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दूसरी लहर में प्लाज्मा थेरेपी ज्यादा कारगर नहीं, अब यह दवा इलाज में साबित होगी रामबाण

प्लाज्मा थेरेपी को मरीजों के इलाज में काफी मददगार माना गया था मगर दूसरी लहर के दौरान यह थेरेपी ज्यादा प्रभावी नहीं दिख रही है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 17 May 2021 3:00 PM GMT
Plasma therapy was considered to be very helpful in treating patients,
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प्लाज्मा थेरेपी(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: कोरोना की पहली लहर के दौरान प्लाज्मा थेरेपी को मरीजों के इलाज में काफी मददगार माना गया था मगर दूसरी लहर के दौरान यह थेरेपी ज्यादा प्रभावी नहीं दिख रही है। कोविड नेशनल टास्क फोर्स की बैठक में भी प्लाज्मा थेरेपी को कारगर नहीं माना गया है। सूत्रों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों की गंभीरता या उनकी मौत की संभावना को कम करने में प्लाज्मा थेरेपी ज्यादा मददगार साबित नहीं हो रही है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी को कोविड-19 के क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइंस से हटाए जाने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि अब डीआरडीओ की ओर से विकसित 2DG दवा कोरोना मरीजों के इलाज में रामबाण साबित होगी।

पहली लहर में विशेषज्ञों ने किया था यह दावा

जानकारों का कहना है कि कोविड-19 टास्क फोर्स की बैठक के बाद जल्द ही कोविड-19 मरीजों के प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के संबंध में नई गाइडलाइंस जारी की जा सकती है। कोरोना की पहली लहर के दौरान प्लाज्मा थेरेपी को मददगार माना जा रहा था और कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसके जरिए मरीजों के स्वस्थ होने का भी दावा किया था मगर दूसरी लहर के दौरान यह थेरेपी उतनी कारगर नहीं दिख रही है जितना इसके बारे में प्रचार किया जा रहा है।

मरीज की जान बचाने में ज्यादा कारगर नहीं

बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि हर प्लाज्मा में एंटीबॉडी नहीं होती। इसलिए इसे चढ़ाने का फायदा भी नजर नहीं आता। इसके साथ ही मरीज की जान बचाने में भी प्लाज्मा ज्यादा कारगर नहीं है। पहली लहर के दौरान प्लाज्मा से कई मरीजों के स्वस्थ होने के दावे के बाद दूसरी लहर के दौरान प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।

कोरोना मरीज(फोटो-सोशल मीडिया)

गाइडलाइंस से हटेगी प्लाज्मा थेरेपी

आईसीएमआर की कोविड-19 टास्क फोर्स की बैठक में हिस्सा लेने वाले अधिकांश विशेषज्ञों की राय थी कि कोरोना मरीजों के इलाज से संबंधित क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइंस से प्लाज्मा थेरेपी को हटा दिया जाना चाहिए। आईसीएमआर सदस्यों का मानना था कि कोरोना के मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी ज्यादा असरकारक नहीं साबित हो रही है।

अनुचित रूप से भी किया जा रहा इस्तेमाल

कई मामले तो ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें इनका इसका अनुचित रूप से इस्तेमाल भी किया जा रहा है। वैसे आईसीएमआर की ओर से अभी तक इसे लेकर कोई नई गाइडलाइंस नहीं जारी की गई है, लेकिन जानकारों का कहना है कि जल्द ही इस मामले में नई गाइडलाइन जारी की जा सकती है।

मौजूदा क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइन के मुताबिक कोरोना के लक्षणों की शुरुआत के हफ्ते भर के भीतर प्लाज्मा दिया जा सकता है। यह थेरेपी आईसीएमआर के क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का हिस्सा है। आईसीएमआर ने पिछले साल नवंबर में भी कहा था कि वायरल संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का पहले भी इस्तेमाल किया गया है।

गुलेरिया भी नहीं मानते ज्यादा कारगर

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया भी इस थेरेपी को बहुत ज्यादा कारगर नहीं बताते। उनका भी कहना है कि तमाम अध्ययनों से इस बात का पता चलता है कि कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की भूमिका एक हद तक ही सीमित है।

कोरोना मरीज(फोटो-सोशल मीडिया)

प्लाज्मा की हो रही कालाबाजारी

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है और ऐसे में प्लाज्मा की कालाबाजारी की भी शिकायतें सामने आई हैं। आपदा को अवसर मानने वाले मुनाफाखोरों और कालाबाजारी करने वाले लोग कोरोना संकटकाल में काफी सक्रिय हैं।

रेमडेसिविर इंजेक्शन के बाद अब प्लाज्मा की कालाबाजारी का भी पर्दाफाश हो चुका है। नोएडा में अवैध रूप से प्लाज्मा बेच रहे दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। ये आरोपी प्लाज्मा की कालाबाजारी करके मुनाफा कमाने में जुटे हुए थे। इनके पास से पुलिस ने बड़ी रकम भी बरामद की है।

अब इलाज में कारगर होगी यह दवा

कोरोना मरीजो के इलाज में अब डीआरडीओ की नई दवा 2 DG को काफी कारगर माना जा रहा है। तीन ट्रायल के बाद 1 मई 2021 को डीसीजीआई की ओर से इस दवा के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गई है। पाउडर के रूप में इस दवा को एक सैशे में दिया जाएगा और इस दवा का उपयोग पानी में घोलकर करना होगा। यह दवा संक्रमित कोशिकाओं पर जाकर वायरस की वृद्धि को रोकने में सक्षम मानी जा रही है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने सोमवार को 10,000 डोज की लॉन्चिंग की।

डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी का कहना है कि यह दवा कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं पर सीधा काम करने में सक्षम है। इसके सेवन से शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक ढंग से काम करेगा और मरीज जल्दी रिकवर होंगे। मरीज के वजन और डॉक्टरी सलाह के आधार पर इस दवा का 5-7 दिन सुबह शाम सेवन करना होगा। अभी एक सप्ताह में इस दवा के करीब 10,000 डोज का उत्पादन होगा।

Vidushi Mishra

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