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तालिबान से खौफ में लोग, जानें इसकी ताकत
2016 में मुल्ला मुख्तार मसूरी की मौत के बाद मौलवी हिबटुअल्लाह तालिबान के चीफ है...
तालिबान का उभार 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में हुआ था। पश्तो भाषा की बात करें, तो तालिबान के मतलाब होता है छात्र। ऐसे छात्र जो कट्टर इस्लामी धार्मिक शिक्षा से प्रेरित हों। कट्टर इस्लामी विद्वानों ने धार्मिक संगठनों की मदद से पाकिस्तान में इसकी बुनियाद स्थापित की थी। बता दें कि, तालिबान को खड़ा करने के पीछे सऊदी अरब का हाथ है।
कौन है तालिबान के नेता
पहले मुल्ला उमर और फिर 2016 में मुल्ला मुख्तार मसूरी की मौत के बाद मौलवी हिबटुअल्लाह तालिबान के चीफ है। वह एक मदरसा चलता था। तालिबान की जंगी कार्रवाइयों के हक में फतवे जारी करता था। इसके अलावा वह 2001 से पहले अफगानिस्तान में कायम तालिबान की हुकूमत के दौरान अदालतों का प्रमुख भी रहा था।
कैसे मजबूत हुआ तालिबान
2012 में नोटो बेस पर हमले के बाद से फिर तालिबान का उभार शुरू हुआ। 2015 में तालिबान ने कुंदुज के इलाके पर कब्जा कर फिर वापसी की। अफगानिस्तान से अमेरिका का ध्यान कम होता गया। धीरे-धीरे तालिबान मजबूत होता गया। लिहाजा खुफिया मदद से पाक सिमा से सटे इलाकों में तालिबान मजबूत हो गया। 2020 में अमेरिका ने तालिबान से शांति वार्ता की।
किन इलाकों पर है कब्जा
आज की तारीख में अफगानिस्तान के 85 फीसदी हिस्सों पर तालिबान का कब्जा है। पाकिस्तान से सटे इलाकों में भी तालिबान का कब्जा है।
फिर वहीं खौफ
1998 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा किया था, तो कई फरमान जारी किए गए थे। पूरे डेज़ह में शरिया कानून लागू कर दिया गया।
अफगान और तालिबान की सैन्य ताकत कितनी
तालिबान की ताकत अधिक है। उनके पास 80 हजार के करीब लड़ाके है। अफगानिस्तान की सेना के पास 5 से 6 लाख के बीच सैनिक है।
दानिश की मौत पर बड़ा खुलासा
भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत के मामले (Indian Photojournalist Danish Siddiqui Death Case) में एक बड़ा खुलासा हुआ है। खबर है कि दानिश सिद्दीकी की मौत न सुरक्षा में चूक होने से हुई और ना ही अफगानिस्तान में क्रॉसफायर से हुई। दानिश की पहचान के बाद तालिबान (Taliban) ने उसे मौत के घाट उतार दिया था। यह खुलासा अमेरिका के एक मैगजीन (American Magazine Report) के द्वारा हुई है।
दरअसल अमेरिका की एक मैगजीन ने गुरुवार को एक रिपोर्ट पब्लिश की, जिसमें भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Indian Photojournalist Danish Siddiqui) के मौत के बारे बताया गया है कि तालिबान ने पहचान के बाद दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) की क्रूरता से हत्या कर दी।