के चरणों के ट्रायल जारी हैं। अभी मौजूद अन्य वैक्सीनों की अपेक्षा वाल्टर रीड की वैक्सीन में गोलाकार प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया है , जिसके 24 मुहाने हैं । जिनमें कोरोना के अलग अलग स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन जोड़े गए हैं। कोरोना के खिलाफ ये वैक्सीन गेमचेंजर साबित होने वाली है।


कोरोना की विशिष्ट दवा

जबसे कोरोना महामारी आई है उसके बाद से पहली बार दो ऐसी दवाओं को मंजूरी मिली है जो कोरोना के गंभीर मर्ज के जोखिम वाले लोगों को दी जा सकती है। ख़ास बात यह है कि ये दवाएं कोरोना वायरस के लिए ही डेवलप की गयी है। फाइजर और मर्क कंपनी की इन एंटीवायरल दवा को अमेरिका के एफडीए ने 12 साल से ज्यादा के सभी लोगों में इस्तेमाल किये जाने की इमरजेंसी मंजूरी दे दी है।

फाइजर की दवा का नाम पैक्स्लोविड है। ये टेबलेट अस्पताल में भर्ती होने की नौबत और मृत्यु के खतरे को 90 फीसदी तक घटा देती है। फाइजर ने कहा है कि उसके रिसर्च डेटा के अनुसार ये दवा ओमीक्रान के खिलाफ भी असरदार है। कंपनी ने 2022 के लिए अपना उत्पादन लक्ष्य 12 करोड़ कोर्स का रखा है और इसकी डिलीवरी अमेरिकी में तत्काल शुरू कर दी गयी है। इस दवा के एक कोर्स की कीमत 350 डालर रखी गयी है। एफडीए ने कहा है कि कोरोना टेस्टिंग का पॉजिटिव रिजल्ट आने के तत्काल बाद या लक्षण आने के 5 दिन के भीतर ट्रीटमेंट शुरू कर देना चाहिए। ये टेबलेट डॉक्टर के पर्चे पर उपलब्ध होगी।

बहुत कुछ आपके अपने हाथ में

एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2022 से जो उम्मीदें बंधी हैं , उनमें लोगों का अपना सबसे बड़ा योगदान होगा। ये योगदान होगा, वैक्सीन लगवाने का, एहतियात बरतने का और टेस्टिंग का। इसलिए जन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है । उनको तत्काल वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए, जो लोग एक डोज़ के बाद वैक्सीन भूल गए हैं , उन्हें दूसरी डोज़ लगवानी चाहिए। इसमें किसी तरह की कोताही खुद को और दूसरों को मुश्किल में डाल सकती है। इसके बाद नंबर आता है एहतियात का। एहतियात वही बरतने हैं जो दो साल से बताये जा रहे हैं – सही क़िस्म का और सही तरीके से मास्क लगाना, भीड़ से दूर रहना, सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना और साफ़ सफाई रखना। एहतियात में ये भी शामिल है कि कोरोना का लक्षण आते ही खुद को आइसोलेट कर लेना। तीसरी बात है टेस्टिंग की। सो यदि आप को कोई संदेह है या कोई लक्षण सामने आया है तो तत्काल टेस्टिंग करा लेनी चाहिए।

चूँकि कोरोना से बचाव में मास्क की बड़ी भूमिका है , सो यह समझना जरूरी है कि किस तरह का मास्क पहनें। यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड की प्रोफ़ेसर त्रिश ग्रीनहल्घ का कहना है कि कपड़े के फैंसी मास्क का इस्तेमाल न ही करें तो बेहतर है। क्योंकि ये कितनी सुरक्षा दे पाएंगे, ये कहा नहीं जा सकता। सब कुछ इन मास्क में इस्तेमाल किये गए फैब्रिक पर निर्भर करता है। दोहरी या तिहरी परत वाले और कई फैब्रिक के मिक्सचर से बने मास्क ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं । लेकिन आमतौर जो मास्क बिकते हैं ।वे साधारण कपड़े के होते हैं। वे बस फैशन तक ही सीमित हैं। इसलिए बेहतर है कि एन95 या केएन95 मास्क का ही उपयोग किया जाए।

