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Sarkari Jameen: क्या आपको पता है! नई कंपनी बनाकर बेची जायेंगी केंद्र सरकार की जमीनें

केंद्र सरकार कंपनियों की करीब 3,500 एकड़ जमीन की पहचान कर चुकी है।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Ragini Sinha
Published on: 28 Sep 2021 9:58 AM GMT
Central government
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नई कंपनी बना कर बेची जायेंगी केंद्र सरकार की जमीनें ( social media)

Sarkari Jameen : केंद्र सरकार जल्द ही अपने उपक्रमों की फालतू पड़ी जमीनें बेचने की कवायद शुरू करने वाली है। इस काम के लिए एक अलग कारपोरेशन बनाया जाएगा, जो ऐसी जमीनों की पहचान करेगा और उनकी बिक्री का काम देखेगा। जानकारी के अनुसार, बेचने के लिए केंद्र सरकार (Central government) कंपनियों की करीब 3,500 एकड़ जमीन की पहचान कर चुकी है।

केंद्र सरकार की योजना सार्वजनिक उद्यम विभाग के तहत नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन (एनएलएमसी) के गठन का है। एनएलएमसी 100 फीसदी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी होगी। इसकी शुरुआती अधिकृत शेयर पूंजी 5,000 करोड़ रुपये और सब्सक्राइब्ड शेयर कैपिटल 150 करोड़ रुपये होगा। यह कंपनी एक बोर्ड द्वारा शासित होगी, जिसमें संबंधित मंत्रालयों के सचिव, रियल एस्टेट क्षेत्र के प्रतिनिधि और निवेश बैंकर शामिल होंगे।

क्या होगा फायदा

एनएमएलसी की अध्यक्षता एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी करेगा, जो इसके रोजाना के काम का प्रबंधन करेगा। सूत्रों के मुताबिक, लैंड मोनेटाइजेशन पर एनएमएलसी के गठन से बीईएमएल, एससीआई, एमटीएनएल समेत दर्जनों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की जमीन बेचने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। बताया जाता है कि इसके लिए एक कैबिनेट नोट तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद की जा रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-2022 के भाषण में एनएमएलसी के गठन के लिए विशेष प्रयोजन करने प्रस्ताव रखा था। अब तक सेन्ट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज (सीपीएसई) ने मोनेटाइजेशन के लिए करीब 3,500 एकड़ भूमि और अन्य नॉन कोर असेट्स को चिह्नित किया है। सीपीएसई की बंद होने वाली ऐसी संपत्तियां इस निगम को ट्रांसफर कर दी जाएंगी। इसके बाद यह एनएलएमसी पर निर्भर होगा कि वह संपत्ति को लीज पर दे, किराए पर दे या बेच दे। यह कॉरपोरेशन वाणिज्यिक या आवासीय उद्देश्यों के लिए संपत्ति का निवेश और विकास भी कर सकता है। इसके अलावा किराये पर देकर या बिक्री करके पैसे जुटा सकता है। इसके अलावा उन सरकारी संस्थाओं को बेचकर पैसे जुटाने की प्रक्रिया के लिए सलाहकार सेवाएं भी देगी, जिनके पास फालतू जमीनें और नॉर-कोर संपत्तियां हैं।

अभी कोई अलग विभाग नहीं

अभी केंद्र सरकार के साथ रेलवे, रक्षा जैसे विभागों की जमीन की देखरेख और उसके व्यावसायिक विकास के लिए अलग से कोई विभाग या संस्था नहीं है। कई विभागों को उनकी खाली जमीन की पूरी जानकारी तक नहीं है। उनकी जमीन का अतिक्रमण भी कर लिया गया है। टास्क फोर्स कमेटी के मुताबिक अब सरकार के सभी विभागों के साथ सरकारी कंपनियों की खाली और इस्तेमाल हो रही जमीन की देखरेख के लिए अलग से संस्था बनाने की जरूरत है। इसका फायदा यह होगा कि सरकार की सभी जमीन का लेखा-जोखा रहेगा और उनका व्यावसायिक इस्तेमाल हो सकेगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में उसके इस्तेमाल के साथ जरूरत पड़ने पर उससे वित्तीय इंतजाम भी किए जा सकेंगे, जिसे सरकारी परियोजना या सार्वजनिक कंपनियों के विकास में लगाया जा सकेगा। प्रस्ताव के मुताबिक इस काम के लिए सबसे पहले सरप्लस जमीन की पहचान करनी पड़ेगी। ये वैसी जमीनें हैं, जो खाली पड़ी है। भविष्य में भी जिसके इस्तेमाल के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। खासकर रेलवे के पास ऐसी जमीनों की भरमार है।

एक बार सरप्लस जमीन की पहचान हो जाने पर बाजार व अन्य सरकारी एजेंसियां इसकी मांग कर सकती हैं। इससे सरकार को वित्तीय फायदा होगा। प्रस्ताव के मुताबिक एनएलएमसी स्पेशल परपस व्हीकल (एसपीवी) के माध्यम से सरकार की जमीन को लीज पर मुहैया करा सकती है या फिर उसकी बिक्री के विकल्प पर भी विचार कर सकती है। इस एसपीवी में विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित पेशेवर शामिल किए जा सकते हैं। वित्त और रियल एस्टेट क्षेत्र के स्वतंत्र निदेशकों के साथ एक प्रोफेशनल सीईओ की नियुक्ति की जा सकती है। एसपीवी के माध्यम से ही जमीन की नीलामी और उसके वित्तीय पोषण का काम किया जाएगा।

Ragini Sinha

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