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Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, भाजपा जीती तो लागू हो सकता है किसान विरोधी कानून, टिकैत ने कहा झूठा
Punjab Election 2022: संयुक्त किसान मोर्चा का एक बयान सामने आया है, जिसमें संयुक्त किसान किसान मोर्चा ने ऐलान कर कहा है कि यदि आगामी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत होती है तो सरकार द्वारा ही वापस लिए गए किसान विरोधी कानून पुनः लागू हो सकते हैं।
Kisan Andolan: किसान आंदोलन (Kisan Andolan) खत्म होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के बीच रस्साकसी अभी भी जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के पदाधिकारी भाजपा (BJP) और उनकी नीतियों से काफी नाखुश नजर आ रहे हैं। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा का एक बयान सामने आया है, जिसमें संयुक्त किसान किसान मोर्चा ने ऐलान कर कहा है कि यदि आगामी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत होती है तो सरकार द्वारा ही वापस लिए गए किसान विरोधी कानून पुनः लागू हो सकते हैं। इसके अलावा मुरादाबाद के कांठ में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार जिस भाषा को समझती है हम उसी भाषा में ज्ञान देंगे। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप भी लगाया।
किसान संगठनों द्वारा तीनों कृषि कानून (three agricultural laws) के विरोध में एक साल तक किए गए आंदोलन के चलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया था, जिसके अन्य मांगों को मानने के बाद किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने का निर्णय लिया था। हालांकि आन्दोलन (Kisan Andolan) खत्म हुई अभी कई दिन व्यतीत हो चुके हैं लेकिन किसान संगठनों और किसानों की भाजपा के प्रति नाराज़गी अभी भी ज़ाहिर है।
किसान संयुक्त मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ अपील जारी की है। मोर्चा के नेताओं ने साफ कहा है कि भाजपा ने किसानों का शोषण किया है इसलिए इस चुनाव में भाजपा को दंड जरूर मिलना चाहिए। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारें लगातार झूठ बोल रही हैं और किसानों को बहकाने की कोशिश कर रही हैं। सरकार जिस भाषा को समझती है हम उसी भाषा में सरकारों को ज्ञान देंगे।
सरकार की नजर किसानों की जमीन पर
कांठ मार्ग स्थित होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रदेश में एमएसपी पर खरीद नहीं हो रही है। हालत यह है पूर्वांचल से हजार रुपये और बिहार से आठ सौ रुपये कुंतल धान खरीदा जा रहा है। इसी तरह मध्य प्रदेश में सरकार 178 मंडियां बेचने को तैयार है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बिजली के नाम पर किसानों को बहका रही है। पिछले घोषणा पत्र में सस्ती बिजली देने का वादा किया था और कई गुना दाम वसूले तथा बिजली के घंटे भी कम कर दिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि हरियाणा में बिजली दर 15 रुपये हार्सपावर है और यूपी में 175 रुपये। दोनों जगह एक ही विचारधारा की सरकार है।
उन्होंने भाजपा को हराने की अपील के बाद पत्रकारों के सवाल पर जवाब दिया कि किसान समझदार है और सब जानता है किसे वोट देना है। उन्होंने सीधे किसी दल का नाम नहीं लिया और कहा कि उनका संगठन गैर राजनैतिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नजर किसानों की जमीन पर है। जमीन बचानी है तो भाजपा को सबक सिखाना जरूरी है। उन्होंने दावा किया कि अप्रैल से फिर आंदोलन शुरू होगा और इस मर्तबा नौजवान बड़ी संख्या में आंदोलन में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि किसान और संगठन मजबूत रहेगा तो सभी सरकारें सही चलेंगी। किसान आंदोलन के कारण ही इस मर्तबा सभी दल किसानों की बात कर रहे हैं।
किसानों को बहका रही है भाजपा
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जारी अपील में किसानों से तीन कृषि कानूनों का हवाला देते हुए कहा है कि फसल और नसल बचानी है तो भाजपा को हराना होगा। उन्होंने आंदोलन करते किसानों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस, वाटर कैनन से हमला, झूठे मुकदमे दर्ज करने, आंदोलन करने वाले किसानों को दलाल, आतंकवादी और देशद्रोही कहने की याद दिलाकर भाजपा का विरोध करने का आह्वान किया है। यही नहीं उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 2017 में जो वादे किसानों से किए थे, उसमें एक भी पूरा नहीं किया। कर्जमाफी भी पूरी नहीं की गई गन्ना भुगतान नहीं मिल रहा है और न ब्याज मिला है। जानवर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं, युवा नौकरी को भटक रहे हैं और प्रदेश से मजदूर पलायन करने को मजबूर है। अपील में साफ कहा गया है कि सौ बात की एक बात यह है कि भाजपा को हराना। भाजपा के कान खोलने के लिए सजा देना जरूरी है और भाजपा का नेता वोट मांगने आए तो उससे सवाल जरूर करें। इस मौके पर डॉ. दर्शनपाल, जगजीत सिंह, जोगिंदर सिंह, शिव कुमार, हन्नान आदि शामिल रहे।
किसान विरोधी कानूनों का खतरा अभी टला नहीं : संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के कहना है कि किसान विरोधी कानूनों का खतरा अभी टला नहीं है, भाजपा (BJP) ने आगामी चुनावों के मद्देनज़र वोट की राजनीति करते हुए ही कृषि कानूनों (agricultural laws) को वापस लेने का निर्णय लिया है लेकिन यदि आगामी चुनावों में भाजपा जीतती है तो यह कानून वापस से लागू हो सकता है। राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव समेत कई किसान नेता लगातार अपने बयानों के बलबूते पर भाजपा और उनकी नीतियों के विरुद्ध खड़े दिखाई देते हैं।
जल्द मांगें पूरी न होने पर आंदोलन करेंगे शुरु
किसान संगठनों का आक्रोश अभी भी इसी बात को लेकर है कि जिन वायदों के चलते किसानों ने आन्दोलन खत्म किया था, सरकार ने अभीतक उन वायदों को पूरा नहीं किया है। इसी के चलते किसान संगठनों ने बीते सप्ताह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि जल्द से जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वह वापस से आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
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