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बहानेबाज आसाराम: दुष्कर्म के मामले में काट रहा सजा, आना चाहता है जेल से बाहर

बीमारी का बहाना कर जेल से बाहर आना चाहता है आसाराम बापू सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार ने दिया जवाब।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 9 Jun 2021 10:44 AM GMT
Asaram Bapu wants to come out of jail on the pretext of illness
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आसाराम बापू : फोटो- सोशल मीडिया

Asaram Bapu : सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए राजस्थान सरकार ने दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू की जमानत का विरोध किया है। आसाराम के मामले में राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। राजस्थान सरकार ने बताया कि आसाराम को कोई खास बीमारी नहीं है। वह बीमारी का बहाना करके जेल से बाहर आना चाहते हैं।

राजस्थान सरकार ने हलफनामा दाखिल करके बताया कि आशाराम ऐसा बहाना तीसरी बार कर रहे हैं। इससे पहले दो बार अदालत ने उनके जमानत की याचिका खारिज की है। आसाराम को नाबालिग बच्ची के अपहरण और यौन उत्पीड़न के मामले में जेल की सजा हुई है।

न दवाई खाई और न इंजेक्शन लिया

सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार ने अपने हलफनामे में बताया कि बीमार होने की शिकायत पर मई के महीने में आशाराम को जोधपुर AIIMS में दाखिल कराया गया था। लेकिन वहां उन्होंने न दवाई खाई और न इंजेक्शन लिया।

आसाराम बापू : फोटो- सोशल मीडिया

डॉक्टरों के साथ सहयोग भी नहीं किया

डॉक्टरों के साथ सहयोग भी नहीं किया। 21 मई को जारी AIIMS की मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक आशाराम को कोई ऐसी खास बीमारी नहीं है, जिसके लिए उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पड़े। फिर भी आशाराम ऋषिकेश के एक आयुर्वेद अस्पताल में इलाज कराने के लिए जमानत मांग रहे हैं।

मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन

आशाराम को निचली अदालत ने बलात्कार और अगवा करने के जुर्म में 10 साल की सजा सुनाई है और अभी उनका मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। आशाराम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी।

बच्ची के यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर जेल में

गौरतलब है कि बच्ची के यौन उत्पीड़न के मामले में आसाराम जोधपुर जेल में सजा काट रहा है। आसाराम लंबे समय से हर तरकीब अपनाकर जमानत का प्रयास कर रहा है, लेकिन उसमें अभी तक सफल नहीं हो पाया है। इसी क्रम में उसके बेटे नारायण साईं की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने याचिकाओं को स्वीकार नहीं किया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।

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