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S N Subba Rao Ka Nidhan: पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ.सुब्बाराव का निधन, चंबल के 654 डकैतों का कराया था आत्मसमर्पण

Dr. S N Subba Rao Passes Away: सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक और पद्मश्री डॉ. एस. एन. सुब्बाराव का बुधवार सुबह निधन हो गया।

aman
Written By amanPublished By Shreya
Published on: 27 Oct 2021 7:56 AM GMT
S N Subba Rao Ka Nidhan: पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ.सुब्बाराव का निधन, चंबल के 654 डकैतों का कराया था आत्मसमर्पण
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डॉ.सुब्बाराव (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Dr. S N Subba Rao Passes Away: सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक (Veteran Gandhian Ideologue) और पद्मश्री डॉ. एस. एन. सुब्बाराव (Dr. S N Subba Rao) का बुधवार (27 अक्टूबर, 2021) सुबह निधन (S N Subba Rao Ka Nidhan) हो गया। वो 92 वर्ष के थे। सुब्बाराव लंबे समय से बीमार थे। उनका राजधानी जयपुर (Jaipur) के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Man Singh Hospital) में इलाज चल रहा था। मंगलवार शाम राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) उनका हाल-चाल जानने अस्पताल गए थे।

देश में गांधीवादी विचारों को स्थापित करने में डॉ. एस. एन. सुब्बाराव का अहम योगदान रहा है। सुब्बाराव की पहचान (Subba Rao Ki Pehchan) चंबल को डकैतों से मुक्त कराने वाले शख्स के रूप में रही है। जानकारी के अनुसार बुधवार शाम उनका पार्थिव शरीर मुरैना पहुंचेगा, जिसे अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा। शाम को ही जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम (Gandhi Seva Ashram) में उनका अंतिम संस्कार (S N Subba Rao Ka Antim Sanskar) किया जाएगा।

654 डकैतों का कराया था आत्मसमर्पण

डॉ. सुब्बाराव का पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित रहा। उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि 14 अप्रैल 1972 को देखने को मिली जब जौरा के गांधी सेवा आश्रम में 654 डकैतों का उन्होंने आत्म समर्पण कराया था। उस समय समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण और उनकी पत्नी प्रभादेवी भी वहां मौजूद थीं। बता दें, कि तब 450 डकैतों ने जौरा के आश्रम में जबकि शेष ने राजस्थान के धौलपुर में गांधीजी की तस्वीर के सामने हथियार डाले थे।

'भाई जी' के नाम से प्रसिद्ध

ग्वालियर के चंबल संभाग में डॉ. एस.एन.सुब्बाराव को उनके साथी 'भाई जी' के नाम से पुकारते रहे थे। डॉ. सुब्बाराव ने ही जौरा में गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी। यह आश्रम अब श्योपुर तक गरीब तथा जरूरतमंद और कुपोषित बच्चों के लिए काम कर रहा है। डॉ. सुब्बाराव ने श्योपुर के त्रिवेणी संगम घाट पर गांधीजी की तेरहवीं का आयोजन शुरू करवाया था। आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए वह अपनी टीम के साथ लगातार काम करते रहे थे।

(फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सुब्बाराव का जीवन परिचय (S N Subba Rao Jeevan Parichay)

डॉ. सुब्बाराव का जन्म (S N Subba Rao Ka Janam) 1929 में कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु (Bangalore) में हुआ था। महज 13 वर्ष की उम्र में ही वो भारत छोड़ो आंदोलन (Bharat Chhodo Andolan) से जुड़ गए थे। गांधीवादी विचारों को स्थापित करने और उनके अहिंसा के सूत्र को आगे बढ़ाते हुए डॉ. सुब्बाराव ने चंबल घाटी (Chambal Ghati) में कुख्यात डकैतों से आत्म समर्पण करवाया था।

समाजसेवा से जुड़े कार्यों के अंतर्गत उन्होंने गांधी सेवा संघ (Gandhi Seva Sangh) की स्थापना की। अब तक यह संघ हजारों लोगों को रोजगार दे चुका है। वो राष्ट्रीय सेवा योजना के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने नेशनल यूथ प्रोजेक्ट की भी स्थापना की थी। सीएम अशोक गहलोत डॉ. सुब्बाराव को अपना आदर्श मानते थे, इसलिए गहलोत डॉ. सुब्बाराव से लगातार मार्गदर्शन लेते रहते थे।

पद्मश्री से सम्मानित (Padma Shri Se Sammanit)

-डॉ. सुब्बाराव को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

-1995 में उनके राष्ट्रीय युवा परियोजना को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार दिया गया था।

-साल 2003 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

-वर्ष 2006 में उन्हें जमानालाल बजाज पुरस्कार मिला।

-साल 2014 में कर्नाटक सरकार की ओर से महात्मा गांधी प्रेरणा सेवा पुरस्कार।

-नागपुर में 2014 में ही राष्ट्रीय सद्भावना एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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