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पेट्रोल-डीजल पर घमासानः पीएम मोदी के वार पर विपक्ष का पलटवार, कहा-अपने जिम्मेदारियों से भाग रहा केंद्र

PM Modi On Petrol-Diesel Price: मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने के आग्रह पर सियासी घमासान छिड़ गया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 27 April 2022 3:00 PM GMT
PM Narendra Modi
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: Photo - Social Media

PM Modi On Petrol-Diesel Price: मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के पेट्रोल और डीजल पर वैट (VAT on petrol and diesel) घटाने के आग्रह पर सियासी घमासान छिड़ गया है। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कई राज्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन राज्यों की सरकारों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट (VAT on petrol and diesel) घटाने का केंद्र का अनुरोध नहीं माना और इस कारण राज्य के लोगों को महंगाई से जूझना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने गत नवंबर में ईंधन पर उत्पाद शुल्क घटाया था और राज्य सरकारों से भी अपने करों को घटाने का अनुरोध किया गया था।

प्रधानमंत्री के संबोधन पर विपक्षी दलों के नेताओं ने तीखी आपत्ति जताई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray) ने केंद्र सरकार (Central Government) पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए राज्य के बकाया जीएसटी का भुगतान न किए जाने की याद दिलाई है। दूसरे दलों ने भी राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार बंद करने की अपील की है। विपक्षी दलों ने महंगाई का ठीकरा राज्य सरकारों पर फोड़ने के लिए भी प्रधानमंत्री के बयान की निंदा की है।

ठाकरे ने जीएसटी के बकाए की याद दिलाई

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों की बैठक के दौरान विरोधी दलों की राज्य सरकारों पर निशाना साधा। उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख महानगरों का उल्लेख करते हुए यह भी बताया कि पेट्रोल और डीजल वहां कितना महंगा बिक रहा है। इसी कारण इन राज्यों की जनता को महंगाई से जूझना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री का यह संबोधन सियासी घमासान का बड़ा कारण बन गया है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray) ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराना गलत है। उन्होंने मुंबई का जिक्र करते हुए कहा कि मुंबई में एक लीटर डीजल पर केंद्र को 24.38 रुपए और राज्य सरकार को 22.37 रुपए मिलते हैं। पेट्रोल पर केंद्र के टैक्स के रूप में 31.58 रुपए वसूले जाते हैं जबकि राज्य सरकार को 32.55 रुपए मिलते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से प्राकृतिक गैस में पहले ही प्रदेश की जनता को राहत दी जा चुकी है। उन्होंने केंद्र सरकार पर जीएसटी के बकाए का भुगतान न करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का साढ़े 26,000 करोड़ रुपए बकाया है मगर उसका अभी तक भुगतान नहीं किया गया।

पहले केंद्र से टैक्स घटाने का अनुरोध

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा (Congress leader Pawan Khera) ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स के जरिए केंद्र सरकार भारी कमाई करने में जुटी हुई है। केंद्र सरकार ने टैक्स के जरिए 26 लाख करोड़ रुपए की कमाई की है मगर प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख नहीं किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य सरकारों को वैट के बकाए का भुगतान नहीं किया जा रहा है और उल्टे राज्य सरकारों से वैट घटाने की अपील की जा रही है। उन्होंने कहा कि दूसरों को नसीहत देने से पहले केंद्र को इस मामले में कदम उठाते हुए टैक्स कम करना चाहिए और उसके बाद ही इस बाबत राज्य सरकारों से अनुरोध करना चाहिए।

कोरोना की बैठक में राजनीति का आरोप

टीएमसी नेता सौगत राय (TMC leader Saugata Rai) ने देश में महंगाई बढ़ने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। टीएमसी सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार कीमतों को काबू में रखने में नाकाम साबित हुई है। इसी कारण प्रधानमंत्री अपनी गर्दन बचाने के लिए विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को दोषी ठहराने की कोशिश में जुटे हुए हैं। केंद्र सरकार को राज्यों के साथ सौतेला बर्ताव बंद कर देना चाहिए और बकाए जीएसटी का भुगतान किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली बात तो यह है कि कोरोना पर बुलाई गई बैठक का राजनीतिक इस्तेमाल किया गया और इस बैठक के जरिए विपक्षी दलों की राज्य सरकारों पर निशाना साधा गया। प्रधानमंत्री की ओर से उठाए गए इस कदम की निंदा की जानी चाहिए।

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी कोरोना की बैठक का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर चर्चा से ज्यादा पेट्रोल-डीजल की कीमतों का ही उल्लेख करते रहे। उन्होंने मांग की कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए और पूरे देश के लिए एक समान नीति लागू की जानी चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति न करने की भी अपील की।

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Deepak Kumar

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