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Parliament Attack 2001: संसद पर हमले की बीसवीं बरसी आज, शहीद सुरक्षा बलों को देश का नमन
Parliament Attack 2001: 2001 में आज ही के दिन देश की संसद पर हमला हुआ था। देश के गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद हमले में शहीद हुए सुरक्षा बलों को नमन किया है।
Parliament Attack 2001: संसद पर हमले (Parliament Attack 2001) की आज 20वीं बरसी है। 2001 में आज ही के दिन देश की संसद पर हमला हुआ था। ये हमला पाकिस्तान के लश्कर ए तैयबा (Lashkar-e-Taiba) और जैश ए मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के उग्रवादियों ने किया था। इस हमले में पांच आतंकवादी और नौ अन्य लोग मारे गए थे। 18 लोग घायल हुए थे। इस हमले में असाल्ट रायफल और विस्फोट का इस्तेमाल हुआ था। देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने इस हमले में शहीद हुए सुरक्षा बलों को नमन किया है।
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने अपने ट्विटर (amit shah twitter) हैंडल से ट्वीट कर कहा है, "भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले में राष्ट्र के गौरव की रक्षा हेतु अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी बहादुर सुरक्षाबलों के साहस व शौर्य को कोटिशः नमन करता हूँ। आपका अद्वितीय पराक्रम व अमर बलिदान सदैव हमें राष्ट्रसेवा हेतु प्रेरित करता रहेगा।"
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट (rajnath singh tweet) कर कहा है, "2001 में संसद भवन पर हमले के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों को मेरी श्रद्धांजलि। राष्ट्र उनके साहस और कर्तव्य के प्रति सर्वोच्च बलिदान के लिए आभारी रहेगा।"
संसद पर हमला कब हुआ (Sansad Par Hamla Kab Hua)
संसद पर हमला (parliament attack case) सुबह 11 बजकर 28 मिनट पर हुआ था। वह 13 दिसंबर 2001 का मनहूस दिन (parliament attack date) था जब पांच आतंकवादियों ने गृह मंत्रालय और संसद के लेबल वाली एक कार में संसद भवन में घुसपैठ की थी। इस हमले के समय राज्य सभा और लोकसभा दोनों को घटना से 40 मिनट पहले स्थगित किया जा चुका था, कई संसद सदस्य (सांसद) तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) और तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री हरिन पाठक (Harin Pathak) संसद में मौजूद थे। इनके अलावा संसद भवन के अंदर प्रमुख राजनेताओं सहित 100 से अधिक लोग थे। आतंकवादियों के पास AK47 राइफलें, ग्रेनेड लांचर, पिस्तौल और हथगोले थे।
बंदूकधारियों ने अपना वाहन अंधाधुंध भगाते हुए तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत जो कि उस समय इमारत के अंदर थे के काफिले में घुसाना चाहा सुरक्षाकर्मी जब तक रोकते उन्होंने कार से निकल कर गोलीबारी शुरू कर दी थी। उपराष्ट्रपति के गार्ड और सुरक्षाकर्मियों ने आतंकवादियों पर गोली चलाईं और फिर परिसर के सभी गेट बंद करने का सिलसिला शुरू हुआ। हमला 12 बजकर 10 मिनट तक चला था सुरक्षाकर्मियों ने बहादुरी से अपने प्राणों की आहुति देकर लोकतंत्र के इस मंदिर की रक्षा की थी। बाद में यह बात सामने आई थी कि बंदूकधारियों को पाकिस्तान (Pakistan) से निर्देश (parliament attack mastermind) मिले थे और ऑपरेशन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) द्वारा गाइडेड था।