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Rajnath Singh News: भाजपा के लिए हमेशा शुभ रहे राजनाथ, जानिए क्यों ?
Rajnath Singh News: छोटी सी उम्र से ही संघ के सदस्य रहे राजनाथ सिंह ने भाजपा के हर स्तर पर काम कर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला है। राजनाथ सिंह को राजनीतिक क्षितिज में यूपी की राजनीति का माहिर, चतुर रणनीति कार और ओजस्वी वक्ता के तौर पर पहचाना जाता है।
Rajnath Singh: वर्तमान में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh News) उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने राजनीति के हर पायदान पर काम किया। वर्तमान में राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) की लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे भारत के गृह मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में रह चुके हैं। इसके साथ ही वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (UP Mukhyamantri) और कई बार कैबिनेट मंत्री के पद पर कार्य कर चुके हैं।
छोटी सी उम्र से ही संघ के सदस्य रहे राजनाथ सिंह ने भाजपा (BJP) के हर स्तर पर काम कर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला है। राजनाथ सिंह को राजनीतिक क्षितिज में यूपी की राजनीति (UP Ki Rajniti) का माहिर, चतुर रणनीति कार और ओजस्वी वक्ता के तौर पर पहचाना जाता है।
निजी जीवन (Rajnath Singh Wiki In Hindi)
राजनाथ सिंह का विवाह सावित्री सिंह (Rajnath Singh Wife) से हुआ है। उनके 2 पुत्र और 1 पुत्री (Rajnath Singh Children) हैं। उनके पुत्र पंकज सिंह नोयडा विधानसभा सीट से विधायक हैं जबकि उनके दूसरे बेटे नीरज सिंह राजनाथ सिंह का कार्य देखते हैं। उनकी पुत्री का नाम अनामिका सिंह है। राजनाथ सिंह राजनेता से पहले के.बी कॉलेज मीरजापुर उत्तर प्रदेश में भौतिक विज्ञान की प्रवक्ता भी रह चुके हैं।
राजनाथ सिंह का जन्म (Rajnath Singh Birthday) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले (Varanasi) के एक छोटे से ग्राम भाभोरा में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम (Rajnath Singh Father) राम बदन सिंह (Ram Badan Singh) और माता का नाम (Rajnath Singh Mother) गुजराती देवी (Gujarati Devi) है। उनके पिता एक साधारण कृषक थे। लेकिन उनके परिवार में शिक्षा का बहुत महत्व था। इसका असर यह हुआ कि उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में एमएससी की उपाधि (Rajnath Singh Education) प्राप्त प्रथम क्ष्रेणी में प्राप्त की।
राजनीति का आरंभ (Rajnath Singh Political Career In Hindi)
राजनाथ सिंह 13 वर्ष की आयु से (सन् 1964 से) संघ परिवार से जुड़े हुए हैं और मिर्ज़ापुर में भौतिकी व्याख्यता की नौकरी लगने के बाद भी संघ से जुड़े रहे। वर्ष 1972 में मिर्जापुर के शाखा कार्यवाह (महासचिव) भी बने। 1974 में उन्हें भारतीय जनसंघ का सचिव नियुक्त किया गया। यहीं से राजनाथ सिंह पूर्णकालिक और सक्रिय मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए। कहा जाता है कि वह इस दिन माथे पर एक चमकदार लाल तिलक के साथ राजनीति में शामिल हुए थे। तब से लेकर आज तक वे इसी लाल टीके के साथ अकसर देखे जाते हैं।
पूर्णकालिक राजनीति से पूर्व वे 1969 और 1971 के बीच वह गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठनात्मक सचिव थे। 24 वर्ष की आयु में वर्ष 1975 में उनको जनसंघ का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उस समय वह जयप्रकाश नारायण के जेपी आंदोलन से प्रभावित थे और जनता पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें वर्ष 1975 में जेपी मूवमेंट के साथ जुड़ने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में भी गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 2 साल की अवधि के लिए हिरासत में लिया गया था। जब उन्हें रिहा किया गया तो 1977 में वह मिर्जापुर विधान सभा सीट से जीतकर फिर से विधायक बन गये।
उन्होंने कांग्रेस के अज़हर इमाम को हराया। जेपी मूवमेंट में गिरफ्तारी और उनकी भूमिका की वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में लोकप्रियता हासिल हुई। 1980 में भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी के शुरुआती सदस्यों में से एक बन गए। वे भाजपा के उम्मीदवार के रूप में 1980 और 1985 के विधानसभा चुनाव हार गए। उन्हें 1984 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष, 1986 में भाजयुमो का राष्ट्रीय महासचिव और 1988 में इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। 1988 में उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भी पार्टी ने भेजा।
