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Power Crisis in UP: बना रहेगा बिजली संकट, जब तक कोयला बंदरगाहों से बिजली घरों तक नहीं पहुंचेगा

Power Crisis in UP: देश भर में यात्री ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है, फिर भी कोयला नहीं पहुंच पा रहा है। आयातित कोयला बंदरगाहों पर आएगा और बंदरगाहों से रेलवे रेक के अभाव में यह कोयला ताप बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा यह बड़ा सवाल है।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Deepak Kumar
Published on: 4 May 2022 3:20 PM GMT
Power Crisis
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Power Crisis: Photo Credit - Social Media  

Power Crisis in UP: एक ओर कोल इंडिया कह रहा है कि उसने पिछले वर्ष की तुलना में 15.6 प्रतिशत अधिक उत्पादन किया है और यह उत्पादित कोयला रेलवे रैक की कमी के कारण ताप बिजली घरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। देश भर में यात्री ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है फिर भी कोयला नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में यदि कोयला आयात कर भी लिया गया तो आयातित कोयला बंदरगाहों पर आएगा और बंदरगाहों से रेलवे रेक के अभाव में यह कोयला ताप बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा यह बड़ा सवाल है। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय (Union Ministry of Power) द्वारा जारी आदेश के अनुसार सभी ताप बिजली घरों को 31 मई 2022 तक आयातित कोयले के खरीद के आदेश जारी कर देने हैं और 50 प्रतिशत की डिलीवरी 30 जून तक, 40 प्रतिशत की डिलीवरी 31 अगस्त तक और शेष 10 प्रतिशत की डिलीवरी 31 अक्टूबर तक सुनिश्चित करनी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कोयला संकट बहुत गंभीर है और अभी इसे कई महीनों तक चलना है।

बिजली घर को इतने टन कोयले की जरूरत

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन (Uttar Pradesh State Power Generation) के अनपरा ताप बिजली घर को 853000 टन, और ओबरा,हरदुआगंज व पारीछा ताप बिजली घरों को 1286000 टन कोयला आयात करने का लक्ष्य दिया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा बिजली उत्पादन घरों को कोयला आयात करने के लिए भेजे गये पत्र पर बिजली इंजीनियर्स फेडेरेशन ने सवाल उठाते हुए कहा कि आयातित कोयले से चलने वाले निजी घरानों के बड़े बिजलीघर आज के बिजली संकट में क्यों बन्द पड़े हैंः जब डोमेस्टिक कोयला बिजली उत्पादन घरों तक पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं तो आयातित कोयला बंदरगाहों से बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा।

कोयला आयात करना समस्या का समाधान

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय (Union Power Ministry) द्वारा एक बार पुनः राज्य सरकार के बिजली उत्पादन घरों और निजी क्षेत्र के बिजली घरों को कोयला संकट के दौर में कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कोयला आयातित करने के निर्देश जारी किए जाने पर ऑल इंडिया

पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। फेडरेशन ने सवाल किया कि यदि कोयला आयात करना समस्या का समाधान है तो आयातित कोयले से चलने वाले निजी घरानों के बड़े बिजलीघर आज के बिजली संकट में क्यों बन्द पड़े हैं ?

निजी व सरकारी बिजली घरों में इतना टन कोयला आयात

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (All India Power Engineers Federation) के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे (Chairman Shailendra Dubey) ने कहा कि जब तक डोमेस्टिक कोयला बिजली घरों तक पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हो जाते तब तक आयातित कोयला बंदरगाहों से ताप बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा यह बिजली विभाग को स्पष्ट करना चाहिए। शैलेन्द्र दुबे (Chairman Shailendra Dubey) ने कहा कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा 28 अप्रैल को जारी पत्र में राज्य के ताप बिजली घरों से 22.049 मिलियन टन और निजी क्षेत्र के बिजली घरों से 15.936 मिलियन टन कोयला आयात करने को कहा गया है।

उन्होंने कहा कि जहां एक और केंद्रीय विद्युत मंत्रालय राज्यों के सरकारी ताप बिजली घरों पर कोयला आयात करने का दवाब डाल रहा है वहीं दूसरी ओर आयातित कोयले से चलने वाले गुजरात में मूंदड़ा स्थित अदानी के 4600 मेगावाट के ताप बिजली घर ,टाटा के 4000 मेगावाट के ताप बिजलीघर तथा कर्नाटक में उदीपी स्थित अदानी के 1200 मेगावॉट के ताप बिजलीघर को इस सम्बंध में कोई निर्देश नहीं जारी किए गये हैं। इन बिजली घरों का नाम भी विद्युत मंत्रालय के पत्र में नहीं है जबकि ये बिजलीघर समुद्र के तट पर हैं और आयातित कोयला लेना इनके लिए सबसे आसान है। आयातित कोयले की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने के बाद ये बिजलीघर बन्द पड़े हैं। उन्होंने बताया कि अदानी का हरियाणा के साथ 1424 मेगावॉट बिजली 25 साल तक देने का करार है किन्तु अदानी ने पिछले वर्ष अगस्त से हरियाणा को बिजली देना बन्द कर दिया है।

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Deepak Kumar

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