TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

चौधरी अजित सिंह : पिता की एक आवाज पर छोड़ दिया अमरीका, दल-बदल के लिए भी रहे चर्चित

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की राजनीति के साथ उनके मसीहा के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले चौधरी अजित सिंह ने अपने पिता स्व चरण सिंह की राजनीतिक विरासत को एक लंबे समय तक संभालने का काम किया।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Monika
Published on: 6 May 2021 11:47 AM IST
Ajit Singh dies of covid-19
X

चौधरी अजित सिंह (फोटो: सोशल मीडिया) 

लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में किसानों की राजनीति (Politics) के साथ उनके मसीहा के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले चौधरी अजित सिंह (Chaudhary Ajit Singh) ने अपने पिता स्व चरण सिंह (father charan singh ) की राजनीतिक विरासत को एक लंबे समय तक संभालने का काम किया। पिछले चार दशकों तक किसानों की राजनीति में एक बड़ा नाम चौधरी अजित सिंह का रहा। राजनीति के चतुर खिलाड़ी कहे जाने वाले चौ अजित सिंह का 1989 में जनता दल की सरकार में मुख्यमंत्री के तौर पर नाम भी उभरा था पर अंतिम समय मुलायम सिंह यादव के चरखा दांव ने उनको पीछे कर दिया। इसके बाद इन दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक दोस्ती दुश्मनी का एक लंबा दौर चलता रहा।

राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष और पश्चिम यूपी के लोकप्रिय जाट नेता अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 को मेरठ में हुआ था और वे पूर्व प्रधानमंत्री और देश के बड़े किसान नेता चौ चरण सिंह के बेटे थे। वे भारतीय राजनीति के एक बड़े चेहरे थे। मौजूदा समय में वे किसान नेताओं के बड़े नेताओं में शुमार थें। चै अजित सिंह तो अमरीका में रहा करते थे पर 1981 में पिता चौ चरण सिंह के कहने पर वह भारत लौटे और फिर सक्रिय राजनीति में उतरे। चौ अजित सिंह 6 बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहे। इसके अलावा 4 प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री भी रहे।

बेहद सुनहरा रहा है राष्ट्रीय लोकदल का अतीत

राष्ट्रीय लोकदल के अतीत की बात करें तो चौ अजित सिंह के पिता चौ चरण सिंह ने किसानों के हित के लिए कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। इसके बाद उन्होंने भारतीय क्रांति दल की स्थापना इसी साल की। बाद में 1974 में उन्होंने इसका नाम लोकदल करने के बाद 1977 में जनता पार्टी में विलय कर लिया । इसके बाद जनता पार्टी जब 1980 में टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी एस का गठन किया। 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इस दल का नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया और इसी बैनर तले चुनाव लड़ा गया। पार्टी में विवाद के चलते हेमवती नन्दन बहुगुणा इससे अलग हो गये और 1985 में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल का गठन किया।

अजित सिंह किसानों के मसीहा कहलाते थे (फोटो: सोशल मीडिया)

1987 में तेजी से राजनीति में सक्रिय हुए चौ अजित सिंह

इसी बीच 1987 में चौ अजित सिंह के राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पार्टी में फिर विवाद हुआ और लोकदल (अ) का गठन किया गया। इसके बाद लोकदल (अ) का 1988 में जनता दल में विलय हो गया। जब जनता दल में आपसी टकराव शुरूहुआ तो 1987 लोकदल (अ) और लोकदल (ब) बन गया। किसानों की कही जाने वाले इस दल का 1988 में जनता पार्टी में विलय हो गया। फिर जब जनता दल बना तो चै अजित सिंह का दल उसके साथ हो गया।

अजित सिंह राजनीति में जाना माना नाम (फोटो: सोशल मीडिया)

कभी विलय किया तो कभी अलग दल बनाया

लोकदल (अ) यानी चौ अजित सिंह के दल का 1993 मेें कांग्रेस में विलय हो गया। चै अजित सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस से अलग होकर 1996 में किसान कामगार पार्टी का गठन किया। इसके बाद 1998 में चै चरण सिंह की विचारधारा पर चलने वाले इस दल का नाम उनके पुत्र चौ अजित सिंह ने बदलकर राष्ट्रीय लोकदल कर दिया। जहां तक मुलायम सिंह की बात है तो उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही चौ चरण सिंह के साथ की। मुलायम सिंह ने 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीतने के बाद फिर 1969 में वह चै चरण सिंह से जुड़ गए। चौ चरण सिंह ने जब लोकदल का गठन किया तो मुलायम सिंह यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी। प्रदेश में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो मुलायम सिंह को सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। चौ चरण सिंह ने मुलायम सिंह को यूपी विधानसभा में वीर बहादुर सिंह की सरकार में नेता विरोधी दल बनाने का काम किया। 1987-88 में जनता दल के गठन के बाद मुलायम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली तो अजित सिंह मुलायम सिंह यादव के साथ थें। पर मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों नेताओं के समर्थको में हुए टकराव के बाद इन नेताओं की राहें अलग हो गई।

चौधरी अजित सिंह के प्रभाव वाले जिलें

चै अजित सिंह की राजनीति जिन जिलों में अधिक प्रभावी रही उनमें मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्वनगर, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, जेपी नगर, रामपुर, आगरा, अलीगढ, मथुरा, फिरोजाबाद, महामायानगर, एटा, मैनपुरी, बरेली, बदायूं,पीलीभीत,शाहजहांपुर है।



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story