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Punjab Assembly Election 2022: एक नजर पंजाब चुनाव की ओर, किसकी बनेगी सरकार
Punjab Assembly Election 2022: पंजाब में विधानसभा चुनाव बस महीने भर दूर रह गए हैं। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टियों ने चुनाव के लिए अपनी कमर कस ली है लेकिन पंजाब की सियासत पर वहां के डेरों का बहुत प्रभाव है।
Punjab Assembly Election 2022: चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान कर दिया गया है। जिसके बाद से चुनावी राज्यों में सियासी पारा और ऊपर चढ़ गया है। इन पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर के साथ पंजाब भी शामिल है। चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद से ही राज्य में सियासी उठापटक तेज हो गई है। सभी राजनीतिक दल अपने समीकरण साधने के लिए एड़ी चोटी का बल लगा रहे हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव में बढ़ते कोरोनावायरस संक्रमण के मद्देनजर चुनाव आयोग ने सभी प्रकार के रैलियों जुलूस और सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, केवल वर्चुअल रैली की छूट है। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद से ही पंजाब के नेता चुनाव प्रचार करने के लिए तरह-तरह के तरीके भी अपनाने लगे हैं। कोई नेता किसी को जन्मदिन की बधाई देने के बहाने शगुन दे रहे हैं तो कुछ नेता किसी की शादियों और त्यौहारों में जाकर उपस्थिति जता रहे हैं। अब देखना यह होगा कि पंजाब के चुनावी माहौल किस पार्टी की लहर चल रही है।
बात अगर सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस की करें तो पिछले 1 साल में पंजाब कांग्रेस में कई उठापटक रही जिसमें पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए कांग्रेस का भी साथ छोड़ दिया। और खुद की एक नई पार्टी बनाई जिसके बाद पंजाब कांग्रेस ने नए मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह को चुना। विधानसभा चुनाव 2022 की लड़ाई कांग्रेस पार्टी चरणजीत सिंह चन्नी के अगुआई में ही लड़ने वाली है।
लेकिन इस चुनाव का एक दूसरा बड़ा पहलू कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देते हुए अपनी खुद की 'पंजाब लोक कांग्रेस' नाम की एक नई राजनीतिक पार्टी बनाई है। विधानसभा चुनाव 2022 की लड़ाई कैप्टन अमरिंदर सिंह भारतीय जनता पार्टी और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके सुखदेव सिंह के शिरोमणि अकाली दल संयुक्त के साथ गठबंधन कर लड़ने की तैयारी है।
वही पंजाब के 2022 विधानसभा चुनाव के लिए प्रमुख लड़ाई में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी शामिल है। अगर पिछले विधानसभा चुनाव के ओर गौर करें तो उस चुनाव में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में आम आदमी पार्टी है उभरी थी। जिसके बाद से आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी सक्रियता और बढ़ा दी है। 2022 विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
पंजाब के सियासत पर डेरा का प्रभाव
पंजाब के सियासत पर हमेशा से एक असर डालने वाला सबसे बड़ा फैक्वटर वहां के डेरा भी रहे हैं। कहा जाता है कि पंजाब का डेरा ही वहां के सत्ता की कुंजी है। अगर अनुमानित आंकड़ों को देखें तो पंजाब में तकरीबन 11000 दे रहे हैं। और पंजाब के नेता डेरों पर हमेशा सजदा करते रहते हैं। इन डेरों का प्रभाव इतना ज्यादा है पंजाब की कुल 117 विधानसभा सीटों में से 93 विधानसभा सीटों पर गहरा असर डालते हैं। आंकड़ों की बात करें तो पंजाब में कुल सवा दो करोड़ के करीब वोटर है जिसमें से 25 फ़ीसदी लोग किसी ना किसी डेरे से रिश्ता रखते हैं। पंजाब के 12,000 से अधिक गांव में डेरों की शाखाएं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डेरा पंजाब की सियासत पर कितना ज्यादा प्रभावी है।
पिछले चुनाव का परिणाम
एक नजर अगर 2017 विधानसभा चुनाव की ओर डालें तो उस चुनाव में 117 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस पार्टी ने कुल 77 सीटों पर कब्जा जमाया था वही इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपनी सहयोगी दल लोक इंसाफ पार्टी के साथ चुनाव लड़ा था। आम आदमी पार्टी ने 112 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था। जिसमें 20 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल किया था। वही आप की सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी ने 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें लोक इंसाफ पार्टी 2 सीटों पर सफलता मिली थी। वही इस चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन वाली एनडीए ने कुल 117 सीटों में से केवल 18 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी।