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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल 3 साल के लिए बढ़ा, अब दिसंबर 2024 तक रहेंगे इस पद पर
RBI governer Shaktikanta Das: केंद्र सरकार ने शक्तिकांत दास को 10 दिसंबर 2021 के बाद एक बार फिर तीन साल के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में विस्तार देने का निर्णय सुनाया।
RBI Governer Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक या आरबीआई (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया है। बता दें, कि आरबीआई गवर्नर (RBI governor) का कार्यकाल 10 दिसंबर, 2021 को समाप्त हो रहा था। लेकिन, कैबिनेट नियुक्ति समिति ने उनके अगले तीन साल तक एक बार फिर आरबीआई गवर्नर बने रहने पर मुहर लगा दी है। आगामी 10 दिसंबर को शक्तिकांत दास देश के 26वें गवर्नर नियुक्त होंगे। जिसके बाद वो दिसंबर 2024 तक इस पद पर रहेंगे।
RBI गवर्नर के रूप में विस्तार देने का निर्णय सुनाया
केंद्र सरकार ने शुक्रवार (29 अक्टूबर,2021) को शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) को 10 दिसंबर, 2021 के बाद एक बार फिर तीन साल के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर के रूप में विस्तार देने का निर्णय सुनाया। सरकार की तरफ से एक बयान में कहा गया है, कि नियुक्ति संबंधी कैबिनेट समिति (Cabinet samiti) ने तमिलनाडु कैडर (Tamilnadu) के पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शक्तिकांत दास (Shaktikant das) की पुनः नियुक्ति को मंजूरी दे दी है.
साल 2018 में बने थे RBI गवर्नर
शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर 10 दिसंबर 2018 को पदभार संभाला था। वो तब रिजर्व बैंक के 25 वें गवर्नर बने। शक्तिकांत दास इससे पहले वित्त सचिव और वित्त आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं। शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) की नियुक्ति साल 2018 में तब हुई थी जब उर्जित पटेल ने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। बता दें, कि उर्जित पटेल (Urjit patel) सितंबर 2016 में आरबीआई के 24वें गवर्नर नियुक्त हुए थे। लेकिन, उन्होंने अपने कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व ही निजी वजहों का हवाला देते हुए आरबीआई गवर्नर (RBI governor) पद से इस्तीफा दे दिया था।
38 वर्षों में विभिन्न अहम पद को संभाला
आरबीआई गवर्नर का पद संभालने से पहले उन्होंने 15वें वित्त आयोग के सदस्य के रूप में काम किया था। उससे पहले, शक्तिकांत दस राजस्व विभाग तथा आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय में सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं। अब तक उनके वित्तीय मामलों से जुड़े कार्य अनुभव को देखें तो वह सीधे तौर पर आठ केंद्रीय बजट तैयार करने से जुड़े रहे थे। शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बीते 38 वर्षों के अपने सरकार से जुड़े काम के दौरान कई अनुभव हासिल किए। इस दौरान वो वित्त, उद्योग, कराधान, बुनियादी ढांचे सहित अन्य क्षेत्रों में राज्य सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।
कौन हैं शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ?
- आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) का जन्म 26 फरवरी 1957 को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में हुआ था।
- शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने इतिहास विषय से एम.ए किया है।
- दास 1980 बैच के तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।
- वह वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स में जॉइंट सेक्रेटरी बजट के पद पर रह चुके हैं।
- साथ ही, तमिलनाडु सरकार के राजस्व विभाग में कमिश्नर और स्पेशल कमिश्नर का पदभार भी संभाल चुके हैं।
- इसके अलावा वो तमिलनाडु के उद्योग विभाग में सेक्रेटरी सहित अन्य पदों पर रह चुके हैं।
- शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने विश्व बैंक (World Bank) , एशियाई विकास बैंक (ADB), न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) में भारत के वैकल्पिक गवर्नर के रूप में भी काम किया है।
- शक्तिकांत दास ने अंतरराष्ट्रीय कई मंचों जैसे आईएमएफ (IMF), जी-20 (G20), ब्रिक्स (BRICS), सार्क (SAARC) आदि में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते जुड़े थे मंत्रालय से
केंद्र की मोदी सरकार ने 08 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। उस समय शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) आर्थिक मामलों के सचिव थे। नोटबंदी के सरकार के फैसले की जब राजनीतिक सहित कई आर्थिक विशेषज्ञ आलोचना कर रहे थे, तब दास ने सरकार का बचाव किया था। शक्तिकांत दास वित्त मंत्रालय में पहली बार 2008 में संयुक्त सचिव बने। उस वक़्त पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे। फिर, शक्तिकांत दास को दिसंबर 2013 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में सचिव बनाया गया। लेकिन, मई 2014 में केंद्र की बीजेपी सरकार बनने के बाद उन्हें वापस वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव बनाया गया। शक्तिकांत दास ने जीएसटी को लागू करने में भी अहम भूमिका निभाई।
जानें कैसे तय होता है RBI गवर्नर का कार्यकाल
आरबीआई से जुड़े कानून के मुताबिक, सरकार को आरबीआई गवर्नर का कार्यकाल तय करने की छूट होती है। जिसके अनुसार, यह 5 साल से ज्यादा नहीं हो सकता। हालांकि, सरकार चाहे तो किसी भी आरबीआई गवर्नर को लगातार दूसरी बार इस पद पर नियुक्त कर सकती है। हाल के वर्षों में, सिर्फ एस.वेंकटरमण का ही कार्यकाल रघुराम राजन से भी छोटा था। वह दो वर्ष तक ही आरबीआई गवर्नर रहे थे।