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Assembly Election 2022: दिल्ली में कांग्रेस नेताओं का महामंथन, राहुल समेत कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री हुए शामिल
देश के 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के परिणामों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में एक बैठक किया। बैठक में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहें।
नई दिल्ली। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव (Assembly elections) का शोर अभी थमा नहीं है। लेकिन कांग्रेस (Congress) अभी से चुनाव बाद के बनने वाले हालात को लेकर मिशन मोड में आ चुकी है। देश में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस आज भारत के सियासी नक्शे में धीरे-धीरे सिमटते नजर आ रही है। देश के कई राज्यों में सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस जबरदस्त संकट से जूझ रही है। बड़ी संख्या में नेताओं के पलायन के बाद पार्टी भी लगातार खूद को रिवाइव करने की कोशिश में जुटी हुई है। ऐसे में ये चुनावी पांच राज्य मरणासन्न अव्सथा में पहुंची कांग्रेस के लिए सियासी संजीवनी साबित हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस ने चुनाव परिणाम के बाद बनने वाले संभावित सियासी समीकरणों को लेकर अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
राहुल संग कांग्रेस नेताओं की बैठक
रविवार को नई दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कांग्रेस की एक हाई लेवल मीटिंग की। बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot), छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel), कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) औऱ संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) शामिल हुए। तकरीबन डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक में चुनावी राज्यों में संभावित नजीते और नतीजों के बाद सियासी परिदृश्य को लेकर चर्चा हुई।
चुनाव परिमाण से पहले कांग्रेस ने क्यों की बैठक
दरअसल कांग्रेस 2014 में देश की सत्ता गंवाने के बाद धीरे-धीरे राज्यों को गंवाते गई। इनमे वो राज्य भी शामिल हैं जहां कांग्रेस, बीजेपी (BJP) से संख्या बल में अधिक मजबूत थी। फिर भी उसे बीजेपी की सियासी कुशलता के सामने मुंह के बल गिरना पड़ा। गोवा, मणिपुर, एमपी औऱ अरूणाचल प्रदेश जैसे राज्य इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। लिहाजा कांग्रेस इस बार नतीजों के आने से पहले ही ऐसी किसी स्थिति के लिए खूद को तैयार करने में जुट गई है। बैठक में शामिल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसी ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि चुनाव के नतीजे के बाद किसी भी राज्य में विधायकों के खरीद-फरोख्त की आशंका के मद्देनजर कांग्रेस इससे निपटने की रणनीति पर काम कर रही है।
नतीजे कांग्रेस को दे सकती है सियासी संजीवनी
हालिया दिनों में देखा गया है कि कांग्रेस को बीजेपी के अलावा कुछ क्षेत्रीय दलों से मजबूत चुनौती मिल रही है। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party), तृणमुल कांग्रेस (Trinamool Congress) और एनसीपी (NCP) जैसे दल कमजोर कांग्रेस के बल पर अपना जनाधार बढ़ाने के जुगत में जुटे हुए हैं। ऐसे में इन पांच चुनावी राज्यों में कांग्रेस का शानदार प्रदर्शन उसी फिर से विपक्ष की सियासत में मुख्य भूमिका दिला सकता है। इसके अलावा वो केंद्र में बीजेपी के स्वाभाविक विकल्प के रूप में भी मजबूती से उभरेगी।
दरअसल पांच राज्यों में से तीन राज्य ऐसे हैं जहां बीजेपी औऱ कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। अब तक के चुनाव नतीजों ने इस बात को पुख्ता किया है कि बीजेपी औऱ कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई में बीजेपी हमेशा उसपर भारी पड़ती है। लिहाजा कांग्रेस इन चुनाव के जरिए इस दावे को तोड़ना चाहेगी। इन राज्यों में बीजेपी के खिलाफ उसकी बढ़त केंद्रीय राजनीति में भी उसके सिय़ासी इकबाल को बढ़ाएगी।
बता दें कि उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुका है। मणिपुर और उत्तर प्रदेश में अभी चुनाव जारी है। इन पांचों राज्यों के नतीजे 10 मार्च को आएंगे।