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श्वेत पत्र पर सियासी घमासान: भाजपा ने कांग्रेस को घेरा, स्मृति ने राहुल को बताया ज्ञानी बाबा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सरकार के प्रबंधन पर हमला करते हुए डेढ़ सौ पन्नों का श्वेत पत्र जारी किया है।
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सरकार के प्रबंधन पर हमला करते हुए डेढ़ सौ पन्नों का श्वेत पत्र जारी किया है। कांग्रेस नेता ने तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार से अभी से ही पूरी तैयारी करने और वैक्सीनेशन के अभियान को तेज करने का अनुरोध किया है। राहुल की ओर से श्वेत पत्र जारी किए जाने के बाद सियासी घमासान छिड़ गया है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को ज्ञानी बाबा बताते हुए उनका मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि श्वेत पत्र जारी करने के बजाय राहुल गांधी को आत्मावलोकन करना चाहिए क्योंकि कांग्रेस शासित राज्य कोविड प्रबंधन में बुरी तरह विफल साबित हुए हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी आरोप लगाया कि कोरोना की दूसरी लहर कांग्रेस शासित राज्यों से ही शुरू हुई। उन्होंने कांग्रेस पर महामारी के खिलाफ लड़ाई में अड़ंगा डालने का भी आरोप लगाया।
आत्म निरीक्षण करें राहुल गांधी
राहुल गांधी की ओर से केंद्र सरकार पर उंगली उठाए जाने के बाद भाजपा की ओर से स्मृति ईरानी मैदान में उतर गईं। उन्होंने राहुल गांधी को ज्ञानी बाबा बताते हुए कहा कि वे आज प्रधानमंत्री को ज्ञान के मोती दे रहे हैं मगर उन्हें आत्म निरीक्षण भी करना चाहिए। ईरानी ने कहा कि हर किसी को पता है कि दूसरी लहर की शुरुआत कांग्रेस शासित राज्यों से ही हुई। देश में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें भी कांग्रेस शासित राज्यों में ही दर्ज की गई हैं।
राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद स्मृति ईरानी ने ताबड़तोड़ ट्वीट करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष को घेरा। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोरोना के सबसे ज्यादा मामले कांग्रेस शासित राज्यों में ही दर्ज किए गए। वैक्सीन को लेकर कांग्रेस शासित राज्यों में ही हिचकिचाहट पैदा की गई। कांग्रेस शासित राज्यों में ही सबसे अधिक सकारात्मकता दर भी दर्ज की गई।
फेल साबित हुए कांग्रेस शासित राज्य
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों की ओर से ही केंद्र सरकार से वैक्सीन की खरीद के विकेंद्रीकरण की मांग की गई थी। केंद्र सरकार की ओर से अनुमति दिए जाने के बाद जब ये राज्य फेल हो गए तो अपने रुख से पलट गए। कांग्रेस शासित राज्य टीकाकरण के मामले में भी फिसड्डी साबित हुए। ऐसे में ज्ञानी बाबा देश की सरकार को ज्ञान देने में लगे हुए हैं। उन्हें अपनी पार्टी और अपनी पार्टी द्वारा शासित राज्यों को देखना चाहिए।
भाजपा के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वैक्सीन को लेकर लोगों में हिचकिचाहट और भ्रम पैदा करने का करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने अभी तक टीका लगवाया है या नहीं।
कांग्रेस शासित राज्यों से शुरू हुई लहर
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी राहुल गांधी को घेरते हुए कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में जब भी सरकार की ओर से अच्छा प्रदर्शन किया जाता है तो राहुल गांधी इसे पटरी से उतारने के लिए आगे आ जाते हैं। उन्होंने कांग्रेस पर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अड़ंगा डालने का आरोप लगाया। पात्रा ने कहा कि भाजपा को नसीहत देने से पहले राहुल गांधी को कांग्रेस शासित राज्यों के प्रदर्शन को देखना चाहिए।
कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत कांग्रेस शासित राज्यों से ही हुई और टीकाकरण की सुस्त रफ़्तार और टीकों की बर्बादी के मामले में कांग्रेस शासित राज्य ही अव्वल हैं। जब देश में एक दिन में अस्सी लाख से अधिक लोगों को टीका लगाकर रिकॉर्ड बनाया गया तो राहुल गांधी एक बार फिर अभियान में अड़ंगा डालने के लिए सामने आ गए। अब श्वेत पत्र के जरिए टीकाकरण अभियान को पटरी से उतारने की साजिश की जा रही है।
स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाए सरकार
इससे पहले श्वेत पत्र जारी करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से मांग की कि भाजपा शासित और विपक्ष के राज्यों में समान रूप से टीके उपलब्ध कराए जाने चाहिए। उन्होंने गरीबों को आर्थिक मदद देने और प्रभावित परिवारों की मदद के लिए मुआवजा कोष स्थापित करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अभी से ही ढांचागत स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाया जाना चाहिए। ऑक्सीजन, बेड और दवाओं आदि की उपलब्धता के लिए पूरी तैयारी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न मदों में जनता से टैक्स ले रही है। इसलिए मुआवजा देने में सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए।
राहुल ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसे 75 फ़ीसदी लोगों की जान बचाई जा सकती थी जिनको कोरोना ने लील लिया। पीएम के आंसुओं से नहीं बल्कि ऑक्सीजन पहुंचाकर लोगों की जान बचाई जा सकती है। पीड़ित परिवारों के दर्द को पीएम के आंसू नहीं दूर कर सकते।