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Provocative Speeches: सुप्रीम कोर्ट करेगा 'धर्म संसद' मामले की सुनवाई

Provocative Speeches: कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की याचिका पर हरिद्वार की ‘धर्म संसद’ में भड़काऊ बयानबाजी से संबंधित मामले की सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 10 Jan 2022 11:08 AM GMT
Provocative Speeches: Supreme Court to hear Dharma Sansad case
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सुप्रीम कोर्ट करेगा 'धर्म संसद' मामले की सुनवाई: Photo - Social Media

New Delhi: हरिद्वार की 'धर्म संसद' में भड़काऊ बयानबाजी से संबंधित मामले की सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तैयार हो गया है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Congress leader and senior advocate Kapil Sibal) की याचिका स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना (Chief Justice NV Ramanna) ने कहा है कि कोर्ट मामले पर सुनवाई करेगा।

धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषणों (inflammatory speeches) पर राजनीतिक पार्टियों के अलावा विभिन्न वर्गों के प्रबुद्ध लोगों ने भी सवाल खड़े किए थे। सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भी मामले में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कोर्ट से 'जातीय संहार' का आह्वान करने वाले धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों का स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया था।

भड़काऊ बयानबाजी मामले पर सम्मानित हस्तियों ने पीएम और राष्ट्रपति को लिखे थे पत्र

उन्होंने कहा था कि मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है। इसके अलावा पांच पूर्व सैन्य प्रमुखों, कई नौकरशाहों और दूसरी कई सम्मानित हस्तियों ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस तरह के मामलों का संज्ञान लेने को कहा था। पात्र में कहा गया था कि इससे आपसी भाईचारा खराब होगा और बाहरी ताकतें इसका फायदा उठा सकती हैं।

भड़काऊ भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है

सिब्बल की याचिका में मामले में स्वतंत्र जांच और भड़काऊ भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। सिब्बल ने याचिका दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश का नारा 'सत्यमेव जयते' से बदलकर 'शस्त्रमेव जयते' हो गया है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि ये मामला बेहद गंभीर है और इसमें अभी तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए। कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या मामले में कोई जांच नहीं हुई है, तो जवाब में सिब्बल ने कहा कि मामले में एफआईआर दर्ज हुई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

क्या है मामला

हरिद्वार में पिछले साल 17-19 दिसंबर को 'धर्म संसद' में कुछ संतों ने भड़काऊ बयान दिए थे और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया था। शुरूआत में मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन जब इस पर विवाद खड़ा हुए तो उत्तराखंड पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की। प्राथमिकी में जीतेंद्र त्यागी, साध्वी अन्नपू्र्णा और धर्मदास, यति नरसिंहानंद और सागर सिंधु समेत पांच लोगों को नामजद किया गया है। नरसिंहानंद कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे और वे पहले भी ऐसे भड़काऊ बयान दे चुके हैं।

उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर डीआइजी गढ़वाल रेंज करण सिंह नग्नयाल ने एसआइटी गठित की है। एसपी देहात देहरादून कमलेश उपाध्याय को एसआइटी की कमान सौंपी गई है। अभी तक एसआइटी पूर्व में की गई कार्रवाई को लेकर दस्तावेजों को खंगाला रही है। वीडियो की पड़ताल भी जा रही है। विवेचक मनीष उपाध्याय ने बताया है कि जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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