कब सड़कों पर आएंगे और जेल यात्राएं भी करेंगे राहुल गांधी

पेगासस मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गृहमंत्री के इस्तीफा मांग की है...

RK Sinha
Written By RK SinhaPublished By Ragini Sinha
Published on: 26 July 2021 5:40 PM GMT (Updated on: 26 July 2021 5:41 PM GMT)
Rahul gandhi on politics
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राहुल गांधी को अब राजनीति में आए हुए काफी समय हो चुका है (social media)

राहुल गांधी को अब राजनीति में आए हुए काफी समय हो चुका है। कहने को तो वे अपने को जन्मजात राजनीतिज्ञ और नेता मानते हैं I वे उस तरह से परिपक्व अभी भी नहीं हुए हैं जैसी उनसे देश अपेक्षा करता था। वे 2004 से ही लोकसभा के सदस्य हैं। उनकी सियासत में कांग्रेस की विरोधी भारतीय जनता पार्टी के नेताओ से इस्तीफा मांगना बेहद अहम है। उन्हें लगता है कोई इस्तीफा दे या ना दे, उन्हें तो इस्तीफा मांगते ही रहना चाहिए। वे आत्म मुग्ध भी हो चुके हैं। उन्हें गलतफहमी हो गई है कि वे कोरोना वैक्सीन के लाभ-हानि से लेकर शेयर बाजार तक की उठा पटक को गहराई से जानते हैं। पेगासस मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गृहमंत्री के इस्तीफा मांग की है। उन्होंने कहा की उनका फोन टेप किया गया है इसलिए गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए। अब बताइये भला कि संचार मंत्रालय के मामले में गृह मंत्री का क्या सरोकार ?

अब उन दिनों की बात करते हैं जब राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस हंगामा मचा रही थी। तब राहुल गांधी राफेल सौदे में कथित घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए हर रोज ही उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे। राहुल गांधी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को एक लाख करोड़ रुपए का सरकारी ऑर्डर देने के मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से भी इस्तीफा मांग चुके हैं। आपको याद होगा कि सरकार ने कहा था कि एचएएल को एक लाख करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया। इस पर राहुल गांधी ने रक्षामंत्री पर झूठ बोलने का आरोप जड़ दिया था। राहुल गांधी का कहना था कि रक्षामंत्री सदन में अपने बयान के समर्थन में दस्तावेज पेश करें या इस्तीफा दें। अब साल 2015 में चलते है। तब राहुल गांधी ने ललित मोदी मामले में उस समय की देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग करनी शुरू कर दी थी। राहुल गांधी ने सुषमा स्वराज पर बयान देते हुए मीडिया से कहा था कि सुषमा स्वराज ने "क्रिमिनल एक्ट किया है" और क्रिमिनल एक्ट करने वाले को सीधे जेल भेजा जाना चाहिए। हालांकि तब भाजपा ने उन पर पलटवार करते हुए कहा था कि राहुल गांधी के साथ दिक्कत यह हो रहा कि वे अपने को हर विषय का जानकार समझने लगे हैं। इसके बाद वे कुछ समय तक चुप हो गए थे। लेकिन, फिर एकाध सप्ताह के बाद ही फिर चालू हो गये I

कोवैक्सीन कोरोना से लड़ने में मददगार साबित होगी

वास्तव में यह किसी भी इंसान के लिए बहुत गंभीर स्थिति है कि वे अपने को सर्वज्ञानी मानने लगे हैं । राहुल गांधी कोरोना महामारी से लेकर राफेल डील और दूसरे तमाम मुद्दों पर बोलते ही रहते हैं। कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए जब प्रधानमंत्री मोदी ने देश में लॉकडाउन लगाने का आहवान किया तो राहुल गांधी कह रहे थे कि इस कदम से देश को भारी क्षति होगी। वे इस बात पर भी संदेह जता रहे थे कि उन्हें शक है कि कोवैक्सीन कोरोना से लड़ने में मददगार साबित होगी अथवा नहीं।

राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र

राहुल गांधी को बहुत से मुगालते हैं। उन्हें लगता था कि वैक्सीन की खरीद और वितरण में उनसे बेहतर रणनीतिकार कोई देश में नहीं है। वे 8 अप्रैल 2021 को प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखकर कहते हैं -" राज्यों की वैक्सीन की खरीद में मुझसे राय नहीं ली गई।" वे उसी पत्र में सरकार से वैक्सीन की खरीद और वितरण में राज्यों की अधिक सक्रिय भूमिका की मांग करते हैं। लेकिन राहुल गांधी की मां और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्ष के 11 अन्य नेताओं के साथ मिलकर सरकार से मांग करती हैं कि केन्द्र सरकार राज्य सरकारों के लिए भी वैक्सीन की खरीद करे।


राहुल गांधी के बयानों से यह लगता है कि उन्हें शेयर बाजार की दूर-दूर तक कोई समझ नहीं है। वे तब खुश नहीं होते जब हमारा शेयर बाजार 3 खरब रुपये (3 ट्रिलियन डॉलर) के आंकड़े को पार कर लेता है। कोई अन्य नेता होता तो इस पर ट्वीट करके कहता कि भारत में इक्विटी संस्कृति पैर जमा रही है। ये सामान्य सी बात है जब कोरपोरेट जगत इक्विटी के माध्यम से धन एकत्र करने लगता हैं तब उसकी बैंकों पर निभर्रता घट जाती है। पूरी दुनिया में शेयर बाजार के निवेशक किसी कंपनी के शेयर खरीदने से पहले उस कंपनी के पूर्व के प्रदर्शन और भविष्य़ की संभावनाओं का आकलन करते हैं। अब वे दिन नहीं रहे जब किसी कंपनी की बेहतर बिक्री के आधार पर उसे श्रेष्ठ मान लिया जाता था। अब उसी कंपनी को बेहतर माना जाता है जिसके शेयरों की स्टॉक मार्केट में भरपूर मांग होती है।

राहुल गांधी को शेयर बाजार में उछाल में सिर्फ बुराई ही नजर

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को शेयर बाजार में उछाल में सिर्फ बुराई ही नजर आती है। राहुल गांधी के निशाने पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) लगातार रहती है। वे इसके शेयर के उछाल से बहुत दुखी हो जाता हैं। उन्हें लगता है कि किसी कंपनी के शेयरों में उछाल तब होता है जब उसे सरकार की तरफ से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मदद मिल रही होती है। अब उन्हें कौन बताए कि जब किसी सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों में उछाल आता है तो उसका लाभ तो सभी अंशधारकों को मिलता है। उससे सिर्फ प्रमोटर की ही चांदी नहीं होती। उनमें एलआईसी और सरकारी बैंकों के म्युच्युअल फंड भी शामिल होते हैं। राहुल गांधी को यह पता नहीं है कि पिछले एक साल में इंडियन आयल कोरपोरेशन लिमिटेड (आईओसी) का शेयर 86 रुपए से 110 रुपए तक पहुंच गया है। इसी तरह से स्टेट बैंक का शेयर भी 185 रुपए से 420 रुपए हो गया है। राहुल गांधी, कांग्रेस और देश हित में होगा कि वे थोड़ा ही सही पर पढ़े-लिखे भी। वे सरकार की जन विरोधी नीतियों का कसकर विरोध करें, सड़कों पर उतरें और जेल यात्राएं भी करें। एक विपक्षी नेता से यह तो अपेक्षित होता ही है। पर वे तो लगातार सरकार के किसी मंत्री का इस्तीफा मांगते रहते हैं। उनके किसी सलाहकार को चाहिए कि वे उन्हें समझाए कि उनके चाहने से कोई भी इस्तीफा नहीं देगा। हां, अगर वे पढ़कर लिखकर सरकार को घेरेंगे और कोई तर्क अंगात बातें करेंगे तो उन्हें सुना ही जाएगा। उनकी देश की जनता के बीच साख भी बनेगी। फिलहाल तो उनके बयानों और भाषणों को पढ़-सुनकर निराशा ही होती है। डर भी लगता है कि क्या वे कभी धीर-गंभीर होंगे हो सकेंगे या अपनी बाल्यावस्था में ही रहकर बल सुलभ विनोद करते रहेंगें ?

Ragini Sinha

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