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मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद तेज, प्रमुख नेताओं सहित सहयोगी दलों को भी मिलेगा मौका
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे, पहले मंत्रीमंडल विस्तार में प्रमुख नेताओं सहित ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी महत्वपूर्ण विभाग मिलने की संभावना
नई दिल्ली। केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दो साल से अधिक का समय बीत चुका है मगर अभी तक केंद्रीय मंत्रिपरिषद का एक भी विस्तार नहीं किया गया है। कोरोना महामारी को इसका बड़ा कारण माना जा रहा है। अब दूसरी लहर का कहर कमजोर पड़ने के बाद एक बार फिर मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी इस महीने ही इस दिशा में बड़ा कदम उठा सकते हैं। इस विस्तार के दौरान पार्टी के कई प्रमुख चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसके साथ ही जनता दल यू और अपना दल जैसे सहयोगी दलों को भी मौका दिया जा सकता है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से इस संबंध में सहयोगी दलों के साथ बातचीत भी शुरू की जा चुकी है।
मोदी मंत्रिमंडल में 22 पद खाली
मौजूदा समय में मोदी सरकार में 22 कैबिनेट, 9 स्वतंत्र प्रभार और 29 राज्य मंत्री हैं। इस तरह मंत्रियों की कुल संख्या 68 है जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल में पीएम सहित अधिकतम 82 मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल में अभी भी 22 मंत्रियों के पद खाली हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार के लिए पहले भी मंथन किया गया था मगर कोरोना के तेज संक्रमण के कारण इसे अंजाम नहीं दिया जा सका। अब पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने तेजी पकड़ ली है।
कई मंत्रियों पर काम का बोझ
कई मंत्रियों के निधन और शिवसेना और अकाली दल के एनडीए से बाहर जाने के बाद कई मंत्रियों पर काम का अतिरिक्त बोझ है और माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए मोदी इस बोझ को कम करना चाहते हैं। शिवसेना के अरविंद सावंत के इस्तीफा देने के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास पर्यावरण के अलावा भारी उद्योग मंत्रालय का प्रभार भी है।इसी तरह लोजपा नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का भी प्रभार संभाल रहे हैं।
तोमर के पास कई मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास कृषि मंत्रालय के अलावा ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग भी है। अकाली दल के एनडीए से अलग होने के बाद हरसिमरत कौर बादल के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी तोमर को ही सौंप दी गई है।
श्रीपद नाइक के सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू आयुष मंत्रालय का भी काम देख रहे हैं जबकि सुरेश अंगड़ी के निधन के बाद रेल राज्य मंत्री का पद खाली पड़ा हुआ है। सियासी जानकारों का मानना है कि मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए इन मंत्रियों के काम का बोझ हल्का किया जाएगा ताकि वे अपने मंत्रालय के काम पर फोकस कर सकें।
सिंधिया को भी मिलेगा मंत्री पद का तोहफा
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले और मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मंत्रिमंडल विस्तार में महत्वपूर्ण विभाग मिलने की संभावना है। सिंधिया के कई समर्थकों को मध्यप्रदेश में शिवराज चैहान मंत्रिमंडल में शामिल किया जा चुका है मगर खुद सिंधिया को अभी तक कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। माना जा रहा है भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें इस विस्तार में जरूर एडजेस्ट करेगा।
सोनोवाल और मुकुल रॉय पर भी नजरें
असम में भाजपा की सत्ता में वापसी के बावजूद इस बार सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सोनोवाल की अगुवाई में इस बार भाजपा राज्य में अपनी सरकार बनाए रखने में कामयाब रही है मगर उन्हें मुख्यमंत्री का पद नहीं मिल सका।
ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के लिए संभावना है। पश्चिम बंगाल के नेता मुकुल रॉय को लेकर हाल के दिनों में सियासी अटकलों का बाजार गरम है। ऐसे में पार्टी की नजर मुकुल रॉय पर भी है और वे भी इस विस्तार के दौरान फायदा पा सकते हैं।
सहयोगी दलों को भी मौका देंगे मोदी
मोदी मंत्रिमंडल के बहुप्रतीक्षित विस्तार में सहयोगी दलों जदयू और अपना दल को भी मौका दिए जाने की संभावना है। अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को अचानक गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। जानकारों के मुताबिक शाह के बुलावे पर उनसे मिलने पहुंची अनुप्रिया पटेल ने केंद्र में अपने लिए और योगी सरकार में अपने पति आशीष पटेल के लिए पद की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पांच जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भी भाजपा से समर्थन मांगा है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में अनुप्रिया पटेल को भी मौका दिया जा सकता है।
नीतीश की भी मिल चुकी है सहमति
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दल के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने पर सहमति दे दी है। नीतीश की सहमति के बाद अब जदयू को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलना तय माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक जदयू को कैबिनेट और राज्यमंत्री का एक-एक पद मिल सकता है।
लोजपा नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में लोजपा का प्रतिनिधित्व भी खत्म हो गया है। लोजपा को लेकर तस्वीर अभी साफ नहीं हो सकी है क्योंकि बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में लोजपा मुखिया चिराग पासवान ने एनडीए के खिलाफ लोजपा के प्रत्याशी उतार दिए थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लोजपा के हमलावर रुख के कारण जदयू का भी इसके लिए तैयार होना बड़ा मुश्किल है। जानकारों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व इस मामले को ठंडे बस्ते में ही रखने का पक्षधर है।