TRENDING TAGS :
सड़क हादसों में रोजाना 328 मौतें, एक नहीं कई हैं वजहें, गडकरी ने कहा ट्रक चलाने के घंटे तय हों
देश में बढ़ते सड़क हादसो को रोकने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि ट्रक ड्राइवर्स के लिए गाड़ी चलाने के घंटे निर्धारित हों ।
देश में सड़क हादसों में कोई कमी नहीं आ रही है। पिछले साल कोरोना (Coronavirus) के कारण लॉकडाउन (Lockdown) लगा था । लेकिन सड़क हादसे उसी तरह जारी रहे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं देश में पिछले साल लापरवाही से हुए सड़क हादसों (Road Accident) के कारण 1.20 लाख लोगों की मौत (1.20 lakh death) हुई, यानी कि हर रोज औसतन 328 लोग मारे गए।
एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल के दौरान 3.92 लाख लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई। यह हर रोज औसतन 328 बैठती है। यह बहुत डराने वाली स्थिति है। राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों (up mein sadak hadsa) में सबसे ज्यादा मौत होती हैं। यह आंकड़ा 20 हजार से ज्यादा है , वहीं 12 हजार से ज्यादा मौतों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है।
सड़क हादसों की कई हैं वजहें
भारत में सड़क के इस्तेमाल में कानून का पालन बहुत कम ही लोग करते हैं। तेज गति, सीट बेल्ट (Seat belt) का इस्तेमाल नहीं करना, ड्राइविंग के दौरान मोबाइल पर बात करना, शराब पीकर ड्राइविंग, हेलमेट नहीं लगाना, ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना, हादसे के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा ओवरलोड वाहनों (Overload vehicles) के कारण भी गंभीर हादसे होते हैं। मोटर साइकिल पर दो से ज्यादा सवारी होना भी सड़क दुर्घटना होने का एक कारण है। पैदल यात्रियों के लिए सड़क पार करने की सही व्यवस्था नहीं होने से भी कई बार लोग हादसे का शिकार होते हैं। एक बड़ी समस्या ख़राब सड़कों की है। सड़कों पर गड्ढे भी बहुत से हादसों की वजह बनते हैं।
ट्रक ड्राइवरों के लिए सुरक्षा मानक जरूरी
देश में बढ़ते सड़क हादसो को रोकने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि ट्रक ड्राइवर्स के लिए गाड़ी चलाने के घंटे निर्धारित ( truck drivers ke gadi chalane ke ghante nirdharit) हों । इसके साथ ही सेंसर की मदद से उनकी नींद का भी पता लगाया जाए ताकि देश में बढ़ते सड़क हादसो को रोका जा सके। दरअसल, ट्रक ड्राइवर्स के लिए अभी कोई सुरक्षा मानक नहीं हैं। अमेरिका और ब्रिटेन की बात करें तो वहां यह तय है कि एक ट्रक ड्राईवर एक दिन में कितने घंटे और कितने किलोमीटर ट्रक चलाएगा। एक निश्चित अंतराल पर ड्राईवर के लिए आराम करना आवश्यक है। लम्बी दूरी के ट्रक ड्राइवर्स को एक ट्रिप के बाद कुछ दिन आराम करना जरूरी होता है। हर ट्रक ड्राईवर और उसके ट्रक का एक एक मिनट का डेटा सरकारी रेगुलेटर के पास पहुंचता रहता है सो किसी तरह भी नियम के उल्लंघन की कोई गुंजाईश नहीं रहती है।
सड़क पर लापरवाही
एनसीआरबी की सालाना क्राइम इंडिया रिपोर्ट 2020 में खुलासा किया गया है कि सड़क पर तेज गति से या लापरवाही से वाहन चलाने से चोट लगने के मामले 2020 में 1.30 लाख, 2019 में 1.60 लाख और 2018 में 1.66 लाख रहे, जबकि इन वर्षों में गंभीर चोट लगने के क्रमश: 85,920, 1.12 लाख और 1.08 लाख मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के मुताबिक 2020 में सड़क हादसों में 1.20 लाख मौतें दर्ज की गईं। यह आंकड़ा 2019 में 1.36 लाख और 2018 में 1.35 लाख था।
हिट एंड रन के मामले
