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Tokyo Olympics: कौन है मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा

टोक्यो ओलंपिक में मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा विपक्षियों पर मुक्के बरसाती नजर आएंगी...

Ragini Sinha
Written By Ragini Sinha
Published on: 27 July 2021 5:49 PM GMT
Puja rani bohra wiki biography
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मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा के बारे में जानें ( social media)

Tokyo Olympic: टोक्यो ओलंपिक में मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा 75 किलोग्राम भारवर्ग में विपक्षियों पर मुक्के बरसाती नजर आएंगी। इसके लिए वह इटली में कोचिंग ले रही हैं। पूजा रानी मुक्केबाज मेरी कॉम को अपना रोल मॉडल मानती हैं। वह उन्हीं के साथ टोक्यो में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी।

हरियाणा की रहने वाली हैं पूजा

पूजा का जन्म हरियाणा के भिवानी में हुआ है। उन्हें अच्छी कोचिंग और प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए बहुत अधिक भटकना नहीं पड़ा, लेकिन उनके सामने एक दिक्कत जरूर थी। पूजा के पिता उन्हें बॉक्सर बनने के सख्त खिलाफ थे। पूजा बताती हैं कि उनके पिता ने उन्हें ऊंची आवाज में चेतावनी दी थी। उन्होंने उनसे कहा था, "अच्छे बच्चे बॉक्सिंग नहीं खेलते हैं।"

मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा के बारे में जानें ( social media)

पूजा के इस शौक से परिवार वाले थे नाखुश

पूजा रानी ने अपने पिता से छिपकर अपने शहर में हवा सिंह बॉक्सिंग अकादमी में शामिल हुईं। वह अपनी चोटों को खेल से छिपाती थी, ताकि उसके पिता को पता न चले। पूजा को लगभग छह महीने तक पेशेवर प्रतिस्पर्धा की अनुमति देने के लिए अपने पिता की खेल के प्रति नापसंदगी के खिलाफ लड़ना पड़ा। जब पूजा के पिता को उसकी मुक्केबाजी की महत्वाकांक्षाओं के बारे में पता चला, तो उन्होंने उसे कक्षाओं में जाने से रोक दिया, जिसके बाद उसके कोच संजय कुमार श्योराण को अपने परिवार से उसे प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देने के लिए विनती करनी पड़ी, लेकिन पूजा को उसके माता-पिता मनाने में लगभग छह महीने लग गए।

जीत हासिल करती हुईं मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा (social media)

पूजा विपक्षी को रिंग से बाहर निकलने पर मजबूर कर देती हैं

पूजा रानी के कोच संजय श्योराण के मुताबिक, वह रोज सुबह और शाम को तीन-तीन घंटे तक विश्व की टॉप महिला बॉक्सरों के साथ अभ्यास कर रहीं हैं। पहले ओलंपिक पदक विजेताओं की बाऊट की वीडियो देखकर भी बारिकियां सीख रही हैं। वह राइट के साथ लेफ्ट पंच का जबरदस्त इस्तेमाल करके प्रतिद्वंद्वी महिला बॉक्सर को रिंग से बाहर निकलने पर मजबूर कर देती हैं।

पूजा पहले बास्केटबॉल में करियर बनाना चाहती थी

पूजा को मुक्केबाजी से पहले बास्केट बॉल में दिलचस्पी थी। वह कॉलेज के समय बास्केट बॉल में अपना करियर बनान चाहती थीं, लेकिन कोच संजय के कहने पर उन्होंने मुक्केबाजी को अपना लिया। जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार अपने नाम किए। प्रदेश सरकार पूजा को भीम अवॉर्ड से सम्मानित भी कर चुकी है।

मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा के बारे में जानें ( social media)

2009 में जीता नेशनल यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप

पूजा ने 2009 में नेशनल यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती, जिसके बाद वह नेशनल लेवल पर आ गईं। इसके बाद उन्होंने 2012 एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप और ऑस्ट्रेलिया में आरिफुरा खेलों में रजत पदक जीते, 2016 के रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले शीर्ष प्रतियोगियों में से एक बन गए। हालांकि, वह 2016 में एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के दूसरे दौर में हार गईं और इस तरह रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहीं।

पूजा ने ओलंपिक कोटा किया अपने नाम

जॉर्डन में हुए ओलंपिक क्वालीफाई कर 75 किग्रा भार कैटेगरी में थाइलैंड की मुक्केबाज को हराकर पूजा ने ओलंपिक कोट अपने नाम कर लिया। पूजा ने यह उपलब्धि 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हासिल की। पूजा के पिता राजबीर सिंह और मां दमयंती को उनपर गर्व है।

करियर में लगा ब्रेक

पूजा की कामयाबी की राह में ऐसा समय भी आया जब उन्हें 2 साल के लिए मुक्केबाजी से दूर रहना पड़ा। दरअसल साल 2015 के दौरान दिवाली के दिन उनका हाथ जल गया था। जिसे ठीक होने में लगभग दो साल का वक्त लग गया। जिसके बाद जब उनका हाथ ठीक हुआ तो वह फिर से रिंग में उतरीं और कामयाबी के नए कीर्तिमान स्थापित किए।

पूजा की उपलब्धियां इस प्रकार हैं

  • 2011 में आस्ट्रेलिया में अराफूरा गेम्स में सिल्वर पदक
  • 2011 में ओपन बॉक्सिंग में कांस्य पदक
  • 2012 में मंगोलिया में एशियन महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर पदक
  • 2014 में कोरिया में 17वें एशियन गेम्स में कांस्य पदक
  • 2015 में चीन में 7वीं एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक
  • 2016 में सरबिया में पांचवें राष्ट्रीय मुक्केबाजी खेलों में कांस्य पदक
  • 2019 में एशियन वूमेन एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
  • 2021 में दुबई में एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
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