1991 में, वे उत्तर प्रदेश राज्य में पहली भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री बने। 1991 में बनी कल्याण सिंह सरकार में शिक्षा मंत्री बन कर वे न सिर्फ़ नकल विरोधी अध्यादेश लाए, जिसके तहत नकल करना ग़ैर ज़मानती अपराध बना दिया गया था, बल्कि उन्होंने पाठ्यक्रम में वैदिक गणित जैसे विषय भी शामिल कराए। वह दो साल के कार्यकाल के लिए मंत्री बने रहे। उन्होंने अपने इस कार्यकाल में विज्ञान ग्रंथों का आधुनिकीकरण करवाया।
अप्रैल 1994 में, उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया। 1997 में, वे उत्तर प्रदेश में भाजपा की इकाई के अध्यक्ष बने और 1999 में वे भूतल परिवहन के लिए केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बने। उन्हें 2000 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का तब मौका मिला जब वयोवृद्ध रामप्रकाश गुप्त को अस्वस्थता और कार्यकुशलता की कमी की वजह से हटाना पड़ा।
मुख्यमंत्री के तौर पर (Rajnath Singh Mukhyamantri Kab Kab Bane)
राजनाथ सिंह साल 2000-2002 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें राम प्रकाश गुप्ता के उत्तराधिकारी के तौर पर चुना गया था। उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने में उनकी जेपी आंदोलन की छवि, 1970 से लेकर लंबे समय से अपने जमीनी स्तर के प्रभाव के कारण लोगों के बीच पकड़ और छवि को बड़ा कारण माना जाता है। कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में उनकी ख्याति और प्रशासनिक अनुभव भी महत्वपूर्ण कारक था। उस समय वे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत करीब और विश्वासपात्र थे। राज्य के लोगों के बीच उनकी बहुत साफ छवि थी।
इसके साथ ही उन्हें पार्टी ने प्रदेश में ठाकुरों का एक बड़े नेता के तौर पर स्थापित किया था। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने सबके साथ सीधा संवाद स्थापित कर लोकप्रियता हासिल की। उनके कार्यकाल में मुख्यमंत्री कार्यालय और आवास आम लोगों की पहुंच में आ गया था। कहा जाता था कि उस समय कोई भी मुख्यमंत्री आवास में अपनी फरियाद या विमर्श लेकर सीधा पहुंच सकता था। राजनाथ सिंह की गिनती बहुत ही मृदुभाषी नेताओं में है।वह अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अपने धाकड फैसलों के लिए जाने जाते हैं।
उन्होंने अपने आवास पर किसान पंचायत, शिक्षक पंचायत, कर्मचारी पंचायत भी की। इसके साथ ही उन्होंने अपने ही कैबिनेट के मंत्री रहे नरेश अग्रवाल को भाजपा का विरोध करने पर खुद ही बर्खास्त कर दिया। साथ ही उन्हें खुद ही फोन पर इसकी सूचना दी। अपने ही राज्यमंत्री अमरमणि त्रिपाठी को एक अपहरण के सिलसिले में बर्खास्त कर दिया। देश में संभवतः उन्होंने पहली बार अति पिछड़ा आरक्षण की बात की थी। 2002 के यूपी चुनाव में उनके नेतृत्व में बीजेपी को क़रारी हार का सामना करना पड़ा।
सियासत में दिल्ली का सफर (Rajnath Singh Ke Delhi Ka Safar)
वैसे तो 1999 में राजनाथ सिंह अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में भूतल परिवहन केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहे पर 2002 में बतौर मुख्यमंत्री यूपी की हार के बाद पुनः केंद्रीय मंत्रिमंडल में बतौर केंद्रीय कृषि मंत्री शामिल कर लिए गए। उस दौरान उन्होंने किसान कॉल सेंटर, फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाएं शुरू कर किसानों में लोकप्रियता हासिल की।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (Rajnath Singh BJP National President Kab Bane)
राजनाथ सिंह दो बार पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इससे पहले यह उपलब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के पास ही रही है। वह 31 दिसंबर 2005 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, 19 दिसंबर 2009 तक वह एक पद पर रहे। राजनाथ सिंह दूसरी बार जनवरी 23, 2013 से जुलाई 09, 2014 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने में उस समय बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अहम भूमिका रही है। इसके लिए उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की आपत्ति को झेला, सुषमा स्वराज का विरोध झेला। बावजूद इसके राजनाथ सिंह ने सभी राजनीतिक चुनौतियों का मुक़ाबला कर मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनवाया।
