Rajnath Singh : अटल और मोदी दोनों के संकट मोचक राजनाथ सिंह

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपनी पार्टी बीजेपी के सभी महत्वपूर्ण पदों पर रह कर लंबा अनुभव हासिल करने वाले राजनाथ सिंह।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Priya Panwar
Published on: 11 July 2021 3:08 PM GMT (Updated on: 11 July 2021 3:13 PM GMT)
Rajnath Singh : अटल और मोदी दोनों के संकट मोचक राजनाथ सिंह
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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया 

Rajnath Singh : देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपनी पार्टी भाजपा के सभी महत्वपूर्ण पदों पर रह कर लंबा अनुभव हासिल करने वाले राजनाथ सिंह। कहीं भी किसी भी पद पर रहे पर कभी भी जनता की पहुंच से दूर न रहने वाले राजनाथ सिंह । पूरे देश से दिल्ली पहुँचने वालों के दिलों में यह विश्वास जमा देने वाले कि वह चाहेगा तो राजनाथ सिंह जी से मुलाक़ात हो ही जायेगी। टोटकों व फैसलों के लिहाज से देखें तो राजनाथ सिंह पार्टी को भी काफी सूट किये। पार्टी के लिए राजनाथ सिंह कितने जरूरी हैं, यह इसी से समझा जा सकता है कि पिछले 2017 के उत्तर प्रदेश के चुनाव में जब भाजपा अटल-आडवाणी युग की जगह मोदी-शाह युग में प्रवेश कर गयी थी तब भी चुनावों के पोस्टर पर राजनाथ सिंह का होना जरूरी समझा गया ।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

महज उनकी सफलताओं को निहारने वाले यही कह सकते हैं कि वह एक बहुत जुगाड़ू नेता हैं। पर उनके करीब जाइये तो पता चलता है कि वह केवल भाग्य पर भरोसा करने वाले राजनेता हैं। वह नियति से न टकराने वाले शख़्स है। उन्हें रिश्ते निभाने वाला माना जा सकता है। तभी तो अटल बिहारी वाजपेयी ने उन पर तब दांव लगाया था जब कल्याण सिंह बग़ावती मुद्रा में थे। राजनाथ सिंह जैसा नेता ही था, जो सांप भी मर गया, लाठी न टूटे इससे आगे नहीं बढ़ने दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

अटल बिहारी वाजपेयी जी कल्याण सिंह को हटा कर राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। पर कल्याण सिंह राजनाथ सिंह के लिए कुर्सी ख़ाली करने को तैयार नहीं थे। नतीजतन , अटल जी ने डॉ. मुरली मनोहर जोशी को कहा। उनने भी मना कर दिया। पर रामप्रकाश गुप्ता का नाम डॉ. जोशी ने ही सुझाया। रामप्रकाश जी के बाद राजनाथ जी ही मुख्यमंत्री बने। बहुतेरे लोग राजनाथ सिंह को अटल बिहारी वाजपेयी की परंपरा से जोड़कर देखते हैं। ऐसा नेता जिसका कोई शत्रु नहीं है। जिसको हर पार्टी में पसंद किया जाता हो। यही वजह है कि राजनाथ सिंह सरकार के मुश्किलों के वक्त में कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार में वह इकलौते नेता हैं जो अटल युग का न केवल प्रतिनिधित्व करते हैं बल्कि बिना किसी विभागीय कतर ब्योंत उनका क़द व रसूख स्थाई है। जब 'मोदी टू' में उन्हें गृहमंत्री की जगह रक्षा मंत्री बनाया गया तब लोगों को लगा था कि राजनाथ सिंह के कद पर कैंची चलाई गयी है। पर जब किसानों के लिए प्रस्तावित नए कानूनों को लेकर संसद से सड़क तक मचे हंगामे में सरकार का पक्ष रखने के लिए उन्हें ही आगे किया गया । राजनाथ सिंह 'मैं भी किसान हूं' कहते हुए इन क़ानूनों का समर्थन करते फिर से संकटमोचक के तौर पर दिखाई दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी चाहे किसानों का विरोध प्रदर्शन रहा हो, या फिर जम्मू कश्मीर में हुई हिंसा हो या जाट आरक्षण को लेकर हुआ आंदोलन हो, राजनाथ मुस्तैदी से सरकार का बचाव करते नजर आए। सरकार में अघोषित दो नंबर पर वह हैं। पार्टी में अध्यक्ष कोई रहे पर वह नंबर एक रहते है। अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं की पसंद के लिहाज से। धोती, कुर्ता और सदरी पहने हुए राजनाथ ग्रामीण परिवेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। संकट के समय में मोदी सरकार का राजनाथ सिंह पर भरोसा कई बार सार्वजनिक तौर पर दिखा भी है। गलवान घाटी में चीन की ओर से सीमा का अतिक्रमण करने पर दोनों सदनों में सरकार का पक्ष उनने मजबूती से रखा। चीनी आक्रमण की वजह से देश को अत्याधुनिक हथियारों की जरूरत पड़ी तो रूस को मनाने के लिए राजनाथ सिंह ही भेजें गये।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

