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कृषि कानूनों की वापसीः जानें किसने क्या कहा, क्या है किसानों का रिएक्शन

Krishi kanoon: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pradhan mantri narendra modi) ने आज विवादित तीन कृषि कानूनों (Krishi kanoon) को वापस लेने का एलान किया है।

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Newstrack Network
Published on: 19 Nov 2021 9:39 AM GMT (Updated on: 19 Nov 2021 3:19 PM GMT)
PM Modi
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पीएम मोदी (डिजाइन फोटो सोशल मीडिया)

Krishi kanoon Bill: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pradhan mantri narendra modi) ने आज विवादित तीन कृषि कानूनों (Krishi kanoon) को वापस लेने का एलान किया है। उन्होंने कहा है कि संसद के आगामी सत्र में इन्हें वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी। इस पर आंदोलनरत किसान संगठनों ने जहां ये कहा है कि वह संसद से कृषि कानूनों की वापसी (krishi kanoon update) का इंतजार करेंगे। वहीं तमाम किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया है। पक्ष विपक्ष के नेताओं की भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। आइए जानते हैं कृषि कानूनों की वापसी पर किसने क्या कहा, क्या है किसानों का रिएक्शन।

राष्ट्रीय लोक दल का कृषि कानून पर बयान

मेरठ से संवाददाता सुशील कुमार की रिपोर्ट - प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीनों काले कृषि कानूनों को वापिस लेने की घोषणा पर राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनम्र शास्त्री ने कहा कि 700 से ज्यादा किसानों की जान लेने और सालभर तक उन्हें धूप, बरसात और सर्दी-गर्मी में खुले आसमान के नीचे तड़पाकर सरकार को अब समझ आया कि कृषि कानून गलत थे और किसान सही। ये किसानों के संघर्ष, समर्पण, धैर्य और उनकी शहादत का ही परिणाम है कि अहंकारी सरकार का गुरुर टूटा और उसे देश के करोड़ों किसानों के सामने झुकते हुए तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। राष्ट्रीय लोकदल नेता ने कहा कि मुद्दों को लेकर किसानों की लड़ाई जारी रहेगी ।

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने इस विषय पर ट्वीट करते हुए कहा " किसान की जीत हम सबकी है, इस देश की जीत है!" यह जीत देश के किसानों की जीत है, जो हर कदम तानाशाही सरकार के खिलाफ डटकर खड़े रहे।

सरकार की बेरुखी और दमन के आगे जब आंदोलन धीमा पड़ने लगा तब स्व. चौधरी अजित सिंह ने लगातार किसानों का हौसला बढ़ाया उन्हें ताकत दी। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. जयंत सिंह ने भी किसान आंदोलन के दौरान 60 से ज्यादा किसान पंचायतें कर किसानों की आवाज को बुलंद किया। अन्नदाताओं की यह लड़ाई जारी रही और अंतत: किसानों को जीत मिली। लेकिन इन काले कानूनों को वापिस लेने से ही भाजपा सरकार के पाप धुलने वाले नहीं हैं।

किसान नहीं भूल सकता कि कैसे एक अहंकारी सरकार ने सालभर तक उन्हें खुले आसमान के नीचे सड़को पर बैठने को मजबूर किया। किस तरह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों, मुख्यमंत्री और नेताओं ने आंदोलन करने वाले किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी और देशद्रोही तक कहकर बदनाम किया।

अभी हाल ही में किस प्रकार लखीमपुर में किसानों को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे ने अपनी गाड़ी तले कुचल डाला, देश अभी भूला नहीं है। अब उपचुनावों में हार, जनआक्रोश और देशभर में किसानों की नाराजगी को देखते हुए आखिरकार प्रधानमंत्री को कानून वापस लेने का फैसला करना पड़ा। बड़ा सवाल ये है कि जो भाजपा और उसके समर्थक कल तक इन कानूनों को सही बताते नहीं थकते थे तो फिर आज उन्हें वापस करने को मजबूर क्यों होना पड़ा। ये कानून किसान विरोधी थे, यह बात भाजपा को अब समझ आई जब 700 किसानों की जान चली गई। अपने मुद्दों को लेकर किसानों की लड़ाई जारी रहेगी।

Ballia सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओ.पी राजभर बोले

सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओ.पी राजभर

यूपी के बलिया में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कृषि कानून वापस लेने पर कहा कि सैकड़ो किसानों के शहादत के बाद अपनी हार को देखते हुए अपनी हार के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया है। किसानों के सामने सरकार को झुकना पड़ा है किसानों की जीत हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने पर उत्तर प्रदेश के बलिया में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आज प्रधानमंत्री द्वारा जो तीन कृषि काले कानून वापस लिए हैं, इसमें देश के किसानों को सबसे पहले बधाई। आंदोलन में शहीद सैकड़ों किसानों को नमन। आखिरकार सरकार को किसानों के आगे झुकना ही पड़ा। किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, निठल्ले, नकली किसान, आंदोलन जीवी कहने वाले लोगों की हार हुई है। सैकड़ों किसानों की शहादत के बाद चुनाव में अपनी हार को देखते हुए हार के डर से कृषि कानून वापस जो लिया है।

