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नाथ पंथ साहित्य के आईने में कार्यक्रम का आयोजन
नाथ पंथ साहित्य के आईने में कार्यक्रम का आयोजन किया गया...
नाथ पंथ साहित्य के आईने में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल हुए नाथ पंथ के मनीषी उड़ीसा के महंत शिव नाथ योगी तथा उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी , वाणी प्रकाशन दिल्ली के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी और नाथ संप्रदाय साहित्य के लेखक डॉअरुण कुमार त्रिपाठी। कार्यक्रम का संचालन आशीष चतुर्वेदी कार्यक्रम अधिशासी प्रसार भारती ने की।
नाथ संप्रदाय बहुत प्राचीन संप्रदाय है
इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रो त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति और साहित्य के विषय में अपनी बातें साझा की और उन्होंने कहा कि साहित्य और साहित्यकार जिनका मौलिक धर्म है समाज को जीवन की सास्वत और सामर्थन मूल्य के साथ जोड़ने के दिशा में बढ़ावा देना । क्योंकि परमात्मा जी सृष्टि में सर्वांगसम कुछ भी नहीं है । जैसे जैसे समय बीतता है विचारों में दर्शन में दृष्टि में आचरण में व्यवहार में विकृतियां और विसंगतियां आ जाती है । यद्यपि जीवन दृष्टि और विचार मे जब-जब विसंगतियां और विकृतियां आई तब -तब कोई कारक कोटि का पुरुष इस धरा धाम पर आया। साहित्य और साहित्यकार दोनों साहित्य के सनातन सिद्धांतों को विसंगतियों से बचाकर मानवता के पथ प्रदर्शन का काम करते हैं । उन्होंने गोरक्षनाथ के सबदी तथा भर्तृहरि के श्लोकों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन नाथ सिद्धों के बताए मार्ग पर चलने से हम जहां शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं वही दूसरे तरफ मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय के महायोगी गुरु गोरखनाथ शोध पीठ के विशेष कार्यकारी अधिकारी प्रोफेसर रविशंकर सिंह और डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी की पुस्तक नवनाथ का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे ऋषि मनीषियों के विचारों और जीवन पर दृष्टि डालने वाले इस तरह की साहित्य का सृजन होना आवश्यक है । उन्होंने नाथ पंथ के गोरखपीठ की सराहना करते हुए कहा की राम मंदिर निर्माण में इस मठ की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। राम केवल पूजा के प्रतिष्ठान ही नहीं है ,आज के युग में राम का आचरण ही केवल ऐसा आचरण है जो अनुकरण योग्य है।
शिव के उपदेश को आगे तक ले जाया गया
इस अवसर पर भुवनेश्वर उड़ीसा से नाथ पंथ के मनीषी महंत शिव नाथ योगी ने नाथ पंथ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नाथ संप्रदाय बहुत प्राचीन संप्रदाय है यह संप्रदाय भगवान शिव के उपदेश पर आधारित है इसमें नवनाथ तथा 84 सिद्ध प्रसिद्ध है, जिनके माध्यम से शिव के उपदेश को आगे तक ले जाया गया। उन्होंने सिद्ध सिद्धांत पद्धती तथा हठयोग प्रदीपिका का उल्लेख करते हुए कहा की हठ योग के द्वारा मुक्ति मार्ग प्रशस्त होता है । उन्होंने कहा की नाथ संप्रदाय की 4 देन है योग, तंत्र ,आयुर्वेद और साहित्य। योग नाथ पंथ की प्रमुख देन है, गोरखनाथ इसके श्रष्टा हैं, तंत्र मत्स्येंद्रनाथ की देन है, इसके माध्यम से कुंडलिनी जागरण का विधान है , कुंडलिनी जागॄत होकर षट चक्र भेदन करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है । आयुर्वेद में नागार्जुन या नागनाथ प्रमुख सिद्ध थे। इसके अतिरिक्त चरपट नाथ भी रस सिद्ध थे । उड़िया ,बंगला तथा असमिया साहित्य के रचनाकार मछंदर नाथ तथा हिंदी साहित्य में गोरक्षनाथ की रचनाएं प्राप्त होती हैं । उन्होंने अनेक रचनाओं का वाचन भी किया। उन्होंने वाणी प्रकाशन से प्रकाशित नवनाथ नामक पुस्तक की सराहना की तथा इसके लेखक रविशंकर एवं अरुण को धन्यवाद दिया।
रेडियो पर सुनाया जाएगा कार्यक्रम
इस अवसर पर वाणी प्रकाशन दिल्ली के प्रबंध निदेशक अरुण महेश्वरी ने कहा कि उनका प्रकाशन नाथ पंथ की अनेक साहित्य का प्रकाशन कर रही है जिसमें नवनाथ सहित अनेक ग्रंथ शामिल हैं। इस अवसर पर नाथ साहित्य के लेखक डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा की महायोगी गुरु गोरखनाथ के द्वारा प्रणीत योग के माध्यम से जहां लोग निरोगी होते हैं वही कुंडलिनी जागरण के माध्यम से उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है उन्होंने गोरक्षनाथ के रचनाओं पर भी प्रकाश डाला । इस कार्यक्रम का प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से पूरे विश्व में 2 अगस्त रात्रि 10:00 बजे किया जाएगा। इस कार्यक्रम का निर्देशन आकाशवाणी के निदेशक लोकेश कुमार शुक्ल द्वारा किया गया।