यह ध्यान रखने वाली बात है कि ओमीक्रान से संक्रमित मरीज की पहचान थर्मल स्कैन या टेम्परेचर नापने से शायद नहीं हो सकती है। इसकी वजह यह है कि ओमीक्रान संक्रमण में नाक बहना, छींक, गले में खराश, बदन दर्द और थकान लक्षण आते हैं। चूंकि वैज्ञानिकों ने जो लक्षण बताए हैं । उसमें बुखार नहीं है सो किसी थर्मल स्कैन में ओमीक्रान संक्रमण शुरुआती स्टेज में पकड़ में नहीं आने वाला है।

यही हालत रैपिड टेस्ट की है। रैपिड टेस्ट में अगर नतीजा नेगेटिव आये तो कतई निश्चिंत नहीं होना चाहिए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रैपिड टेस्ट तभी भरोसेमंद है जब टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आये। जबकि नेगेटिव रिजल्ट से कई मतलब निकल आते हैं । लेकिन ये गारंटी नहीं मिलेगी की आपको कोरोना नहीं है या आप कोरोना नहीं फैलाएंगे।

वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डॉ एरिक आर्ट्स के अनुसार, रैपिड टेस्ट में पॉजिटिव के मतलब हैं पॉजिटिव, यानी आपको कोरोना संक्रमण है। लेकिन नेगेटिव रिजल्ट कोई निश्चित नतीजा नहीं है। आपको कोरोना संक्रमण होगा, तब भी रैपिड टेस्ट नेगेटिव आ सकता है। यह ध्यान रखें कि रैपिड टेस्ट नेगेटिव आने पर स्वच्छन्द न हो जाएं। अगर भीड़ वाली जगहों पर जाना है तो रैपिड टेस्ट कराएं । लेकिन अगले दिन और फिर उसके अगले दिन भी रैपिड टेस्ट करवाएं। जरा भी तबियत खराब लगे तो तत्काल आरटीपीसीआर टेस्ट कराएं और घर पर आइसोलेट हो जाएं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यदि कोरोना जैसे लक्षण हैं तो अपने को आइसोलेट करें, चाहे टेस्ट रिजल्ट कुछ भी हो।

अब वैक्सीन की चौथी डोज़

कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए वैक्सीन की दो - तीन डोज़ ही काफी नहीं रह गयी है। बल्कि अब चौथी डोज़ की जरूरत समझी जा रही है। इसीलिए इजरायल ने वैक्सीन की चौथी डोज़ लगाने का फैसला किया है, ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। कोरोना महामारी ख़त्म करने में वैक्सीन और उसकी बूस्टर डोज़ का भी महत्त्व समझा जा रहा है । अगले साल ये ट्रेंड और भी बढ़ने की उम्मीद है। कोरोना एके खिलाफ कमर कसे इजरायल ने एक बोल्ड कदम उठाते हए चौथी डोज़ लगाने का फैसला किया है। चौथी डोज़ 60 साल के ऊपर वाले लोगों, जोखिम वाले ग्रुप के लोगों और स्वास्थ्य कर्मियों को लगी जायेगी। इजरायल में हेल्थ एक्सपर्ट्स के एक पैनल ने चौथी डोज़ लगाने की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री नफ्तली बेनेट ने पैनल की सिफारिशों का स्वागत करते यह आदेश दिया है कि अधिकारी चौथी डोज़ लगाने के बारे में एक अभियान तैयार करें। बेनेट ने कहा है कि एक्सपर्ट्स की ये बहुत बढ़िया सिफारिश है, इससे हम ओमीक्रान की लहर से पार पा सकेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया में इजरायल के नागरिकों को ही सबसे पहले कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज़ लगी थी। अब हम चौथी डोज़ के मामले में भी अग्रणी रहने वाले हैं। दुनिया में इजरायल में ही सबसे पहले तीसरी बूस्टर डोज़ लगनी शुरू हुई थी। पहले ये डोज़ जोखिम वाले ग्रुप को लगाई गयी । लेकिन कुछ ही हफ़्तों बाद इसे आम पब्लिक के लिए कर दिया गया। इजरायल में 93 लाख लोगों में से 40 लाख इजरायलियों को तीसरी डोज़ लग चुकी है।



Ragini Sinha

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