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OYO Rooms: 20 साल की उम्र में बने करोड़पति, OYO के मालिक रितेश ने कभी खाए धक्के, आज दुनियाभर में नाम
OYO Rooms : अब लोगों को किसी दूसरे शहर में जाने पर किसी बात की टेंशन नहीं करनी पड़ती, चाहे उन्होंने किसी भी समय होटल में कमरा चाहिए हो। इस OYO Rooms के बिजनेस को खड़ा करने वाले संस्थापक का नाम रितेश अग्रवाल हैं।
OYO Rooms : दुनियाभर के कई में चाहे वो छोटा शहर हो या बड़ा शहर, जगह-जगह OYO लिखा हुआ मिलता है। ये ओयो रूम्स इतने ज्यादा फ्रेंडली और सुरक्षित होते हैं कि लोगों की इनमें काफी रुचि बढ़ रही है। जिस OYO Rooms की शुरुआत सन् 2013 में हुई थी, उसी कंपनी ने सिर्फ 8 साल में 75 हजार करोड़ का व्यापार तैयार कर लिया।
अब लोगों को किसी दूसरे शहर में जाने पर किसी बात की टेंशन नहीं करनी पड़ती, चाहे उन्होंने किसी भी समय होटल में कमरा चाहिए हो। इस OYO Rooms के बिजनेस को खड़ा करने वाले संस्थापक का नाम रितेश अग्रवाल हैं।
कभी वो भी समय था, जब रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) की जेब में मात्र 30 रुपए ही थे। उन दिनों उनका पहला स्टार्टअप ओरावेल स्टेज जो कि बुरी तरह से फेल हो गया था। इसके बाद उन्हें अपनी आगे की जिंदगी के बारे में कोई अंदाजा नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे अपने दिमाग और मेहनत के दम पर OYO रूम्स' को पूरे देश में मशहूर कंपनी के तौर पर खड़ा कर दिया।
रितेश अग्रवाल के बारे में...
OYO Rooms के संस्थापक रितेश अग्रवाल का ओडिशा के रायगढ़ जिले के भीषमकटक में जन्म 16 नवंबर 1993 हुआ था। बचपन में रितेश जब स्कूली शिक्षा ही ग्रहण कर रहे थे, तब से ही उन्होंने तय कर लिया था कि एंटरप्रेन्योर बनना है।
लेकिन घरवालों की जिद पर रितेश आईआईटी (IIT) एंट्रेंस की तैयारी के लिए कोटा जाने को मजबूर हो गए। पर वहां उनका पढ़ाई में मन नहीं लगा। तब उन्होंने सफर करना शुरू कर दिया। यात्रा के दौरान वे कई होटलों में जाते और उनसे कहते कि 'मैं होटल इंडस्ट्री की एक बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व करना चाहता हूं। कृपया मुझे अपने यहां रुकने दें।' अब उनकी बात पर कोई उन्हें होटल में डिस्काउंट दे देता, तो कोई मजाक बनाते हुए भगा देता।
वो बताते हैं कि इस सफर के दौरान उन्होंने करीब 100 जगहों के 200 होटल्स में स्टे किया। तभी उन्होंने होटल इंडस्ट्री की सबसे बड़ी दिक्कत पर अपनी मजबूती बना ली। फिर इन दिक्कतों को दूर करने के आइडिया पर काम करते हुए उन्होंने 2012 में ओरावेल स्टेज नाम का स्टार्टअप शुरू किया।
जेब में मात्र 30 रुपए बचे
इस आइडिया में वे सस्ते होटलों में जाते और वहाँ के कमरे का लुक एंड फील अच्छा बना देते। साथ ही रितेश उन होटलों के लिए ग्राहक भी सर्च करते। लेकिन आइडिया ज्यादा समय तक अच्छे से चल नहीं पाया। जिससे उन्हें काफी नुकसान भी हुआ। जिसके बाद अब उनकी जेब में मात्र 30 रुपए बचे थे।
इस तंगी भरे हालातों से जूझते हुए वे दिल्ली की मोठ मार्केट में बैठे आगे के भविष्य के बारे में सोच ही रहे थे। उस बीच 2013 में रितेश थिएल फेलोशिप के लिए सलेक्ट हो गए। रितेश दो साल के इस प्रोग्राम में फेलो को 1 लाख डॉलर मतलब करीब 75 लाख रुपए मिलने थे। बस तभी से रितेश ने अपनी जिंदगी के सुनहरे पलों को सजाने की प्लानिंग कर ली थी।
उस समय जब रितेश ने OYO रूम्स शुरु किया था। तब OYO रूम्स ने सस्ते होटल्स को अपने साथ जोड़ा। जिसके बाद धीरे-धीरे कंपनी की ब्रांडिंग होने लगी और व्यापार ने तेजी पकड़ ली।
इसके बाद रितेश ने दिमाग लगाया कि भारत में कपल्स को रूम मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसको दूर करते हुए OYO ने कपल्स फ्रेंडली होटल के रूप में खुद को प्रमोट किया। और इस समय OYO Rooms 80 देशों के 800 शहरों में अपना बिजनेस चल रहा है। अपने इस आईडिया के बलबूते पर रितेश अग्रवाल को दुनिया का दूसरा सबसे युवा सेल्फ मेड बिलेनियर बन गए हैं।