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तेलंगाना का रामप्पा मंदिर हुआ विश्व धरोहर में शामिल, जानें इसका इतिहास

Ramappa temple: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने संस्कृति मंत्रालय को इस मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा था।मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) को भेजा गया था।

Akshita
Written By AkshitaPublished By Monika
Published on: 26 July 2021 9:16 AM GMT
Ramappa Temple in Telangana
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तेलंगाना का रामप्पा मंदिर (फोटो : सोशल मीडिया )

Ramappa temple: यूनेस्को द्वारा आज तेलंगाना के रामप्पा मंदिर (Ramappa Temple in Telangana) को विश्व धरोहरों की सूची में रखने का ऐलान किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने संस्कृति मंत्रालय को इस मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा था।मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) को भेजा गया था।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी ने ट्वीट किया कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि यूनेस्को ने तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट में स्थित रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र, खासकर, तेलंगाना के लोगों की ओर से, मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करता हूं। किशन रेड्डी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण, संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व विरासत समिति की बैठक 2020 में आयोजित नहीं की जा सकी थी और 2020 और 2021 के नामांकनों पर ऑनलाइन बैठक की एक श्रृंखला में चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि रामप्पा मंदिर पर रविवार को चर्चा की गई। पीएम मोदी ने दी बधाई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि उत्कृष्ट! सभी को बधाई, खासकर तेलंगाना की जनता को। प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतिय वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है। मैं आप सभी से इस शानदार मंदिर के परिसर में जाने और इसकी भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करता हूं।

वारंगल स्थित रामप्पा मंदिर का इतिहास

भारत को सामान्यतः मंदिरों की वजह से भी पहचाना जाता है।ऐसा कहा जा सकता है कि हर एक सदी में ऐसे मंदिरों का निर्माण उस समय के राजाओं द्वारा हुआ जो अपने आप में एक अद्भुत ,अविश्वसनीय पहचान के रूप में आज भी हमारे सामने हैं।कुछ मंदिर ऐसे भी थे जिन्हें आपदाओं ने निगल लिया पर कुछ उन आपदाओं से भी बाख निकले।ऐसा ही कुछ इतिहास रामप्पा मंदिर का है जो तैरने वाले पत्थरों से बनकर तैयार हुआ ।

वारंगल में स्थित रामप्पा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसका नाम इस मंदिर को बनाने वाले शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया था। यह एकलौता ऐसा मंदिर है जो किसी शिल्पकार के नाम पर रखा गया12वीं सदी में बने इस मंदिर का निर्माण काकतिया वंश के महाराज ने करवाया था।

इस दौर में बने भारत के ज्यादातर मंदिर अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन कई प्राकृतिक आपदाएं झेलने के बाद भी इस प्रसिद्ध मंदिर को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है। शिवरात्रि के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

तेलंगाना के काकतीय वंश के महाराजा गणपति देवा ने सन 1213 में इन मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था। मंदिर के शिल्पकार रामप्पा के काम को देखकर महाराजा गणपति देवा काफी प्रसन्न हुए थे और इसका नाम रामप्पा के नाम पर रख दिया था।

मंदिर के न टूटने की बात जब पुरातत्व वैज्ञानिकों को पता चली, तो उन्होंने मंदिर की जांच की। पुरातत्व वैज्ञानिक अपनी जांच के दौरान काफी कोशिशों के बाद भी मंदिर की मजबूती का कारण पता लगाने में कामयाब नहीं हुए।

इस मंदिर को बनने में लगे 40 साल

रामप्पा मंदिर को बनाने में 40 साल का समय लगा था। छह फीट ऊंचे प्लैटफॉर्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य उकेरे हुए हैं। मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की एक मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई नौ फीट है।

बाद में जब पुरातत्व वैज्ञानिकों ने मंदिर के पत्थर को काटा, तब पता चला कि यह पत्थर वजन में काफी हल्के हैं। उन्होंने पत्थर के टुकड़े को पानी में डाला, वह टुकड़ा पानी में तैरने लगा। पानी में तैरते पत्थर को देखकर मंदिर की मजबूती का राज पता चला।

भारत के कई पूराने मंदिर पत्थरों के वजन के कारण समय के साथ खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। लेकिन रामप्पा मंदिर के अपने पत्थरों के कम वजन के कारण आज भी काफी मजबूत है। हालांकि वैज्ञानिक रामप्पा मंदिर में लगे हल्के पत्थरों के रहस्य के बारे में पता नहीं कर पाए हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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