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राज कपूर, दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेलियाँ बनेंगी संग्रहालय

मशहूर फिल्मकार राज कपूर और दिलीप कुमार के पेशावर स्थित पुश्तैनी मकानों को पकिस्तान सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है।

Neel Mani Lal
Published on: 2 Jun 2021 11:45 AM GMT
Raj Kapoor Haveli
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फिल्म अभिनेता राज कपूर की पुश्तैनी हवेली की फाइल फोटो (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ: मशहूर फिल्मकार राज कपूर और दिलीप कुमार के पेशावर स्थित पुश्तैनी मकानों को पकिस्तान सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। अब इन्हें संग्रहालय का रूप दिया जाएगा।

पेशावर के डिप्टी कमिश्नर ने पहली जून को एक आदेश के जरिये राज कपूर और दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेलिओं का मालिकाना हक़ पुरातत्व विभाग के नाम कर दिया जिसके बाद खैबर पख्तूनख्वा के पुरातत्व और म्यूजियम निदेशालय ने इन हल्वेलियों को अपने कब्जे में ले लिया। खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय सरकार ने पिछले साल सितम्बर में ही घोषणा की थी कि वह दोनों संपत्तियों को अधिग्रहित करेगा और पुनरुद्धार के बाद इन हवेलियों को म्यूजियम का रूप दे दिया जाएगा।

पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ. अब्दुल समद ने बताया कि वर्तमान मालिक के कब्जे से दोनों मकानों का अधिग्रहण कर लिया गया है और अब ये दोनों संपत्तियां हमारे विभाग की हो गईं हैं। पेशावर के ढाकी दल्गारन मोहल्ले में स्थित राज कपूर की हवेली के लिए सरकार ने एक करोड़ 15 लाख रुपये और मोहल्ला खुदाद स्थित दिलीप कुमार की हवेली के लिए 72 लाख रुपये का मुआवजे का भुगतान किया है।

डॉ. समद ने कहा कि निदेशालय जल्द ही इन हवेलियों की मरम्मत और पुनरुद्धार का काम शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों ही हवेलियां बहुत खराब हालत में हैं। डॉ. समद ने कहा कि हवेलियों के पुनरुद्धार के बाद राज कपूर और दिलीप कुमार के परिवारवालों से संपर्क किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड से पेशावर के संबंधों को फिर से बहाल किया जाएगा। बॉलीवुड में बहुत से लोग बंटवारे के समय पेशावर से आये थे।

2016 में राज कपूर की हवेली को उसके मालिक ने ढहा कर नया निर्माण करने की योजना बनाई थी। हवेली को ढहाने का काम भी शुरू कर दिया गया था, लेकिन पुरातत्व निदेशालय के हस्तक्षेप के बाद काम रोक दिया गया। लेकिन तब तक हवेली का ऊपर का हिस्सा तोड़ा जा चुका था। बाकी हिस्से को भी काफी नुकसान पहुंचाया गया था।

इसके पहले 2013 में अवामी नेशनल पार्टी की सरकार ने दिलीप कुमार की हवेली को अधिग्रहित करने की कोशिश की थी, लेकिन मुआवजे की रकम पर हवेली के मालिक अदालत चले गए और मामला लटक गया। 2015 में प्रांतीय सरकार ने अदालत को बताया कि हवेली के अधिग्रहण की योजना रद्द कर दी गयी है। लेकिन सरकार ने इसे संरक्षित प्राचीन इमारत घोषित करके इसमें किसी भी तरह का बदलाव करने पर रोक लगा दी थी।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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