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खुशखबरी! अब आर्थिक विषमता मेडिकल छात्रों के आड़े नहीं आएगी, PM Modi ने किया ये ऐलान

आर्थिक रूप से कमजोर मेडिकल छात्रों के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 50 फ़ीसदी सीटों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर कर दी गयी है।

Krishna
Written By KrishnaPublished By Bishwajeet Kumar
Published on: 7 March 2022 6:46 PM IST
Narendra Modi
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नरेंद्र मोदी (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया) 

नई दिल्ली। भारत में शुरू से ही मेडिकल औऱ इंजीनियरिंग की पढ़ाई काफी आकर्षक रही है। प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में छात्र इन कोर्सों में दाखिले के लिए परीक्षाएं देते हैं। मेडिकल की शिक्षा अमूमन देश में काफी महंगी मानी जाती है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों (government medical colleges) की कम संख्या होने के कारण कई बार बड़ी संख्या में छात्र निजी कॉलेजों की महंगी फीस के कारण डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए देश के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों (private medical colleges) की आधी सीटों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेज में लगने वाले फीस के बराबर कर दी है।

पीएम मोदी ने दी जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सोमवार को जनऔषधि दिवस के मौके पर देश के लाखों मेडिकल छात्रों को अपने फैसले से अवगत कराया है। उनके इस निर्णय से लाखों मेडिकल छात्रों में हर्ष का माहौल है। पीएम मोदी (PM Modi) ने ट्वीट कर बताया कि कुछ दिन पहले ही सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है जिसका बड़ा लाभ गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को मिलेगा। हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी। जाहिर तौर पर पीएम के इस फैसले से देश के लाखों मेडिकल छात्र और उनके पैरेंट्स को बड़ी राहत के साथ-साथ खुशी मिली है।

निजी कॉलेज में फीस को लेकर होता रहा है बवाल

दरअसल देश के निजी मेडिकल कॉलेज की फीस एक हद से इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि एक आम माता-पिता अपने बच्चे को वहां पढ़ने के लिए नहीं भेज सकता। इसे लेकर बीते कई माह से जबरदस्त हंगामा बरपा हुआ था। छात्र औऱ पालक लगातार मेडिकल कॉलेजों से फीस में कमी करने की मांग कर रहे थे। ऐसे में माना जा रहा था कि सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम आने वाले दिनों में जरूर उठा सकती है।

इसके अलावा हालिया यूक्रेन संकट ने भी भारत में मेडिकल शिक्षा की सबसे बड़ी कमी को सबके सामने ला दिया है। दरअसल यूक्रेन समेत अन्य पूर्वी यूरोप के देशों में मेडिकल की पढ़ाई करने जाने वाले छात्र भारत में महंगी कॉलेज फीस होने के कारण सात समंदर पार जाने का मुश्किल फैसला ले लेते हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस दिशा में बड़ी सकारात्मक पहल होगी।



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