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Budget 2022: सरकार के एजेंडे में निजीकरण की रफ्तार हुई सुस्त

संयोग से, सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में 'निजीकरण' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, पिछले साल उनकी बजट प्रस्तुति में निजीकरण को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Divyanshu Rao
Published on: 2 Feb 2022 2:45 PM IST
Budget 2022-23
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प्राइवेटाइजेशन की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Budget 2022: सरकार ने विनिवेश के अपने महत्वाकांक्षी एजेंडे को अब सीमित कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जहां 2021-22 के बजट अनुमानों में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था, वहीं अब 2022-23 के लिए उन्होंने 78,000 करोड़ रुपये का टारगेट रखा है।

संयोग से, सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में 'निजीकरण' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, पिछले साल उनकी बजट प्रस्तुति में निजीकरण को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था। और विपक्षी दलों की घेराबंदी इसी बात पर थी कि सरकार अपना सब कुछ बेचे दे रही है। इस वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय वर्ष के लिए 78,000 करोड़ रुपये का संशोधित लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन ये भी बहुत कुछ जीवन बीमा निगम के प्रस्तावित सार्वजनिक निर्गम पर निर्भर करेगा। इस आईपीओ के मार्च तक बाजार में आने की उम्मीद है।

वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार ने विनिवेश से 37,896 करोड़ रुपये जुटाए थे। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में इसने अब तक 12,030 करोड़ रुपये जुटाए हैं।सरकार ने अब तक विनिवेश के जरिए 2017-18 में सबसे ज्यादा 100,045 करोड़ रुपये जुटाए थे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

पिछला बजट

पिछले साल के बजट में निजीकरण और संपत्ति मुद्रीकरण पर बहुत जोर दिया गया था। पिछले वित्त वर्ष में सरकार एयर इंडिया और नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड को टाटा समूह को बेचने में सफल रही। लेकिन राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन और बैंकों का निजीकरण का काम अभी गति प्राप्त नहीं कर पाया है।

वित्त मंत्री ने पिछले साल घोषणा की थी कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के लिए जाएगी। लेकिन अभी तक बात आगे नहीं बढ़ी है। दो बैंकों और बीपीसीएल का निजीकरण अब अगले साल तक बढ़ने की उम्मीद है। ये भी उम्मीद है कि आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी की बिक्री भी अगले साल तक ही हो पाएगी।

बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन ऐसा लगता है कि बैंक यूनियनों द्वारा निजीकरण का विरोध, कृषि कानूनों में कमी और आगामी विधानसभा चुनावों का बैंकों के निजीकरण के समय पर असर पड़ा है।

निजीकरण के लिए पाइपलाइन में शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, बीईएमएल, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और पवन हंस शामिल हैं।

सरकार ने अनुमानित 6 लाख करोड़ रुपये की चार साल की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (नेशनल मोनेटाईजेशन पाइपलाइन) रखी थी जिसके तहत सड़क, रेलवे और बिजली क्षेत्र की संपत्ति में मुद्रीकृत होने वाली संपत्ति के कुल अनुमानित मूल्य का 66% से अधिक शामिल होगा, बाकी दूरसंचार, खनन, विमानन, बंदरगाहों, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइनों, गोदामों और स्टेडियमों सहित क्षेत्रों में होगा।

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Divyanshu Rao

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