TRENDING TAGS :
Rising Inflation: लगातार बढ़ रही महंगाई, मई माह में इन वस्तुओं की कीमतों में हो सकता है इजाफा
Rising Inflation: हाल-फिलहाल में खान-पान जैसी आवश्यक वस्तुओं के अतिरिक्त हमारे रोजमर्रा के लिए आवश्यक पेट्रोल-डीजल, एलपीजी-सीएनजी, आदि की कीमतों में भी लगातार बढ़त दर्ज की जा रही है।
Rising Inflation: महँगाई दर में इजाफे (Rising Inflation) और जीएसटी स्लैब (GST Slab) में बदलाव के आसार के चलते मई माह में रोजमर्रा के उपयोग वाली वस्तुओं सहित कई अन्य चीजों की कीमतों में भारी इजाफा देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि एक ओर जहां जीएसटी स्लैब में बदलाव को लेकर संबंधित समिति ने राज्यों से सलाह मांगी है वहीं दूसरी ओर बीते कुछ समय से महंगाई दर में लगातार दर्ज इजाफे के बाद से मई माह में महँगाई और बढ़ सकती है। ऐसे में इसका सर्वाधिक प्रभाव हमेशा की तरह मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ेगा।
हाल-फिलहाल में खान-पान जैसी आवश्यक वस्तुओं के अतिरिक्त हमारे रोजमर्रा के लिए आवश्यक पेट्रोल-डीजल, एलपीजी-सीएनजी, आदि की कीमतों में भी लगातार बढ़त दर्ज की जा रही है। ऐसे में कोरोना महामारी और अन्य समस्याओं के बीच लगातार बढ़ रही महंगाई आम आदमी पर दोहरी मार जैसा है। कोरोना महामारी के समय एक ओर जहां जिस गति से तमाम लोगों की नौकरियां चली गईं वहीं दूसरी ओर उसी गति से महंगाई में भी इजाफा देखने को मिला।
प्राप्त सूचना के मुताबिक वस्तु एवं सेवा कर समिति (GST Committee) द्वारा मई माह में आयोजित होने वाली बैठक में 143 वस्तुओं के जीएसटी स्लैब में बड़ा बदलाव करने की योजना बनाई जा रही है।
केंद्र सरकार द्वारा गठित जीएसटी कमेटी द्वारा किए जा रहे इन बदलावों के मद्देनज़र कुछ विशेषज्ञों की मानें तो वर्तमान में जीएसटी के जारी चार स्लैब में से निचले स्लैब की दरों में इजाफा देखनें को मिल सकता है, जिसमें अधिकतर वस्तुएं 18 फीसदी जीएसटी स्लैब के अंतर्गत आती, जिन्हें अब बढ़ाकर 28 फीसदी टैक्स स्लैब में किए जाने की योजना बनाई जा रही है।
इन वस्तुओं को कीमतों में हो सकता है इजाफा
टैक्स स्लैब बढ़ाए जाने के चलते विशेष रूप से खान-पान वाली वस्तुओं के अतिरिक्त घड़ियां, सूटकेस, हैंडबैग, परफ्यूम, कलर टीवी, साबुन, शैम्पू, सिरेमिक सिंक, वॉश बेसिन, चश्में, चमड़े की पहनने वाली वस्तुएं और कपड़े शामिल हैं। खान-पान से जुड़ी पापड़, गुड़ आदि वस्तुओं पर पूर्व में जीएसटी लागू नहीं था, लेकिन इसे अब 5 फीसदी जीएसटी स्लैब में किए जाने की योजना बनाई जा रही है वहीं अन्य 18 फीसदी जीएसटी वाली वस्तुओं को 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब में करने पर चर्चा जारी है।