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Punjab New CM: चन्नी के खिलाफ गरमाया था MeeToo का मामला, महिला IAS अफसर ने लगाया था बड़ा आरोप

Punjab New CM: पंजाब के मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को साल 2018 में #MeToo से जुड़े 3 साल पुराने एक मामले में कार्रवाई का सामना करना पड़ था। एक महिला आईएएस अधिकारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर आरोप लगाया था

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 19 Sept 2021 8:17 PM IST (Updated on: 19 Sept 2021 8:19 PM IST)
The case of MeeToo was heated against Channi, the woman IAS officer had made a big allegation
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पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी: फोटो- सोशल मीडिया

Punjab New CM: पंजाब (Punjab) में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से पहले कांग्रेस ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद अब चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) का नाम नए मुख्यमंत्री के रूप में तय हो गया है। नए मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी का चयन करके कांग्रेस ने पंजाब में दलित कार्ड खेल दिया है। दलित नेता चन्नी को अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए मुख्यमंत्री (Punjab New CM) के रूप में चुना गया है।

कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चन्नी 2018 में मी टू मामले को लेकर खासे विवाद में फंस चुके हैं। एक महिला आईएएस अधिकारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि चन्नी ने उन्हें कई बार आपत्तिजनक संदेश भेजे थे। महिला आईएएस अफसर के इस आरोप के बाद यह मामला सियासी रूप से भी काफी गरमा गया था। विपक्ष के नेताओं ने इस मामले को लेकर चन्नी और तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को घेरा था। कैप्टन ने इस मामले में चन्नी का बचाव करते हुए मामला खत्म हो जाने की बात कही थी।

पंजाब में कांग्रेस का दलित कार्ड

कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट करके चन्नी को सर्वसम्मति से कांग्रेस विधायक दल का नेता चुने जाने की जानकारी दी। चन्नी चमकौर साहिब विधानसभा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। 2007 में पहली बार उन्होंने निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीता था। मगर उसके बाद 2012 और 2017 के चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर जीतने में कामयाब रहे। रामदासिया सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चन्नी को 2017 में कैप्टन ने अपनी सरकार में तकनीकी शिक्षा और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग विभाग का मंत्री बनाया था।

चरणजीत सिंह चन्नी: फोटो- सोशल मीडिया

पिछले महीने कैप्टन के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले कांग्रेस नेताओं में चन्नी प्रमुख रूप से शामिल थे। उनका कहना था कि कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाना चाहिए क्योंकि उनके रहते पंजाब की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। अब कांग्रेस की ओर से चन्नी को विधायक दल का नेता चुनकर दलित कार्ड चलने की कोशिश की गई है। पंजाब के मतदाताओं में दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस चन्नी के चेहरे को कहां तक भुना पाती है।

2018 में गरमाया था मामला

वैसे चन्नी कांग्रेस का विवादित चेहरा रहे हैं। 2018 में उन्हें लेकर खासा विवाद पैदा हो गया था। एक महिला आईएएस अधिकारी ने चन्नी पर कई बार आपत्तिजनक संदेश भेजने का आरोप लगाया था। मामले के तूल पकड़ने के बाद चन्नी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की मांग भी उठी थी। इसे लेकर विपक्षी दलों ने कैप्टन सरकार पर हमला भी बोला था। चन्नी के खिलाफ पंजाब में कई स्थानों पर महिला संगठनों की ओर से धरना और प्रदर्शन भी किया गया था।

मी टू अभियान में नाम आने के बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था। इस विवाद को खत्म करने के लिए चन्नी ने महिला आईएएस अफसर से माफी मांग ली थी। बाद में इसी आधार पर कैप्टन ने चन्नी का बचाव करते हुए कहा था कि मंत्री के माफी मांग लेने से अब यह मामला पूरी तरह खत्म हो गया है।

महिला आयोग ने भी उठाए थे सवाल

इस साल मई महीने के दौरान भी यह मामला तब गरमाया था जब महिला आयोग की अध्यक्ष मनीषा गुलाटी ने भूख हड़ताल पर बैठ जाने की धमकी दी थी। गुलाटी का कहना था कि उन्होंने 2018 में ही मुख्य सचिव करण अवतार सिंह को इस मामले में जवाब देने के लिए पत्र लिखा था मगर उन्होंने इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया। गुलाटी का कहना था कि आयोग ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी थी।

गुलाटी का कहना था कि 2018 में मुख्यमंत्री की ओर से मामला खत्म होने का बयान दिए जाने के बाद आयोग की ओर से इसे फॉलो नहीं किया गया। मगर महिला आईएएस अधिकारी की ओर से इस मामले में कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। वैसे सियासत के माहिर खिलाड़ी चन्नी अपने खिलाफ मी टू के इस मामले को एक बार फिर दबाने में कामयाब रहे।

कैप्टन अमरिंदर सिंह: फोटो- सोशल मीडिया

बचाव करने वाले कैप्टन के खिलाफ मोर्चा

मी टू अभियान में फंसने के बाद भले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चन्नी की मदद की हो। मगर बाद में उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू से हाथ मिलाते हुए कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले नेताओं में चन्नी अग्रिम पंक्ति में शामिल थे। उनका कहना था कि पंजाब के लोगों का अब कैप्टन में भरोसा नहीं रहा। इस कारण कांग्रेस हाईकमान को कैप्टन को तत्काल मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला लेना चाहिए।

कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम सबसे आगे चल रहा था। उनकी ताजपोशी लगभग तय हो गई थी मगर पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू रंधावा के नाम पर किसी भी सूरत में राजी नहीं थे।

सिद्धू ने खुद भी सीएम पद के लिए दावा ठोका था। मगर उनके पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के कारण हाईकमान की ओर से उनके नाम को हरी झंडी नहीं दी गई। इसके बाद सिद्धू ने दलित नेता के नाम पर चन्नी का नाम आगे बढ़ाया। चन्नी के नाम पर विधायकों की सहमति बन गई। इस तरह मी टू अभियान के विवाद में फंसने के बावजूद चन्नी के पंजाब का नया सीएम बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया।



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