राजभर ने कहा, अडानी और अंबानी को लाभ पहुंचाने का जो बीड़ा उठाया था, किसानों के सामने सरकार को झुकना पड़ा और सरकार से, प्रधानमंत्री से कहूंगा कि जब गरीब सवर्णों को आप 10% आरक्षण 72 घंटे में दे सकते हो तो 52 पर्सेंट आबादी पिछड़ों की है। पिछड़ों को भी 52 परसेंट आरक्षण देने की व्यवस्था आप बनाएं। देश में जातिवाद जनगणना की व्यवस्था पिछड़ों के लिए बनाई पिछड़ों के साथ धोखा क्यों करते हैं। यही सरकार बनाता और बिगाड़ता है।

ओमप्रकाश राजभर ने कहा, महंगाई से निजात कैसे मिले देश के जनता को, इसके विषय में कानून बनाइए ताकि देश की जनता को निजात मिल सके। देश में हिंदू मुसलमान नफरत की राजनीति बंद करिए। भाईचारे की राजनीति शुरू करिए। और जो गरीबों, कमजोरों पर बिजली की मार पड़ी है, महंगाई की मार पड़ी है, इससे निजात दिलाने के लिए प्रधानमंत्री जी विचार करिए

सुभासपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा मैं फिर कह रहा हूं कि किसानों की जीत हुई, किसानों ने अपने हक की लड़ाई सही लड़ी है। इसकी वजह से आज 12 महीने से जो किसान आंदोलन किए अपने हक के लिए लड़े। उनकी जीत हुई है और जो तीन कृषि कानून प्रधानमंत्री ने लागू किये थे जो किसानों के अहित में थे। किसानों का नुकसान था इनको वापस लिए हैं। ये काले कानून प्रधानमंत्री ने बनाये थे इनको वापस लिया इसमें कौन बहुत बड़ी उपलब्धि सरकार की है।

Prayagraj के किसानों में खुशी की लहर

किसानों में खुशी की लहर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्रि के नाम संबोधन में किसानों को बड़ी सौगात देते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। जिसके बाद पूरे देश के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गयी। इसी कड़ी में संगम शहर प्रयागराज के किसानों ने ढोल बाजा बजाकर, एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी जाहिर की। प्रयागराज किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष अनुज सिंह ने शहर के झलवा क्षेत्र में अन्य किसान साथियो के साथ जश्न मनाया। हाथों में झंडा लेकर जयकारे के नारे लगाए गए।

किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष अनुज सिंह ने मोदी सरकार को धन्यवाद दिया और कहा देर से ही सरकार की नींद खुली लेकिन खुशी इस बात की है सरकार को अपनी गलती का अहसास है। हालांकि अभी धरना प्रदर्शन तबतक जारी रहेगा जबतक किसान बिल संसद में रद्द करने का एलान नही होगा साथ ही साथ जब तक किसान नेता राकेश टिकैत आदेश नहीं देंगे तब तक प्रदर्शन फिलहाल जारी रहेगा।

जश्न मनाते हुए लोग

अनुज सिंह ने ये भी कहा कि एक साल से लगातार किसान अपनी मांगों को लेकर पूरे देश मे धरना प्रदर्शन कर रहा था। तकरीबन 700 से अधिक किसानों की आंदोलन के दौरान मौत भी हुई। कई किसानों के परिवार के घर का चिराग भी बुझ गया। ऐसे में आज प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया ये बयान राहत वाला तो है लेकिन 29 नवंबर से शुरू हो रहे सत्र से इस तीनो कृषि कानून बिल को वापस लिया जाय। अनुज सिंह ने यह भी कहा कि कोई भी राजनीतिक दल इस जीत का श्रेय ना लें क्योंकि यह जीत किसानों के द्वारा किया जा रहा लगातार प्रदर्शन की वजह से है।

अनुज सिंह ने संबोधन में आंदोलन खत्मह कर किसानों को घर लौटने की अपील की है। उन्हों ने कहा कि किसान अपने खेत में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। हालांकि किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने स्पिष्टव कर दिया है कि किसान आंदोलन तत्का ल वापस नहीं होगा। भारतीय किसान यूनियन (BKU)के प्रवक्ताे टिकैत ने एक ट्वीट में यह बात कही। उन्होंहने ट्वीट में लिखा, 'आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार न्यूतनतम समर्थन मूल्यर के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें'।

कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद Meerut समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में जश्न

Meerut: तीनों कृषि कानून को वापस लिए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जश्न का माहौल है। विपक्षी दलों कांग्रेस व राष्ट्रीय लोकदल ने पीएम मोदी के इस फैसले का स्वागत तो किया है लेकिन उन्होंने इसका श्रेय किसानों और अपनी पार्टी के संघर्ष के साथ ही न्यूजट्रैक को देते हुए कहा है कि किसानों के साथ हमारे संघर्ष को जिस तरह न्यूजट्रैक ने सच्चाई और ईमानदारी के साथ प्रमुखता से प्रकाशित और प्रसारित किया है उसी का नतीजा है कि सरकार को किसानों के समाने झुकने पर मजबूर होना पड़ा है।

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ.मैराजुउद्दीन अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार सरकार द्वारा देश के किसानों के लिए जो काला कानून पारित किया गया था,जिसके खिलाफ देश का किसान एकजुट होकर पिछले एक साल से सड़कों पर उतरकर लड़ाई लड़ रहा था,आखिरकार सरकार को किसानों के कड़े संघर्ष के आगे घुटने टेकने पड़े और तीनों काले कानून को वापस लेने का फैसला करना पड़ा। पूर्व मंत्री ने कहा कि ये चौधरी अजित सिंह जी के लिए सच्ची श्रद्धाजंलि है,और रालोद सहित देश के वो तमाम किसान जिन्होंने इस काले कानून को वापस कराने में एक साल कड़ा संघर्ष करकर अहम भूमिका निभाई है। वो लोग बधाई के पात्र हैं। जिसनके संघर्ष से सरकार को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। रालोद नेता डॉ.मैराजुउद्दीन अहमद ने कहा कि किसानों की इस जीत में न्यूजट्रैक के योगदान को भी नकारा नही जा सकता है जिसने किसानों के संघर्ष से जुड़ी पल-पल की खबरों को बिना सैंसर किये आम जनता के साथ ही दिल्ली-लखनऊ पहुंचा कर सरकार को किसानों के पक्ष में फैसला लेने के लिए मजबूर किया।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव चौधरी यशपाल सिंह ने सरकार द्वारा कृषि क़ानूनों के वापसी पर कहा कि यह जीत किसान व मजदूर भाइयों की ही नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र, हमारे संविधान और सत्य की जीत है। कांग्रेस नेता ने इस आंदोलन में जान देने वाले किसानों को शहीदों का दर्जा देने और उनके परिवारों को उचित मुआवज़ा दिलाए जाने की भी मांग की है। इसी के साथ चौधरी यशपाल सिंह ने न्यूजट्रैक का भी धन्यवाद किया है जिसने किसानों के संघर्ष से जुड़ी खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित व प्रसारित किया।

जब तक संसद में कानून वापस नहीं तब तक किसान घर नही जाएग-भाकियू

उधर, सिवाया टोल प्लाजा पर मिनी गाजीपुर बनाकर धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष मनोज त्यागी ने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत है लेकिन कृषि कानून संसद द्वारा पास किए गए थे और जब तक संसद द्वारा किसी कानून वापस नहीं किएजाते हैं और आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को सम्मान नहीं मिलता, तब तक घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि किसान पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही घर जाएगा।

किसानों को एमएसपी पर गारंटी चाहिए- सरदार वीएम सिंह

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन व उप्र किसान मजदूर मार्चा के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह कहते हैं कि यह तीन कृषि कानून गन्ने को प्रभावित नहीं करते हैं। इसलिए पश्चिम उप्र में इसका कोई असर नहीं है।चाहे जो खुशियां मना लो, लेकिन कृषि कानूनों की वापसी से पश्चिम उप्र के किसानों को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। हमारी लड़ाई जहां से शुरू हुई थी, वापस वहीं पहुंच गई है। अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा कि किसानों को एमएसपी पर गारंटी चाहिए एमएसपी से कम रेट की खरीद पर जेल भेजने का प्राविधान होना चाहिए।

Bijnor कृषि कानून बिल वापसी को लेकर किसानों में खुशी

कृषि कानून बिल वापसी पर किसानों में खुशी का महौल

तीन कृषि कानून बिल के विरोध में किसान साल भर से ज़्यादा वक़्त से यूपी व दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल वापिस लेने का फैसला कर लिया है। जिसे लेकर बिजनौर के किसान एक दूसरे को मिठाई ख़िलाकर खुश होते साफ तौर से नज़र आ रहे हैं। लेकिन किसानों के फसलों को लेकर और भी कानून जिस पर केंद्र सरकार से वार्ता के बाद हो आंदोलन खत्म करने की बात कह रहे है।