देश में हिट एंड रन यानी दुर्घटना के बाद भाग जाने के मामले पिछले साल 41,196 दर्ज किए गए। 2019 में ऐसे 47,504 और 2018 में 47,028 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक साल में देश भर में हर दिन औसतन हिट एंड रन के 112 मामले दर्ज किए गए।
सड़क हादसों में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी
अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आईआरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर साल सड़क हादसों में 12 लाख लोगों की जान चली जाती है। रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का करीब तीन फीसदी हिस्सा भारत में है ।,लेकिन सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी है।
सड़कों के गड्ढों में छिपी है मौत
भारत में सड़क पर बने गड्ढे हर साल हजारों लोगों की मौत का कारण बनते हैं। खासतौर पर मानसून में ये गड्ढे साक्षात मौत बन कर लोगों का जीवन लीलना शुरू कर देते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें सड़कों को विकास का पर्याय मानती हैं। अरबों रुपए सड़क बनाने और मेंटेनेंस के नाम पर खर्च होते हैं। लेकिन यही सड़कें चंद महीनों में टूट जाती हैं तब किसी की जिम्मेदारी तय नहीं होती।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार सड़क की खराबी की वजह से कितने हादसे हुए इसका अलग से कोई आंकड़ा नहीं है। वैसे 2017 में सड़क परिवहन मंत्रालय ने बताया था कि गड्ढों की वजह से हर साल औसतन दस हजार सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। जिनमें करीब 2800 लोगों की मौत हो जाती है। 2017 में 3597 मौतें गड्ढों की वजह से हुईं।
सुप्रीम कोर्ट में है मामला
सुप्रीम कोर्ट में जुलाई 2018 में देश में सड़क सुरक्षा से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान गड्ढों का मसला उठ खड़ा हुआ। गड्ढों की बात जब चली तो अदालत ने इसे एक गंभीर समस्या बताया और कहा कि जितनी मौतें आतंकी हमलों में नहीं होतीं उससे ज्यादा तो सड़कों के गड्ढों की वजह से होती हैं। जस्टिस मदन बे. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने सड़क सुरक्षा पर बनी सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से कहा कि वह इस मामले को देखे। इस कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के.एस. राधाकृष्णन थे। इसके बाद दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अदालत को अपनी रिपोर्ट दी। जिसपर अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि बीते 5 साल में 14,926 लोगों की मौत सड़क के गड्ढों की वजह से हुई है। न्यायाधीशों ने कहा कि 2013 से 2017 तक हादसों के आंकड़े बताते हैं कि सड़कों के रखरखाव में अधिकारियों की रुचि नहीं है।
जिम्मेदारी तय की
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ( एनएचएआई), नगर निगम या राज्य सरकारों के सड़क संबंधी विभागों के साथ काम करने वाले ठेकेदार या निजी व्यापारी, गड्ढों के कारण हुई मौतों के लिए जिम्मेदार बताये जाने चाहिए, क्योंकि ये सब पक्ष सड़कों का रखरखाव नहीं कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि सम्बंधित अधिकारी और विभाग सड़कों का रखरखाव नहीं कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि गड्ढों की वजह से होने वाली मौतों के पीड़ित लोगों को मुआवजे का अधिकार दिया जाना चाहिए।
इसके बाद मोटर व्हीकल एक्ट में व्यापक संशोधन हुए । लेकिन उसमें भी सड़क के गड्ढों के बारे में कोई स्पष्ट बात नहीं कही गयी है। सिर्फ सड़क हादसों में मिलने वाले मुआवजे की रकम को बढ़ा दिया गया है। सडकों के रखरखाव के लिए ठेकेदार या सरकारी विभागों-अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने और उनके लिए सजा के प्रावधान करने जैसी कोई व्यवस्था अब तक नहीं बन पाई है।