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Raisina Dialogue 2022: रूस-यूक्रेन युद्ध पर विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोपीय देशों को फिर घेरा, याद दिलाई यह बात

Raisina Dialogue 2022: रायसीना डायलॉग 2022 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोपीय देशों को एकबार फिर सुना दिया।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Shreya
Published on: 26 April 2022 5:08 PM IST
Raisina Dialogue 2022: विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोपीय देशों को फिर घेरा, याद दिलाई यह बात
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विदेश मंत्री जयशंकर (फोटो साभार- ट्विटर)

Raisina Dialogue 2022: विदेश मंत्री एस. जयशंकर (EAM S. Jaishankar) अपने जवाबों को लेकर इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं। एकबार फिर उनका एक ऐसा ही जवाब खूब सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, इन दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) कार्यक्रम चल रहा है। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर से रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) को लेकर एक यूरोपीय देश द्वारा सवाल किया गया। जयंशकर ने इसका उत्तर देते हुए यूरोपीय देशों को एकबार फिर सुना दिया।

उन्होंने कहा कि हमारी स्थिति स्पष्ट है, हम लड़ाई की तत्काल समाप्ति चाहते हैं और कूटनीति के जरिए बातचीत पर जोर देते हैं। हम देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी जोर देते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हकीकत ये है कि इस जंग को कोई नहीं चाहता है। आखिर में इस युद्ध के बाद कोई विजेता नहीं होगा। मैं समझता हूं कि इस समय आपने बाकी चीजों को अलग करके रखा है, लेकिन बाहर भी एक दुनिया है। मुझे खुशी है कि आप भारत में हैं और यह आपको याद दिलाएगा कि बराबर चिंता के मसले दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अफगानिस्तान का जिक्र कर यूरोप पर बरसे

यूरोपीय देश नार्वे (Norway) के एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि रूस हमसे जितना संपर्क में है, उससे अधिक यूरोप के देशों के संपर्क में है। जहां तक लोकतंत्र की बात है तो मैं अफगानिस्तान का जिक्र करूंगा, वहां जो कुछ भी पिछले साल हुआ, दुनिया के लोकतांत्रिक देश देखते रहे। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे लिए जो चुनौतियां है, उस पर कोई लोकतांत्रिक देश कार्रवाई क्यों नहीं करते?

जयशंकर ने आगे कहा कि जब एशिया में नियम- आधारित व्यवस्था को चुनौती दी जा रही थी, तो हमें यूरोप से सलाह मिली- ज्यादा व्यापार करो। कम से कम हम आपको वो सलाह तो नहीं दे रहे। हमें कूटनीति और संवाद का रास्ता खोजना चाहिए। अफगानिस्तान का ही उदाहरण ले लीजिए। कृपया मुझे बताइए कि कौन सा न्यायोचित नियम आधारित व्यवस्था दुनिया के देशों की तरफ से अपनाई गई। दरअसल यूरोप द्वारा लगातार भारत पर रूस के साथ अपने संबंधों पर फिर से विचार करने का दवाब बनाया जा रहा है। यूरोपीय देश चाहते हैं कि भारत भी रूस के खिलाफ घोषित वैश्विक प्रतिबंधों में खुलकर शामिल हो, जिससे भारत ने दूरी बना ली है।

विदेश मंत्री जयशंकर से इससे पहले अमेरिका में भी पश्चिमी मीडिया द्वारा रूसी तेल खरीदने पर सवाल पूछा गया था, तो उनका उन्होंने बड़ा ही मजेदार जवाब देते हुए बोलती बंद कर दी थी। उस दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने कहा था, मैं सुझाव दूंगा कि आप यूरोप पर ध्यान दें। भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है, उतना तेल तो यूरोपीय देश एक दोपहर में खरीद लेते हैं। जयशंकर के इस बयान की भारत में जमकर तारीफ हुई थी।

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Shreya

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