नाथ पंथ साहित्य के आईने में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल हुए नाथ पंथ के मनीषी उड़ीसा के महंत शिव नाथ योगी तथा उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी , वाणी प्रकाशन दिल्ली के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी और नाथ संप्रदाय साहित्य के लेखक डॉअरुण कुमार त्रिपाठी। कार्यक्रम का संचालन आशीष चतुर्वेदी कार्यक्रम अधिशासी प्रसार भारती ने की
। इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रो त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति और साहित्य के विषय में अपनी बातें साझा की और उन्होंने कहा कि साहित्य और साहित्यकार जिनका मौलिक धर्म है समाज को जीवन की सास्वत और सामर्थन मूल्य के साथ जोड़ने के दिशा में बढ़ावा देना । क्योंकि परमात्मा जी सृष्टि में सर्वांगसम कुछ भी नहीं है । जैसे जैसे समय बीतता है विचारों में दर्शन में दृष्टि में आचरण में व्यवहार में विकृतियां और विसंगतियां आ जाती है । यद्यपि जीवन दृष्टि और विचार मे जब-जब विसंगतियां और विकृतियां आई तब -तब कोई कारक कोटि का पुरुष इस धरा धाम पर आया। साहित्य और साहित्यकार दोनों साहित्य के सनातन सिद्धांतों को विसंगतियों से बचाकर मानवता के पथ प्रदर्शन का काम करते हैं । उन्होंने गोरक्षनाथ के सबदी तथा भर्तृहरि के श्लोकों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन नाथ सिद्धों के बताए मार्ग पर चलने से हम जहां शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं वही दूसरे तरफ मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय के महायोगी गुरु गोरखनाथ शोध पीठ के विशेष कार्यकारी अधिकारी प्रोफेसर रविशंकर सिंह और डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी की पुस्तक नवनाथ का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे ऋषि मनीषियों के विचारों तथा जीवन पर दृष्टि डालने वाले इस तरह की साहित्य का सृजन होना आवश्यक है । उन्होंने नाथ पंथ के गोरखपीठ की सराहना करते हुए कहा की राम मंदिर निर्माण में इस मठ की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। राम केवल पूजा के प्रतिष्ठान ही नहीं है ,आज के युग में राम का आचरण ही केवल ऐसा आचरण है जो अनुकरण योग्य है। इस अवसर पर भुवनेश्वर उड़ीसा से नाथ पंथ के मनीषी महंत शिव नाथ योगी ने नाथ पंथ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नाथ संप्रदाय बहुत प्राचीन संप्रदाय है यह संप्रदाय भगवान शिव के उपदेश पर आधारित है इसमें नवनाथ तथा 84 सिद्ध प्रसिद्ध है, जिनके माध्यम से शिव के उपदेश को आगे तक ले जाया गया। उन्होंने सिद्ध सिद्धांत पद्धती तथा हठयोग प्रदीपिका का उल्लेख करते हुए कहा की हठ योग के द्वारा मुक्ति मार्ग प्रशस्त होता है । उन्होंने कहा की नाथ संप्रदाय की 4 देन है योग, तंत्र ,आयुर्वेद और साहित्य। योग नाथ पंथ की प्रमुख देन है, गोरखनाथ इसके श्रष्टा हैं, तंत्र मत्स्येंद्रनाथ की देन है, इसके माध्यम से कुंडलिनी जागरण का विधान है , कुंडलिनी जागॄत होकर षट चक्र भेदन करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है । आयुर्वेद में नागार्जुन या नागनाथ प्रमुख सिद्ध थे। इसके अतिरिक्त चरपट नाथ भी रस सिद्ध थे । उड़िया ,बंगला तथा असमिया साहित्य के रचनाकार मछंदर नाथ तथा हिंदी साहित्य में गोरक्षनाथ की रचनाएं प्राप्त होती हैं । उन्होंने अनेक रचनाओं का वाचन भी किया। उन्होंने वाणी प्रकाशन से प्रकाशित नवनाथ नामक पुस्तक की सराहना की तथा इसके लेखक रविशंकर एवं अरुण को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर वाणी प्रकाशन दिल्ली के प्रबंध निदेशक अरुण महेश्वरी ने कहा कि उनका प्रकाशन नाथ पंथ की अनेक साहित्य का प्रकाशन कर रही है जिसमें नवनाथ सहित अनेक ग्रंथ शामिल हैं। इस अवसर पर नाथ साहित्य के लेखक डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा की महायोगी गुरु गोरखनाथ के द्वारा प्रणीत योग के माध्यम से जहां लोग निरोगी होते हैं वही कुंडलिनी जागरण के माध्यम से उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है उन्होंने गोरक्षनाथ के रचनाओं पर भी प्रकाश डाला । इस कार्यक्रम का प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से पूरे विश्व में 2 अगस्त रात्रि 10:00 बजे किया जाएगा। इस कार्यक्रम का निर्देशन आकाशवाणी के निदेशक लोकेश कुमार शुक्ल द्वारा किया गया।