राफेल विमान का तिलक कर और उसके टायर के नीचे नींबू मिर्च रखने की वजह से वह विवाद का सबब बने। लेकिन इसे भी हिंदू परंपराओं का पालन और राजनाथ सिंह के भदेसपने की निशानी के तौर पर देखने वालों की कमी नहीं है। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनवाने में बतौर पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अहम भूमिका थी। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की आपत्ति व सुषमा स्वराज के विरोध सरीखी सभी राजनीतिक चुनौतियों का मुकाबला मजबूती से किया।

पूर्व भाजपा अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी के मुकाबले मोदी राजनाथ सिंह पर अधिक भरोसा करते हैं।वे दी गई जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाते हैं । उनके राजनीतिक अनुभव के चलते मोदी सरकार उनकी उपेक्षा भी नहीं कर सकती। उनका कोई विकल्प मोदी-शाह के नेतृत्व वाली भाजपा में नहीं है। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री पद के सिवा राजनीति में वह सब हासिल कर चुके हैं, जो हर नेता का सपना होता है।भौतिक विज्ञान के लेक्चरर रहे राजनाथ सिंह ने पार्टी के आम कार्यकर्ता से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाला है। वह विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर भी असर छोड़ने में कामयाब रहे हैं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

2004 के लोकसभा चुनाव में असफलता हाथ लगते ही राजनाथ सिंह को लालकृष्ण आडवाणी की जगह पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। इस दौरान उन्होंने देशव्यापी ज़बरदस्त सदस्यता अभियान चलाया। अटल जी के करीबी सहयोगी रहे जसवंत सिंह को जिन्ना की तारीफ़ करने की वजह से पार्टी से बाहर किया। पार्टी अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी के पूर्ति विवाद में फंसने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा । राजनाथ सिंह को अध्यक्ष बनने का फिर मौका मिला। इस बार उन्होंने मोदी के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता प्रशस्त किया। उन्हें 'ए मैन ऑफ ऑल सीजन' माना जाता है। राजनाथ सिंह अपने विपक्षियों के बारे में भी कभी केवल आलोचनात्मक नजर नहीं आते। वह समालोचना की राजनीति पर यकीन करते है। किसी को भी बेल्ट के नीचे वार करने में उनका यकीन नहीं दिखता है। हर पार्टी के लोगों से रिश्ते बना कर रखना व राजनीति की मजबूती और मजबूरी दोनों ठीक से समझते है। उनकी व उनके लोगों की आलोचना की जाये तो उन्हें करीब से जानने वालों को यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि वह जो कुछ हैं उसे बता पाने में वह आज भी कामयाब नहीं हैं। हालांकि राष्ट्रीय सेवक संघ व अटल बिहारी वाजपेयी उन्हें ठीक से समझने वालों की सूची में रखे जा सकते हैं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया


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