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Rajasthan Politics: राजस्थान के सियासी दंगल में पायलट पर भारी गहलोत, निर्दलीय विधायकों का सीएम को समर्थन

राजस्थान कांग्रेस में इन दिनों गहलोत और पायलट खेमे के बीच एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए सियासी दांवपेच खेले जा रहे हैं। ऐसे में निर्दलीय विधायकों की इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 24 Jun 2021 6:52 AM GMT
Rajasthan Politics: राजस्थान के सियासी दंगल में पायलट पर भारी गहलोत, निर्दलीय विधायकों का सीएम को समर्थन
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Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चल रहे सियासी दंगल में गहलोत भारी पड़ते दिख रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच चल रही सियासी उठापटक में राज्य के तेरह निर्दलीय विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समर्थन देने का ऐलान किया है।

कांग्रेस नेतृत्व के लिए चिंता का विषय बनी गहलोत और पायलट गुट की लड़ाई खत्म होने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों गुट एक-दूसरे की सियासी ताकत तोलने में लगे हुए हैं और इस मामले में गहलोत अधिकांश विधायकों का समर्थन जीतने में कामयाब होते दिख रहे हैं।

सचिन पायलट पर साधा निशाना

राज्य के 13 निर्दलीय विधायकों ने बुधवार को सर्किट हाउस में बैठक की। करीब एक घंटे तक चली इस बैठक के दौरान राज्य के सियासी हालात पर मंथन किया गया। बैठक के बाद निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सचिन पायलट पर निशाना साधा और कहा कि अशोक गहलोत ही राजस्थान में कांग्रेस के असली नेता हैं। उन्होंने अशोक गहलोत को तेरह निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भी ऐलान किया।

सचिन पायलट पर साधा निशाना: फोटो- सोशल मीडिया

राजस्थान कांग्रेस में इन दिनों गहलोत और पायलट खेमे के बीच एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए सियासी दांवपेच खेले जा रहे हैं। ऐसे में निर्दलीय विधायकों की इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। निर्दलीय विधायकों के समर्थन से एक बार फिर अशोक गहलोत सचिन पायलट पर भारी पड़ते दिख रहे हैं।

गहलोत के नेतृत्व में आस्था जताई

बैठक के बाद निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि हमने गहलोत सरकार से आग्रह किया है कि ग्राम सेवकों और पटवारियों के रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाए ताकि शासकीय कार्यों को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके। इसके साथ ही संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी नियमित करने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में आस्था जताई है और सरकार की ओर से कोरोना की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की गई है।

कैबिनेट विस्तार पर गहलोत लेंगे फैसला

सियासी जानकारों के मुताबिक निर्दलीय विधायकों की बैठक में कैबिनेट विस्तार पर भी चर्चा हुई है। लोढ़ा ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और इस बाबत अंतिम फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही करेंगे। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले चेहरों के बारे में भी गहलोत का फैसला ही अंतिम होगा। उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायकों की ओर से इसे लेकर सरकार पर कोई दबाव नहीं बनाया गया है।

हाईकमान से नहीं हो सकी सचिन की मुलाकात

राजस्थान कांग्रेस में चल रही थी सियासी उठापटक में अब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कमजोर पड़ते दिख रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस हाईकमान की ओर से किए गए वादों पर अमल करने के लिए दबाव बनाया था। उनका कहना था कि जब पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए सुलह कमेटी का गठन किया जा सकता है तो राजस्थान कांग्रेसका झगड़ा जल्द क्यों नहीं सुलझाया जा सकता।

उन्होंने पार्टी हाईकमान की ओर से 10 महीने पहले किए गए वादों पर अमल करने की भी मांग की थी। हाईकमान पर दबाव बनाने के लिए गहलोत ने पिछले दिनों दिल्ली में डेरा डाल दिया था मगर उनकी हाईकमान से मुलाकात नहीं हो सकी। निराश होकर वे एक बार फिर से जयपुर लौट गए। इसे सचिन पायलट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।




सचिन और सिद्धू को मनाने की कोशिश

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कमजोर करने के पक्ष में नहीं है। हालांकि हाईकमान पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और राजस्थान में सचिन पायलट को भी निराश नहीं करना चाहता। हाल ही में जितिन प्रसाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर पार्टी को बड़ा झटका दिया था। ऐसे में हाईकमान पार्टी में झगड़े की वजह से संगठन को कमजोर होते नहीं देखना चाहता।

यही कारण है कि दोनों प्रदेशों के झगड़े के मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखा जा रहा है। माना जा रहा है कि हाईकमान की ओर से दोनों राज्यों में जल्द ही बड़े कदम उठाए जा सकते हैं। राजस्थान में पायलट के समर्थकों को सरकार और विभिन्न निगमों में समायोजित करने पर भी विचार किया किया जा रहा है। हाईकमान ने इस बाबत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी संपर्क बना रखा है। आने वाले दिनों में इसका नतीजा देख सकता है।

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