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रग्बी में भारतीय लड़कियों ने झंडे गाड़े, ओडिशा ने दिया पूरा साथ
भारत की लड़कियों की अंडर 18 रग्बी टीम ने पहली बार कोई इंटरनेशनल मुकाबला खेला है और उसमें भी रजत पदक जीत कर अपना दम दिखा दिया।
नई दिल्ली। रग्बी भले ही अमेरिका व यूरोप का खेल माना जाता हो, पर भारतीय बेटियों ने रग्बी के इंटरनेशल मुक़ाबले में रजत पदक जीत कर जिस तरह अपने देश का गौरव बढ़ाया है। वह हर खेल प्रेमी व भारतवासी के लिए गौरव का सबब है। उनके इस गौरव व सफलता के पीछे ओड़िशा सरकार का हाथ है, यह बहुत कम लोगों को पता होगा।
ओडिशा में रग्बी की पुरुष और महिला जूनियर और सीनियर टीमों को प्रशिक्षण तथा अन्य सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। रग्बी भारत के लिए एक अनजाना सा खेल है। चुनिन्दा बड़े शहरों में भले ही कहीं कहीं यह देखने को मिल जाये, लेकिन बेटियों ने अंडर 18 एशिया रग्बी सेवेंस टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जितकर दिखा दिया है कि इस खेल में भी वो दम रखती हैं।
रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन
भारतीय लड़कियों की अंडर 18 रग्बी टीम ने पहली बार कोई इंटरनेशनल मुकाबला खेला है और उसमें भी रजत पदक जीत कर अपना दम दिखा दिया। रग्बी सिर्फ कौशल ही नहीं बल्कि दम दिखाने का भी खेल है।
कमाल की बात यह है कि सिर्फ 6 हफ्ते पहले लड़कियों की अंडर 18 नेशनल टीम का सिलेक्शन शुरू हुआ था। भारत के रग्बी कोच लुद्विच वान डेवेंटर ने 52 लड़कियों का ट्रायल लेकर 14 का चयन किया। फिर पहले बार रग्बी टीम विदेश यात्रा पर गयी। यही नहीं, टीम की ज्यादातर सदस्य तो पहली बार हवाई जहाज में बैठी थीं।
टूर्नामेंट में भारत की अंडर 18 का मुकाबला था कजाख्स्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और यूएई से। कजाख्स्तान और किर्गिस्तान की खिलाड़ियों का डील डौल भी भारतीय खिलाड़ियों के लिए डराने वाला था। लगता था कि इन टीमों से जीत पाना नामुमकिन है
बहरहाल, भारतीय टीम ने जान लगा कर खेला और फाइनल तक का सफ़र तय कर लिया, जहां उनका मुकाबला यूएई से था। शुरुआती लम्हों में पिछड़ने के बावजूद भारतीय कुड़ियों ने पूरा जोर लगा कर स्कोर 17-21 तक पहुंचा दिया। जीत न मिलने का गम तो बहुत रहा। लेकिन सिल्वर मेडल जीतना ही बहुत बड़ी उपलब्धि है।
सेलेक्शन- जूनियर नेशनल टूर्नामेंटों के आधार पर
बहरहाल, बीते दो साल में यह पहला अंतर महाद्वीपीय मुकाबला था। रग्बी इंडिया के सीईओ नसीर हुसैन का कहना है कि अंडर 18 की लड़कियां जरूर एक दिन सीनियर साइड की सदस्य बनेंगी। आमतौर पर किसी भी खेल की अंडर 18 टीम का सेलेक्शन जूनियर नेशनल टूर्नामेंटों के आधार पर किया जाता है, जिसमें अलग अलग राज्यों टीमें भाग लेती हैं।
इसी प्रोसेस से फिर नेशनल टीम का चयन किया जाता है । लेकिन बीते दो साल से कोई टूर्नामेंट हो नहीं रहे हैं , सो प्लेयर्स का चयन भी मुश्किल हो गया है। नसीर हुसैन ने बताया कि सभी समस्याएं दक्षिण अफ्रीकी कोच को बताई गईं।
इसके बाद सभी राज्यों और सभी क्लबों से खिलाड़ियों के नाम और उनकी पूरी जानकारी माँगी गयी। इनका विश्लेषण करने के बाद 52 को चुना गया। अंत में उनमें से 16 का सेलेक्शन हुआ। इन खिलाड़ियों में अलग अलग पृष्ठभूमि की लड़कियां शामिल थीं। मिसाल के तौर पर केरल और बिहार से धावक आईं थीं। इन्हीं सबको जोड़ कर एक टीम बनाई गयी।
रग्बी के मामले में भी ओडिशा ने आगे बढ़ कर कमान संभाली है। पिछले साल इंडियन रग्बी फुटबाल यूनियन ने ओडिशा राज्य सरकार के साथ एक करार किया था, जिसके तहत खिलाड़ियों की ट्रेनिंग आदि ओडिशा में होनी थी।
नेशनल टीम के सदस्यों को पहली बार पैसा देने की व्यवस्था की गयी। ओडिशा ने अपने राज्य में मौजूद खेल सुविधाओं का भरपूर इस्तेमाल किया है । पुरुष और महिला रग्बी टीम को पूरा समर्थन दिया है।