मई 2009 में, वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से 15 वीं लोकसभा के लिए सांसद चुने गए। वर्ष 2014 में उन्होंने लखनऊ निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बतौर अध्यक्ष लोकसभा चुनाव में बड़ी सफलता के बाद उन्हें केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण गृहमंत्री का पद दिया गया। फिल्म स्टार अक्षय कुमार के साथ उनके द्वारा 'भारत के वीर' एप जारी किया जिससे युद्ध में शहीद सैन्यकर्मियों के परिजनों की मदद की जाती है। इसके साथ ही उन्होंने बस्तरिया बटालियन का गठन किया। 17 वीं लोकसभा में भी राजनाथ सिंह वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।
कब किस पद पर (Rajnath Singh Post In Hindi)
1972 में आरएसएस की मिर्जापुर शाखा के महासचिव।
1974 में, उन्हें भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ की मिर्जापुर इकाई के लिए सचिव नियुक्त किया गया।
1975 जनसंघ का मिर्जापुर जिला अध्यक्ष।
1977 में मिर्जापुर से विधान सभा सीट से विधायक।
1980 में भाजपा में शामिल।
1984 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष।
1986 में भाजयुमो के राष्ट्रीय महासचिव।
1988 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
1988 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य।
1991 में, उत्तर प्रदेश में पहली भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री।
1994 में, राज्यसभा सदस्य।
1997 में, उत्तर प्रदेश में भाजपा की इकाई के अध्यक्ष बने।
1999 में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री।
2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री।
2003 में केंद्रीय कृषि मंत्री।
2005 भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष।
2013 भाजपा के दूसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष।
2014 केंद्रीय गृहमंत्री।
2019 से अब तक भारत के रक्षा मंत्री।
राजनाथ से जुड़े रोचक तथ्य (Rajnath Singh Interesting Facts)
• कहा जाता है कि इमरजेंसी में जब राजनाथ सिंह जेल में बंद थे तो उस समय भाजपा के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्ता ने उनका हाथ देखकर कहा था कि तुम एक दिन यूपी के सीएम बनोगे।
• विडंबना ये कि राजनाथ सिंह को यूपी का सीएम रामप्रकाश गुप्ता को हटाकर ही बनाया गया।
• बतौर यूपी के शिक्षा मंत्री राजनाथ नकल अध्यादेश के लिए मशहूर हुए। इस अध्यादेश के तहत नकलची विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र से गिरफ्तार किया जाता था और जमानत कोर्ट से मिलती थी। इसका असर यह हुआ कि पूरे प्रदेश में पहली बार नकल विहीन परीक्षा हुई । लेकिन सूबे में पास होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत बहुत कम हो गया।
• इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में खुद राजनाथ सिंह भी लखनऊ के पास की महोना सीट से चुनाव हार गए। तब सियासी गलियारों में ये चर्चा आम थी कि राजनाथ को शिक्षकों और नकलची बच्चों की बद्दुआ लगी है।
• बतौर मुख्यमंत्री अति पिछड़ों को आरक्षण में आरक्षण देने की पहल भी राजनाथ सिंह के नाम ही है। इसके बाद बिहार में नीतीश कुमार ने इस राजनीतिक दांव को लपक लिया।
• नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने में बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अहम भूमिका रही है। इसके लिए उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की आपत्ति को झेला, सुषमा स्वराज का विरोध झेला। बावजूद इसके राजनाथ सिंह ने सभी राजनीतिक चुनौतियों का मुक़ाबला कर वर्ष 2013 में मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनवाया।
• उस समय राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा थी कि राजनाथ ने यह कदम इस लिए उठाया है कि क्योंकि उस समय भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने की चर्चा कहीं नहीं थी। साथ ही राजनाथ के नाम पर एनडीए की सर्वसम्मति की बात भी तैर रही थी।
• राजनीतिक चर्चाओं में अकसर कहा जाता है कि राजनाथ सिंह की कुंडली में देश का प्रधानमंत्री बनने का योग है।
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