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कोरोना का भयानक कहर: दूसरी लहर का जिम्मेदार कौन- हम या सरकार?
पिछले साल कोरोना संकट में सरकारी मशीनरी चुस्त और फुर्त दिख रही थी वहीं इस बार खस्ता हाल नजर आ रही है।
लखनऊः कोविड-2 का संक्रमण अत्यंत तीव्र गति से फैल रहा है। केवल राजधानी लखनऊ में प्रतिदिन एक हजार मरीज बढ़ रहे हैं। ये वह आंकड़े है जो ट्रेस हो जा रहे हैं जबकि बड़ी संख्या में ऐसे लोग शामिल हैं जो भय के चलते जांच कराने नहीं जा रहे या जांच कराना जिनके लिए मुमकिन नहीं हो पा रहा। कोविड-1 में सरकारी मशीनरी जहां चुस्त और फुर्त दिख रही थी वहीं इस बार सरकारी मशीनरी की हालत खस्ता हाल नजर आ रही है। ऐसे में जनता पर नियम कानून पालन करने की जिम्मेदारी थोप कर तंत्र अपनी ड्यूटी को पूरा किये दे रहा है।
लखनऊ में प्रतिदिन एक साप्ताहिक बाजार, कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन
बानगी के तौर पर लखनऊ में प्रतिदिन एक साप्ताहिक बाजार लगता है। रविवार को चिनहट व नख्खास, सोमवार को बिजनौर, छठी बगिया, मंगलवार को आलमबाग, बुधवार को महानगर, बृहस्पतिवार को अमीनाबाद, शुक्रवार को नीलमथा बाजार, शनिवार को कैंट बाजार लगता है। इन बाजारों में हजारों की तादाद में लोग खरीदारी के लिए उमड़ते हैं क्योंकि इन बाजारों में काफी सस्ता सामान मिलता है। लेकिन इन बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल नहीं रखा जाता न ही कोई मास्क पहनता है। गौरतलब है कि धार्मिक स्थलों पर इतनी भीड़ नहीं जुटती है जितनी इन बाजारों में जुटती है।
चारबाग स्टेशन से लेकर बाजारों तक भीड़, सोशल डिस्टेंसिंग नहीं
इसके अलावा लखनऊ में चारबाग स्टेशन पर दूसरे राज्यों से जिस तरह से श्रमिकों, मजदूरों का रेला आ रहा है। उसके लिए न तो जांच की व्यवस्था है न सोशल डिस्टेंसिंग और नही मास्क क्या इससे संक्रमण नहीं फैलेगा।
प्रतिदिन एक हजार मरीज बढ़ रहे हैं बावजूद इसके साप्ताहिक बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना किसकी जिम्मेदारी है। क्या लोगों को संक्रमित होने के लिए छोड़ दिया जाना उचित है।
कोरोना संकट के बीच यूपी में पंचायत चुनाव भी
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत चुनाव की गतिविधियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। मास्क कोई लगा नहीं रहा है।
सरकार के आदेश हैं कि कोरोना संक्रमित मिलने पर 25 मीटर का एरिया कंटेनमेंट जोन में तब्दील किया जाए लेकिन इसका भी पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में हालात बिगड़ने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
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