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Pandora Papers Leak: अब पैंडोरा पेपर्स में सचिन, अनिल अंबानी समेत कई बड़े नाम
Pandora Papers Leak: पैंडोरा पेपर्स के नाम से चर्चित इस खुलासे में ऐसी 29 हजार कंपनियों और ट्रस्ट का पता चला है।
Pandora Papers Leak: पनामा पेपर्स (panama paper) नाम से हुए खुलासे के बाद अब पैन्डोरा पेपर्स (Pandora paper Leak) दूसरा बड़ा खुलासा है। इसमें पता चला है कि दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोग सरकारों की नजर से अपनी संपत्ति को छुपाने और टैक्स (Tax) से बचने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का सहारा ले रहे हैं। 14 कंपनियों के लाखों लीक दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि दुनियाभर के राजनेताओं, अरबपतियों और अन्य मशहूर हस्तियों ने किस तरह धन बचाने और जमा करने के लिए टैक्स पनाहगाहों का इस्तेमाल किया है।
भारत के इंडियन एक्सप्रेस इस पड़ताल में शामिल थे
इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने 14 कंपनियों के बीस लाख दस्तावेजों का एक साल तक अध्ययन करने के बाद कई सनसनीखेज खुलासे किये हैं। ब्रिटेन के द गार्जियन और भारत के इंडियन एक्सप्रेस इस पड़ताल में शामिल थे। पैंडोरा पेपर्स के नाम से चर्चित इस खुलासे में ऐसी 29 हजार कंपनियों और ट्रस्ट का पता चला है जिन्हें विदेशों में बनाया गया था। दस्तावेजों के अध्ययन के बाद दावा किया गया है कि विभिन्न देशों के व्यापारियों, उद्योगपतियों, राजनेताओं और सेलेब्रिटीज़ ने अपने कमाई छिपाई।
भारत के कई बड़े नाम
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इन दस्तावेजों में 300 से ज्यादा भारतीयों के नाम हैं ।जिनमें उद्योपति अनिल अंबानी, नीरव मोदी की बहन और किरन मजूमदार शॉ के पति जैसे लोग शामिल हैं। विदेशों के जिन बड़े लोगों के नाम पैंडोरा पेपर्स खुलासे में उजागर किए गए हैं उनमें जॉर्डन के राजा, उक्रेन, केन्या और इक्वेडोर के राष्ट्रपति, चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर शामिल हैं। इन दस्तावेजों में कम से कम 35 मौजूदा या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों के नाम लिए गए हैं। दस्तावेज दिखाते हैं कि किस तरह किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने मैलिबु, कैलिफॉर्निया, वॉशिंगटन और लंदन में अपनी 100 मिलियन डॉलर की संपत्तियां बनाने के लिए कर से राहत देने वाली जगहों पर कंपनियों का एक नेटवर्क खड़ा किया। रिपोर्ट में रॉक ग्रुप यू 2 के सदस्य और एक्टिविस्ट बोनो का नाम भी हैं। पाकिस्तान के लगभग 700 नाम भी शामिल हैं।
धनकुबेरों ने अपने धन छिपाने के नए तरीके खोज लिए
रिपोर्ट में बताया गया है कि पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद धनकुबेरों ने अपना धन छिपाने के नए तरीके खोज लिए हैं। मिसाल के तौर पर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पनामा पेपर्स खुलासे के सिर्फ तीन महीने बाद ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी। हालाँकि सचिन तेंदुलकर के वकील ने कहा है कि उनका सारा निवेश वैध है। रिपोर्ट के अनुसार, अब भारतीय उद्योगपति विदेशों में कई ट्रस्ट स्थापित कर रहे हैं ताकि अपने धन को अलग अलग हिस्सों में बांटकर सरकारी निगाहों से बचा जा सकें। इनमें भारत, रूस, अमेरिका और मेक्सिको समेत कई देशों के 130 अरबपति शामिल हैं।
1,000 विदेशी कंपनियों के बारे में पता चला है
दस्तावेजों में लगभग 1,000 विदेशी कंपनियों के बारे में पता चला है जिन्हें दुनियाभर के 336 मंत्रियों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने स्थापित किया था। इनमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कैबिनेट मंत्री और उनके परिवारवाले भी शामिल हैं। पैंडोरा पेपर्स दिखाते हैं कि अमेरिका और यूरोप में स्थित वैश्विक बैंक, वकालत कंपनियां और अकाउंटिंग फर्म भी कर चोरी और कमाई को छिपाने की इस व्यवस्था को मदद करते हैं। पैंडोरा पेपर्स से पता चला कि दुनियाभर के बैंकों ने पनामा की एक वकालत कंपनी एल्कोगल की मदद से कम से कम 3,926 ग्राहकों के लिए विदेशों में कंपनियां स्थापित कीं। इस कंपनी के दफ्तर न्यूजीलैंड, उरुग्वे और यूएई में भी हैं। इस कंपनी ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स अमेरिकी बैंक मॉर्गन स्टैनली के आग्रह पर 312 कंपनियां बनाईं।
