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सरदार वल्लभ भाई पटेलः देश के पहले उप प्रधानमंत्री जो पीएम से ज्यादा पावरफुल रहे

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: 31 अक्टूबर, 1875 को मुम्बई के नाडियाड में जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आज उनकी जयंती के मौके पर जानिए उनके जीवन के अनछुए पहलुओं के बारे में।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shreya
Published on: 31 Oct 2021 3:57 AM GMT
सरदार वल्लभ भाई पटेलः देश के पहले उप प्रधानमंत्री जो पीएम से ज्यादा पावरफुल रहे
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सरदार वल्लभ भाई पटेल (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: 31 अक्टूबर, 1875 को मुम्बई के नाडियाड (Nadiad) में जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। तमाम भारतीय उनका नाम गर्व के साथ लेते हैं। वह किसी जाति के न होकर देशवासियों के सर्वमान्य नेता रहे। जब देश का प्रधानमंत्री (Bharat Ka Pradhanmantri) बनने की बात आई थी तो अधिकांश कांग्रेस कमेटियों ने एकमत से सरदार पटेल के नाम पर मोहर लगाई थी।

लेकिन सरदार पटेल ने भारत गणराज्य के या कहें भारत संघ (Bharat Sangh) के निर्माण में जो भूमिका अदा की उसके लिए सारा भारत खुद को उनका ऋणी मानता है। चाहे वह हैदराबाद के निजाम का मामला हो या सोमनाथ मंदिर के निर्माण का या फिर पाकिस्तान के साथ जंग के समय का। देश को हर जगह सरदार पटेल ही लड़ते दिखायी दिये। सरदार पटेल की 146वीं जयंती (Sardar Vallabhbhai Patel Birth Anniversary) पर आज जानते हैं सरदार पटेल के जीवन के अनछुए पहलुओं के बारे में।

देश के पहले उप प्रधानमंत्री (Desh Ke Pehle UP Pradhan Mantri)

सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री थे। हालांकि प्रधानमंत्री नेहरू थे । लेकिन सिक्का तो सरदार पटेल का ही चलता था। आजादी के बाद पटेल केवल तीन साल ही जिंदा रहे ।लेकिन इन तीन सालों में उन्होंने जो काम कर दिया उससे वह इतिहास मे अमर हो गए। वह उप प्रधानमंत्री होने के साथ साथ देश के पहले गृहमंत्री भी थे। एक गृहमंत्री कैसा होना चाहिए इसका अहसास सरदार पटेल के जाने के सालों बाद अमित शाह ने कराया है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

ब्रिटिश राज में गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेता (Gujarat Ke Neta)

सरदार पटेल ब्रिटिश राज में गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। वह महात्मा गांधी के शुरुआती लेफ्टिनेंट में से भी एक रहे। भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभायी। उन्होंने खेडा, बोरसाड और बारदोली में सविनय अवज्ञा आंदोलन में अहम भूमिका निभायी। अपने प्रभावशील नेतृत्व क्षमता के कारण ही वह कांग्रेस के 49वें अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

गृहमंत्री के रूप में अमिट छाप

देश के बंटवारे के समय जब जब हिन्दू पाकिस्तान से भागकर पंजाब और दिल्ली आए तो सरदार पटेल ने उनके पुनर्वास में अहम भूमिका निभायी। ब्रिटिश राज में रियासतों में बंटे भारत के एकीकरण में अहम भूमिका निभाते हुए सरदार पटेल ने एक एकीकृत भारत की नींव रखी। अपने प्रयास से उन्होंने 565 रियासतों का भारत में विलय कराया।

किस किस नाम से जाने जाते हैं पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel Ke Naam)

वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व के गुणों के कारण ही उन्हें सरदार कहा जाता है जिसका अर्थ नेता या प्रमुख से लिया जाता है।

भारत की एकता और अखंडता के प्रति उनके समर्पण के कारण ही उन्हें लौह पुरुष कहा गया।

इसके अलावा सरदार पटेल को भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के पुनर्गठन का श्रेय भी जाता है। इसके लिए उन्हें भारतीय लोक सेवकों का संरक्षक , संत और पिता भी कहा जाता है।

सरदार पटेल को भारत का एकीकरणकर्ता भी कहा जाता है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पटेल की बायोग्राफी (Sardar Vallabhbhai Patel Biography)

पटेल अपने माता लदबा और पिता झावेरभाई पटेल की छह संतानों में से एक थे। वह पाटीदार समुदाय की लेवा पटेल कम्युनिटी से आते थे। हालांकि लेवा पटेल और कादवा पटेल दोनों उन्हें अपना होने का दावा करती हैं।

दूसरी शादी न करने का संकल्प (Sardar Vallabhbhai Patel Marriage)

1909 में पटेल की पत्नी को कैंसर के चलते मुंबई में अस्पताल में भर्ती कराया गया। अचानक उनकी पत्नी की हालत बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। पटेल को सूचना दी गई । वह उस समय अदालत में बहस कर रहे थे। पटेल ने इस सूचना को पढ़ा और जेब में रख लिया। बहस पूरी कर केस जीतने के बाद उन्होंने यह सूचना अपने साथियों को दी। इसी के साथ पटेल ने दूसरी शादी न करने का फैसला किया। परिवार की मदद से अपने बच्चों का पालन पोषण किया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन (Sardar Vallabhbhai Patel Ka Nidhan)

अपनी बीमारी के चलते पटेल को यह अहसास हो गया था कि वह ज्यादा दिन नहीं चलेगे। 15 दिसंबर, 1950 को दूसरे ह्रदयाघात से उनका निधन हो गया। पटेल की अंतिम इच्छा के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार सादगी से किया गया।

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