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जलियांवाला बाग पर साउंड व लाइट शो को राहुल गांधी ने बताया शहीदों का अपमान

जलियांवाला बाग नवीकरण का कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीखा विरोध किया है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि वह शहीद के बेटे हैं..

Akhilesh Tiwari
Written By Akhilesh TiwariPublished By Deepak Raj
Published on: 31 Aug 2021 5:06 PM IST (Updated on: 31 Aug 2021 5:09 PM IST)
Concept photo, source -social media
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कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया

New Delhi: जलियांवाला बाग नवीकरण का कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीखा विरोध किया है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि वह शहीद के बेटे हैं। शहीदों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि शहीदों की शहादत का अपमान वही कर सकता है जो शहादत के मायने भी नहीं जानता। जलियांवाला बाग के नवीकरण और लेजर शो का विरोध सोशल मीडिया पर खुलकर हो रहा है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ जलियांवाला बाग स्मारक पर लेजर शो की रोशनी वाला फोटो भी साझा किया है।



राहुल गांधी ने इस तरह उन लोगों के स्वर को अपनी आवाज दी है जो लगातार मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। जलियांवाला बाग पर साउंड एंड लाइट शो की आलोचना करते हुए लोगों ने लिखा है कि यह शहीदों का स्मारक है। यहां जाकर शोक का भाव उत्पन्न होता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को अपने ट्वीट में लिखा है कि जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं समझता। मैं एक शहीद का बेटा हूं- शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूंगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।

क्या है पूरा मामला

जलियांवाला बाग स्मारक स्थल का नवीकरण केंद्र की मोदी सरकार ने कराया है। बीते शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग स्मारक नवीकरण योजना का लोकार्पण ऑनलाइन तरीके से किया। इसी मौके पर दृश्य एवं श्रव्य माध्यम के साथ लेजर शो का आयोजन किया गया। स्मारक को लेजर रोशनी से नहलाया गया। इसी कार्यक्रम का लोग विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग आरोप लगा रहे हैं कि शोक स्थल पर रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन कर जश्र मनाया गया है।


जलियांवाला बाग स्मारक स्थल पर रंगारंग कार्यक्रम का नजारा (फोटो सोर्स-सोशल मीडिया)


नवीकरण प्रोजेक्ट

जलियांवाला बाग नरसंहार स्मारक के नवीकरण का काम केंद्र सरकार ने पूरा कराया है। दो साल पहले जलियांवाला बाग नरसंहार के सौ साल पूरे होने पर केंद्र सरकार ने 20 करोड़ रुपये का फंड जारी किया था। फरवरी 2019 में स्मारक को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया। स्मारक के नवीकरण का काम एनबीसीसी लिमिटेड कंपनी को दिया गया। इसके तहत बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ज्वाला स्मारक की मरम्मत कराई गई है। यहां परिसर का भी पुनर्निर्माण कराया गया हैं। परिसर में नई व आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।


फोटो सोर्स -सोशल मीडिया

महत्वपूर्ण स्थानों को रोशन करने के साथ ही परिसर में स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण कर उसे लिली तालाब के नाम से विकसित किया गया है। परिसर में वृक्षारोपण के साथ ही बगीचे में ऑडियो नोड्स लगाए गए हैं। मोक्ष स्थल, अमर ज्योति और ध्वज मस्तूल का भी नवीकरण किया गया है। यहां संस्कृति मंत्रालय की ओर से कैंपस टिकट काउंटर, शौचालय व पीने के पानी की सुविधा स्थल विकसित किए गए हैं।

क्यों नाराज हैं लोग

केंद्र सरकार की नवीकरण योजना के तहत जलियांवाला बाग नरसंहार स्मारक स्थल में कई महत्वपूर्ण बदलाव कर दिए गए हैं। स्मारक स्थल की गलियों को चौड़ा कर दिया गया है जिससे एक साथ सैकड़ों लोग आ- जा सकेंगे लेकिन विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इससे ऐतिहासिकता प्रभावित हुई है। यहां आकर लोग सौ साल पुरानी घटना का आकलन कर पाते थे कि संकरी गलियों में जब जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ आकर खड़ा हो गया तो लोगों के पास बचने का रास्ता ही नहीं था।


स्मारक स्थल की गली (फोटो सोर्स-सोशल मीडिया)


शहीदी कुएं में झांकना भी अब मुमकिन नहीं है। नवीकरण के तहत कुएं को शीशे की एक चादर से ढंक दिया गया है। मुख्य स्मारक के चारों ओर बनाए गए तालाब की भी आलोचना हो रही है। सबसे ज्यादा विरोध स्मारक परिसर में जाने वाली गली के बदले स्वरूप को लेकर हो रहा है। इस गली से होकर ही लोग जलियांवाला बाग में गए थे लेकिन जब अंग्रेजों ने गोली चलाई तो लोग लौट नहीं सके। इस गली में गोलियों के निशान भी मौजूद हैं। यहां आकर लोग यह देखते हैं कि संकरी गली से कैसे होकर लोग गए थे और अंग्रेजों ने इस गली को घेरकर गोलियां चलाई थीं।

इस गली में शहीदों की नई प्रतिमाएं लगाई गई हैं। परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रतिमाओं को लगाते समय यह ध्यान रखा गया है कि गोलियां के निशान छुपने न पाएं लेकिन लोगों का कहना है कि इससे गली का स्वरूप ही पूरी तरह बदल गया है। इतिहासकार एस इरफान हबीब ने केंद्र सरकार की इस योजना की आलोचना करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक स्मारकों को कारपोरेट में बदलने की कवायद है। विरासतों को गवांकर आधुनिक संरचनाओं को महत्व दिया जा रहा है।

गब्बर सिंह नामक ट्वीटर हैंडिल पर लिखा गया है कि जलियांवाला बाग में जहां से जनरल डायर गुजरा था आज वह वहां से आगे निकल गया है। इसे मूल स्वरूप में ही रखा जाना चाहिए था। गुडग़ांव रियल एस्टेट की तरह इसे बनाने की कोई जरूरत नहीं है। दीपा पैरेंट नामक यूजर ने सवाल उठाया है कि साउंड और लाइट शो एक नरसंहार स्मारक पर कैसे ?



Deepak Raj

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