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पेगासस जासूसी कांड पर सियासी संग्राम, विपक्ष के तेवर से संसद में गतिरोध खत्म होना मुश्किल
Pegasus Jasoosi Case : पेगासस मामले को लेकर सियासी माहौल इतना गरमाया हुआ है कि इस हफ्ते भी संसद का चलना मुश्किल माना जा रहा है।
Pegasus Jasoosi Case : पेगासस जासूसी कांड को लेकर संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) का पहला हफ्ता बिना किसी कामकाज के बीत गया। पेगासस मामले को लेकर सियासी माहौल इतना गरमाया (Hacking Ruckus In Parliament) हुआ है कि इस हफ्ते भी संसद का चलना मुश्किल माना जा रहा है। हालांकि सरकार विपक्ष से बातचीत करके गतिरोध को समाप्त करने की कोशिश में जुटी हुई है मगर विपक्ष के तेवर को देखते हुए इस मामले में सफलता मुश्किल मानी जा रही है। विपक्ष ने सरकार की पहल से दूरी बना रखी है जबकि सरकार का कहना है कि वह हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।
पहला हफ्ता बीत जाने के बाद अब सरकार पर बाकी के समय में सारे कामकाज निपटाने का दबाव है। सरकार के सामने अहम विधेयकों को पारित कराने की बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर विपक्ष इस जासूसी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) और सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज की अगुवाई में जांच कमेटी का गठन किए जाने की मांग पर अड़ा हुआ है। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोला है और विपक्ष के रवैये से संसद में गतिरोध खत्म होना आसान नहीं होगा।
सरकार कर सकती है नई पहल
पेगासस जासूसी मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस ने सबसे ज्यादा तीखे तेवर अपना रखे हैं। भाजपा से तल्ख रिश्ते वाली टीएमसी को पेगासस ने बड़ा सियासी हथियार दे दिया है और पार्टी इस मुद्दे को लेकर सरकार की घेरेबंदी में जुटी हुई है। दूसरी ओर जासूसी कांड में राहुल गांधी का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस ने भी तीखे तेवर अपना लिए हैं।
इस मुद्दे पर सरकार का स्पष्ट तौर पर कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है जिस पर विपक्ष इतना हंगामा मचा रहा है। सरकार के मुताबिक नियम कानून के दायरे से बाहर जाकर किसी का भी फोन टैप नहीं किया गया है। पेगासस जासूसी कांड को लेकर गतिरोध को समाप्त करने के लिए सोमवार को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सरकार की ओर से आज नए सिरे से पहल की जा सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि विपक्ष इस पर क्या रुख अपनाता है।
जेपीसी जांच से ही पता चलेगी सच्चाई
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पेगासस मामले को लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में बयान देना चाहिए कि लोगों की जासूसी की गई या नहीं। उन्होंने कहा कि इस मामले की जेपीसी जांच जरूरी है क्योंकि वह जांच संसद की स्थायी समिति की जांच से ज्यादा असरकारक होगी।
उन्होंने कहा कि संसदीय समिति की ओर से खुले तौर पर सबूत नहीं इकट्ठा किया जा सकता है जबकि जेपीसी जांच के दौरान गवाहों से जिरह करने, दस्तावेज मांगने और सार्वजनिक रूप से साक्ष्य इकट्ठा करने का अधिकार दिया जा सकता है। इसलिए संसदीय समिति की जगह इस मामले की जेपीसी जांच जरूरी है क्योंकि उसके पास ज्यादा शक्तियां होंगी।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे संसदीय समिति की शक्तियों को कम नहीं बता रहे मगर जेपीसी जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि फ्रांस ने इस मामले में जांच बिठा दी है जबकि इसराइल ने भी आरोपों की समीक्षा के लिए एक आयोग का गठन किया है मगर भारत सरकार इस मामले में जांच कराने से दूर भाग रही है।
किसकी जेब से खर्च की गई इतनी भारी रकम
शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने भी इस मामले में बीजेपी को घेरते हुए फंडिंग की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पेगासस के जरिए 300 से ज्यादा लोगों के फोन टैप किए गए और इनमें कई महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पेगासस के जरिए जासूसी पर 2019 में 4.8 करोड़ डॉलर की रकम खर्च की गई। उन्होंने कहा कि आंकड़ा सिर्फ 2019 का है जबकि 2020 और 2021 में इससे भी ज्यादा रकम खर्च की गई होगी।
सामना में लिखे एक लेख में राउत ने कहा इस बात की जांच की जानी चाहिए कि यह भारी-भरकम रकम किसकी जेब से खर्च की गई। जेपीसी जांच के जरिए ही इस बात का खुलासा किया जा सत्ता है। उन्होंने पेगासस जासूसी कांड को हिरोशिमा में बम गिराने की घटना के समान बताया। उन्होंने कहा कि उस घटना में लोगों की जान गई थी जबकि इस मामले में लोगों की आजादी छीनी जा रही है। उन्होंने कहा कि पेगासस के निशाने पर सबसे ज्यादा ऐसे पत्रकार थे जो भाजपा की करतूतों का पर्दाफाश करने की कोशिश से में जुटे हुए हैं। ऐसे पत्रकारों की आवाज बंद करने की कोशिश की गई है।