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Ram Prasad Bismil Birth Anniversary: देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद को शत-शत "नमन"

124th Birth Anniversary Special: काकोरी कांड में राम प्रसाद बिस्मिल का हाथ होने के कारण उन्‍हें मात्र 30 वर्ष की आयु में 19 दिसम्‍बर, 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई

Shreedhar Agnihotri
Published on: 11 Jun 2021 4:09 PM IST
Ram Prasad Bismil Birth Anniversary: देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद को शत-शत नमन
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Ram Prasad Bismil Birth Anniversary: देश के वीर सपूत राम प्रसाद बिस्मिल को उनके जन्मदिन पर श्रदांजलि। शाहजहांपुर में 11 जून, 1897 को जन्‍मे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल उन जाने-माने भारतीय आंदोलनकारियों में से एक थे जिन्‍होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। उन्‍होंने 19 वर्ष की आयु से 'बिस्मिल' उपनाम से उर्दू और हिन्‍दी में देशभक्ति की सशक्‍त कविताएं लिखनी आरंभ कर दी। उन्‍होंने भगत सिंह और चन्‍द्रशेखर आजाद जैसे स्‍वतंत्रता सेनानियों सहित हिन्‍दुस्‍तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया और 1918 में इसमें मैनपुरी षडयंत्र और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रदर्शन करने के लिए अशफाक उल्‍लाह खान तथा रोशन सिंह के साथ 1925 के काकोरी कांड में भाग लिया। काकोरी कांड में उनका हाथ होने के कारण उन्‍हें मात्र 30 वर्ष की आयु में 19 दिसम्‍बर, 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई। जब वे जेल में थे तब उन्‍होंने 'मेरा रंग दे बसंती चोला' और 'सरफरोशी की तमन्‍ना' लिखे जो स्‍वतंत्रता सेनानियों का गान बन गए। राम प्रसाद बिस्मिल की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई थी, उन्होंने घर पर ही अपने पिता से हिंदी सीखी और बाद में उन्हें उर्दू स्कूल में दाखिल कराया गया। कहा जाता है कि यहीं से उनमें उपन्यास और गजलों की किताबों को पढ़ने में दिलचस्पी जागने लगी। कुछ समय बाद राम प्रसाद बिस्मिल अपने पड़ोस में रहने वाले एक पुजारी के संपर्क में आए, जिनका उनके व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ा।

राम प्रसाद बिस्मिल स्वामी सोमदेव से मिलने के बाद उनसे खासा प्रभावित हुए और उन पर आर्य समाज का भी बहुत ज्यादा प्रभाव देखने को मिला। बिस्मिल हिंदू-मुस्लिम एकता में काफी विश्वास रखते थे। अशफाक उल्ला खां और राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती ने हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल पेश कीं आज भी दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती है। राम प्रसाद बिस्मिल को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के आदर्शों ने अपनी ओर आकर्षित किया और इससे जुड़ने के बाद उनकी मुलाकात भगत सिंह, सुखदेव, अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद जैसे कई स्वसंत्रता सेनानियों से हुई। फिर साल 1923 में राम प्रसाद बिस्मिल ने सचिन नाथ सान्याल और डॉ. जादुगोपाल मुखर्जी के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संविधान का मसौदा तैयार किया। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए हथियार खरीदने के इरादे से राम प्रसाद बिस्मिल ने अशफाक उल्ला खां के साथ काकोरी कांड की साजिश रची और 9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने की इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम दिया। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को उनकी 124वीं जयंती पर पूरा देश नमन कर रहा है।



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Pallavi Srivastava

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