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Rashtriya Swayamsevak Sangh: कब हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना और क्या है उसकी देश में भूमिका
Rashtriya Swayamsevak Sangh : इस संगठन को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मातृ संगठन कहा जाता है। इस समय संघ के 36 आनुषांगिक संगठन हैं , जो देश के लिए अलग अलग क्षेत्रों में काम करते रहते हैं।
Rashtriya Swayamsevak Sangh: विश्व के सबसे बडे़ संगठन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का आज स्थापना दिवस है (Rashtriya Swayamsevak Sangh foundation day) । इसलिए हर वर्ष विजय दशमी (Vijay Dashami) के अवसर पर संघ प्रमुख के राष्ट्र के नाम संदेश देने की एक परम्परा चली आ रही है। इस संगठन को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मातृ संगठन कहा जाता है। इस समय संघ के 36 आनुषांगिक संगठन हैं , जो देश के लिए अलग अलग क्षेत्रों में काम करते रहते हैं।
कब हुई थी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की स्थापना
(kab hui Rashtriya Swayamsevak Sangh sthapna)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर , 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी (RSS founder Keshav Baliram Hedgewar)। चार साल बाद अपनी लम्बी ऐतहासिक यात्रा के संघ पूरे 100 वर्ष कर लेगा। आजादी की लड़ाई के दौरान अपनी महती भूमिका निभाने वाले आरएसएस यानी कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ हिन्दुत्व का प्रभाव बढते देख कर ही तत्कालीन कांग्रेस सरकार (congress government) ने 1975 में उसे बैन कर दिया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवादी हिन्दू संगठन है (hindu sangathan) । जिसके तहत कई विश्वविद्यालय, स्कूल संचालित है। कई धर्मार्थ कार्य किए जाते हैं। यह सारे आनुषांगिक संगठन हिन्दुत्व का प्रचार प्रसार करने का काम करते हैं।
राजनीतिक कारणों से बैन भी लगाया जा चुका है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ब्रिटिश भारत में एक बार बैन किया गया था (Rashtriya Swayamsevak Sangh ban in british india)। आजादी के बाद भी तीन बार बैन किया जा चुका है। पहली बार महात्मा गांधी की हत्या (Mahatma Gandhi ki hatya) के समय दूसरी बार इमरजेंसी (Emergency In India) के समय और तीसरी बार बाबरी विध्वंस ढहाने (demolition of babri) के समय इसे बैन किया गया था। आपातकाल के समय 1975 से 1977 के बीच आपातकाल के खिलाफ संघर्ष और जनता पार्टी के गठन तक में संघ के कार्यकर्ताओं ने अपनी भूमिका निभाई। जिसमें हजारों स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी के बाद संघ के कार्यकर्ताओं ने भूमिगत रह कर आंदोलन चलाना शुरु किया। हांलाकि इसके पहले भी महात्मा गांधी की हत्या के समय भी इस पर बैन लगाया जा चुका था। आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व में मिलीजुली सरकार बनी।
देश में संकट के दौरान संघ के कार्यकर्ताओं ने निभाई अपनी भूमिका
देश में जब जब संकट आया। संघ के कार्यकर्ताओं ने आगे बढकर अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाई है। संघ के स्वयंसेवकों ने अक्टूबर 1947 से ही कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर बगैर किसी प्रशिक्षण के लगातार नज़र रखने का काम किया। इस दौरान भारत के कई सैनिकों के साथ कई स्वयंसेवकों ने भी देश के लिए आहुति दे दी। संघ की स्थापना के 75 वर्ष बाद पहली बार प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की मिलीजुली सरकार बनी। इसके बाद वर्ष 2014 में संघ कार्यकर्ताओं के सहयोग से देश में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी, जो 2019 के बाद से अबतक लगातार चल रही है।
अब तक के (सरसंघचालक) संघ प्रमुख
डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डॉक्टरजी (1925 - 1940 )
माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य गुरूजी (1940 - 1973 )
मधुकर दत्तात्रय देवरस उपाख्य बालासाहेब देवरस (1973 - 1993 )
प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया (1993 - 2000 )
कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन उपाख्य सुदर्शनजी (2000 - 2009 )
डॉ॰ मोहनराव मधुकरराव भागवत (2009 -से अबतक )