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Pegasus: मानसून सत्र में पेगासस के आगे गुम हो गए अहम मुद्दे, लोकसभा-राज्यसभा में 150 घंटे का समय बर्बाद

संसद का पूरा मानसून सत्र पेगासस मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ गया। पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष का तेवर इतना ज्यादा गरम रहा कि राज्यसभा और लोकसभा को मिलाकर करीब 150 घंटे का समय बर्बाद हो गया।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 12 Aug 2021 12:13 PM IST
Pegasus dominated the monsoon season
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मानसून सत्र में पेगासस ही छाया रहा: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

Pegasus: संसद का पूरा मानसून सत्र पेगासस मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ गया। पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष का तेवर इतना ज्यादा गरम रहा कि राज्यसभा और लोकसभा को मिलाकर करीब 150 घंटे का समय बर्बाद हो गया। पेगासस मुद्दे पर विपक्ष के जोरदार हंगामे के कारण लोकसभा में 74 घंटे और राज्यसभा में करीब 76 घंटे कोई काम नहीं हो सका।

संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले विपक्ष ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की थी मगर पेगासस जासूसी कांड के सामने सारे मुद्दे गौण हो गए और पूरे मानसून सत्र के दौरान इसे लेकर हंगामा चलता रहा। विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा में 28 फीसदी और लोकसभा में 22 फीसदी ही काम हो सका।

सिर्फ ओबीसी विधेयक में ही विपक्ष का सहयोग

संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 19 जुलाई को हुई थी और मानसून सत्र से पहले माना जा रहा था कि विपक्ष केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों, महंगाई, डीजल और पेट्रोल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और एलएसी पर चीन की घुसपैठ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार को घेरेगा। विपक्ष की ओर से इस बाबत रणनीति भी तैयार की गई थी मगर मानसून सत्र की शुरुआत के साथ ही पेगासस का मुद्दा ऐसा गरमाया कि सारे मुद्दे पीछे छूट गए।

विपक्ष ने सरकार पर विरोधियों की जासूसी कराने का आरोप लगाते हुए इस पर चर्चा कराने और संयुक्त संसदीय समिति से इस मामले की जांच कराने की मांग की। सरकार की ओर से इन सारे आरोपों को निराधार बताया गया मगर विपक्ष के अपनी मांग पर अड़ जाने के कारण पूरे मानसून सत्र के दौरान हंगामा होता रहा। केवल राज्यों को अपने हिसाब से ओबीसी की लिस्ट तैयार करने की ताकत देने वाले 127वें संविधान संशोधन विधेयक पर ही चर्चा में विपक्षी सदस्यों ने भी हिस्सा लिया।


लोकसभा में सिर्फ 21 घंटे ही कामकाज

मानसून सत्र के दौरान हुए हंगामे के बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई को शुरू होने के बाद 17 बैठकों में सिर्फ 21 घंटे 14 मिनट ही कामकाज हो सका। उन्होंने कहा कि उन्हें मानसून सत्र के दौरान सार्थक बहस होने की उम्मीद थी मगर विपक्ष के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण सदन में कामकाज नहीं हो सका। बिरला ने बताया कि संसद में हंगामे के कारण 96 घंटे में करीब 75 घंटे कोई कामकाज नहीं हो सका।

इस दौरान संविधान के 127वें संशोधन विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किए गए। ओबीसी बिल को छोड़कर सारे विधेयक बिना किसी चर्चा के ही पारित कर दिए गए। सदन की बैठक अनिश्चितकालीन स्थगित किए जाने के बाद उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी नेताओं के साथ सदन के कामकाज को लेकर चर्चा भी की है।

इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी भी मौजूद थे। बैठक में बिरला ने आगामी सत्रों के दौरान सदन में स्वस्थ बहस होने की उम्मीद जताई।

सांसदों के व्यवहार से स्पीकर दुखी

मानसून सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से न चलने पर स्पीकर ओम बिरला ने दुख जताया है। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही चलाना सामूहिक जिम्मेदारी है। आसन के समीप आकर सदस्यों का तख्तियां लहराना, नारे लगाना और हंगामा करना परंपराओं के अनुकूल नहीं माना जा सकता।

विपक्ष के इस रवैये से कामकाज काफी बाधित हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश थी कि सदन पहले की तरह चलता और महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस होती मगर विपक्ष के अड़ियल रवैया के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका।

नहीं हो सकी सार्थक चर्चा: फोटो- सोशल मीडिया

राज्यसभा में भी नहीं हो सकी सार्थक चर्चा

राज्यसभा के बुधवार को अनिश्चितकालीन स्थगित किए जाने से पहले ओबीसी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर करीब 6 घंटे तक चर्चा हुई और बाद में इस विधेयक को पारित कर दिया गया। हालांकि इस विधेयक को पारित किए जाने के बाद विपक्षी सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर एक बार फिर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच तीन और विधेयक भी पारित किए गए।

इसके बाद उपसभापति हरवंश ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। इससे पहले सभापति वेंकैया नायडू ने रुंधे हुए गले से मंगलवार को हुए हंगामे का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र के मंदिर की पवित्रता भंग की गई है। मेज पर चढ़कर सर्विस रूल फेंके जाने की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना के कारण वे रात भर सो नहीं सके। उन्होंने कहा कि मैं माननीय सदस्यों के इस अमर्यादित आचरण का कारण नहीं समझ पा रहा हूं। संसद की पवित्रता हर किसी को बनाए रखनी चाहिए पर सदस्य यह समझने को तैयार नहीं है।



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Shashi kant gautam

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