तीन कृषि कानून बिल के विरोध में किसान पिछले 14 महीने से लगातार यूपी दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल वापिस लेने का अचानक फैसला किया है। जिसे लेकर बिजनौर के कई किसान ढोल नगाड़ों की थाप पर बेहद खुश नजर आ रहे हैं। किसान भाइयों ने आपस में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर की है। साथ ही किसानों का कहना है कि सरकार समय रहते तीनों कृषि कानून बिल वापस ले लेती तो बेहतर होता। किसानों का कहना है कि यूपी पंजाब में विधानसभा चुनाव नजदीक है जिसकी वजह से मोदी जी ने कृषि कानून बिल वापिस लेने का फैसला लिया है। एमएसपी कानून को लेकर भी उच्च स्तर पर बैठे किसान केंद्र सरकार से बात करेंगे तभी कहीं न कहीं कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन को खत्म किया जाएगा। फिलहाल किसानों का आंदोलन बा दस्तूर अभी जारी रहेगा।

Barabanki मेंअखिलेश यादव के जनाधार से डरी सरकार

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है। पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद अब विपक्षी दलों के नेता इसे अपने-अपने प्रयासों का असर बताने में जुट गए हैं। बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप का कहना है कि अखिलेश यादव के बड़े जनाधार और पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-कानून वापस लिए गए हैं।

बाराबंकी जिले में सपा के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने प्रधानमंत्री मोदी के कृषि कानून वापस लेने के ऐलान पर इसे सपा के बढ़ते जनाधार का डर बताया है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के बढ़ते जनाधार और जनसमर्थन के डर से बीजेपी सरकार डरी हुई थी और उत्तर प्रदेश में सभी बड़े नेताओं को उतार दिया है। चुनाव में हार के डर से तीन काले कानून वापस लिए गए हैं। आगे अरविंद सिंह गोप ने कहा कि अखिलेश यादव ने कहा था जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं होंगे तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। हम किसानों को बधाई देते हैं।

एटा से सुनील मिश्र की रिपोर्ट - जनपद मुख्यालय पर आज प्रधानमंत्री के तीनों काले कृषि बिल वापसी की घोषणा पर एटा के शहीद पार्क में भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री भरोसे लायक नहीं, संसद में कानून वापसी व एमएसपी के समाप्त होने पर ही किसानों असली खुशी होगी।

टिकरी बार्डर पर हंगामा हुआ था, उसमें किसान शान्ति पूर्ण आंदोलन करने जा रहे थे। केन्द्र सरकार ने वैरीकेडिंग तार आदि की बाधाएं उत्पन्न कीं, सरकार व उनके गुण्डों की हठधर्मिता के कारण तीन किसान विरोधी कानूनों को लेकर धरना प्रदर्शन ने विकराल रूप धारण किया। 14 महिने से लगातार आंदोलन जारी रहा। विधानसभा चुनाव के नजदीक आते हो मोदी और योगी सरकार के होश ठिकाने आ गये और सरकार ने 14 महिने बाद अचानक तीनों कानूनों की वापसी की घोषणा की है।

किसान सभा के अध्यक्ष राजाराम यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने रास्ते खाली किये हैं। अपने लगाये गये सभी अवरोध हटाये हैं। इस आंदोलन में लगभग 700 किसान शहीद हुए उनके परिवार को नौकरी व मुआवजा सरकार ने नहीं दिया। यह प्रधानमंत्री सिर्फ घोषणा बाज प्रधानमंत्री है। किसानों को प्रधानमंत्री के बिल वापसी की घोषणा पर भरोसा नहीं।

अपने हक के लिए आन्दोलन करना कोई जुर्म नहीं

चुनाव नजदीक है तो डीजल पेट्रोल के पैसे घटा दिये, अभी तक सरकार कहती थी, हमारे नियंत्रण में बाहर है। चुनाव आते ही नियंत्रण में आ गया। सरकार केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय टेनी को गिरफ्तार करे व स्वामी नाथन आयोग को रिपोर्ट को लागू करे।

आज एटा के शहीद पार्क में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक टिकैत के जिलाध्यक्ष रघुराज सिंह यादव व किसानसभा के राजाराम यादव सहित संयुक्त किसान मोर्चा के जयवीर सिंह यादव लालाराम उजागर सिंह राजेंद्र सिंह डाक्टर महीपाल सिंह क्षेत्रपाल सिंह विकास कुमार महाराज सिंह नौवत सिंह अवधेश कुमार प्रेमपाल सिंह भूरे प्रधान सहित किसान यूनियनों के सदस्य मौजूद थे।

Shweta

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