दुनिया के 150 मीडिया संस्थानों के 600 से ज्यादा पत्रकारों ने जो रिपोर्ट छापी हैं, वे 1996 से 2020 तक के हैं। जिन कंपनियों व ट्रस्ट बनाने की बात हो रही है वे 1971 से 2018 के बीच स्थापित हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक अगले एक दो दिन में पेंडोर पेपर्स लीक की विस्तृत जानकारी सामने आने की उम्मीद है।
अनिल अम्बानी का मामला
फरवरी, 2020 में लंदन की एक अदालत को अनिल अंबानी ने बताया था कि उनकी कुल आय शून्य है। लेकिन पैन्डोरा पेपर्स की जांच में खुलासा हुआ है कि रिलायंस एडीए ग्रुप के चेयरमैन और उनके प्रतिनिधियों के पास जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स और साइप्रस जैसी जगहों पर कम से कम 18 विदेशी कंपनियां हैं। इनकी स्थापना 2007 से 2010 के बीच हुई थी। इनमें से सात कंपनियों ने कम से कम 1.3 बिलियन डॉलर का निवेश और ऋण प्राप्त किया था। जर्सी में अनिल अंबानी के नाम पर तीन कंपनियां हैं। इन सभी को दिसंबर 2007 और जनवरी 2008 में बनाया गया था। रिकॉर्ड्स बताते हैं कि इन कंपनियों को सर्विस देने वाली सात फर्म्स को रिलायसं, अनिल अंबानी की गारंटी पर निवेश के लिए ऋण भी मिला था। इस निवेश के पैसे को दूसरी कंपनियों को बतौर ऋण देकर घुमाया गया था। इन कंपनियों ने 500 मिलियन डॉलर और 220 मिलियन डॉलर का कर्ज आईसीआईसीआई से लिया था।
इस मामले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम भी सामने आ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार पैंडोरा पेपर्स यह दावा करते हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कथित गर्लफ्रैंड की स्वामित्व वाली एक कंपनी ने 30 करोड़ का अपार्टमेंट खरीदा था । साथ ही पुतिन से जान-पहचान के बाद उनकी कथित गर्लफ्रैंड ने मॉस्को में कई संपत्तियां, एक क्रूज और सेंट पीटर्सबर्ग में एक फ्लैट ख़रीदा है, जिसकी कुल कीमत 100 मिलियन डॉलर के आसपास आंकी जा रही है।
पैंडोरा पेपर्स के द्वारा यह भी दावा किया गया है कि पुतिन की मोनाको (Monaco) में गुप्त संपत्ति है । विदेश में भी उनकी एक कंपनी है, जिसका स्वामित्व उनकी कथित गर्लफ्रैंड के पास है, साथ ही पैंडोरा पेपर्स के मुताबिक पुतिन के सहयोगी गौरक़ानूनी तरीके से संपत्ति बनाने में जुटे हुए हैं। हालांकि रूसी सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
दुनियाभर के करीब 1.20 करोड़ दस्तावेजों को खंगालने के बाद यह जानकारी सामने आयी है।पैंडोरा पेपर्स लीक की जांच "बीबीसी" और "द गार्डियन" द्वारा शुरू की गई थी। बीबीसी के मुताबिक पैंडोरा पेपर्स लीक में लगभग 30 लाख तस्वीर, 10 लाख ईमेल, 64 लाख दस्तावेज़ और 5 लाख स्प्रेडशीट शामिल हैं।
इस पेपर लीक के चलते 90 देशों के 330 ऐसे नेताओं के नाम शामिल हैं , जिन्होंने अपनी संपत्ति छुपाने के लिए गुप्त कंपनियों का इस्तेमाल किया है।
लिस्ट में कुल 300 भारतीयों का नाम दर्ज है जिन्होनें टैक्स से बचने के लिए कई तरह के गैर-कानूनी तरीके अपनाए हैं। हालांकि नामों का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है, नामों के खुलासे को लेकर पैंडोरा पेपर्स लीक करने वाली कंपनी का कहना है कि नामों का ऐलान धीरे-धीरे सबूतों के साथ किया जाएगा।
"पैंडोरा पेपर्स लीक" से सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात जो सामने आई है वह यह है कि दुनिया भर में करीब 5.6 ट्रिलियन डॉलर से 32 ट्रिलियन डॉलर तक रुपये विदेश में बेनामी कंपनी बनाकर जमा किये गए हैं, इससे यह साफ है कि भारत की जीडीपी से ज़्यादा दुनिया भर में टैक्स चोरी हो रही है।
करीब 5 साल पहले पनामा पेपर्स लीक मामले ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। पनामा पेपर्स लीक के द्वारा यह खुलासा हुआ था कि कैसे बड़ी हस्तियां और अमीर कारोबारी टैक्स चोरी और बेनामी संपत्ति को छुपाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते थे। पनामा पेपर्स लीक से भारत से संबंधित लोगों की करीब 20,000 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता चला था। पनामा पेपर्स के अंतर्गत करीब 1 करोड़ 15 लाख गुप्त फाइलें और 2,14,000 कंपनियों से संबंधित जानकारी मौजूद है।
पनामा पेपर्स लीक मामले के चलते पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था, पनामा खुलासे में शरीफ के अलावा कई फिल्मी और खेल जगत की हस्तियों समेत करीब 140 लोगों की संपत्ति का भी खुलासा हुआ था। दस्तावेजों के खुलासे में 500 भारतीयों के नाम भी शामिल होने की बात सामने आई थी।