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Saryu National Project: कछुआ चाल का रिकार्ड, 44 साल बाद पूरी हो रही है सरयू परियोजना

Saryu National Project: परियोजना शुरू हुई उस समय इसकी लागत तय हुई थी 48 करोड़ रुपये । लेकिन अब तक इस प्रोजेक्ट पर 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Monika
Published on: 10 Dec 2021 11:40 AM IST
Saryu National Project
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सरयू परियोजना (फोटो : सोशल मीडिया )

Saryu National Project: किसी जमाने में देश में पंचवर्षीय योजनाएं (panchvarshiya yojana ) बनाई जाती थीं। मकसद होता था कि पांच साल में एक प्रोजेक्ट पूरा कर लिया जाए। लेकिन देश में एक प्रोजेक्ट रहा है जिसने ढिलाई और लापरवाही के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। ये प्रोजेक्ट है सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu National Project ) जो 44 से चलती चली आ रही है। इस प्रोजेक्ट के लगभग आधी सदी तक लटके रहने के पीछे सिर्फ एक ही कारण गिनाया जा सकता है - पिछली सरकारों द्वारा की गयी उपेक्षा। 1978 में शुरू हुई (Saryu National Project started 1978 ) इस परियोजना के अब जाकर पूरे होने की उम्मीद है और कहा गया है कि मार्च 2022 में ये समाप्त हो जायेगी। जब ये परियोजना शुरू हुई उस समय इसकी लागत तय हुई थी 48 करोड़ रुपये (48 crore rupees cost) । लेकिन अब तक इस प्रोजेक्ट पर 10 हजार करोड़ रुपए (10 thousand crore rupees spent) से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।

दावा है कि इस परियोजना से प्रदेश के 9 जिलों (बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर और महराजगंज) में बाढ़ से राहत (badh se rahat) मिलेगी और 14.04 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित हो सकेगी। इसमें घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदी पर गिरिजा, सरयू, राप्ती, और वाणगंगा के नाम से बैराज बनाकर इससे मुख्य और सहायक नहरें निकाली जाएंगी।

1978 में हुई थी शुरुआत (Saryu National Project started 1978 )

1978 में बहराइच (Bahraich ) और गोंडा (Gonda) जिले में सिंचाई क्षमता में विस्तार कर वहां के किसानों के हित के मद्देनजर घाघरा कैनाल (लेफ्ट बैंक) के नाम से यह परियोजना शुरू हुई थी। 1982 में परियोजना के विस्तार के साथ नाम भी बदला। 1982-83 में इसका विस्तार पूर्वांचल के ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी क्षेत्र में करते हुए नौ और जिलों को भी इसमें शामिल किया गया। तभी भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर सरयू परियोजना रख दिया। तय हुआ कि इसमें घाघरा के साथ राप्ती, रोहिन को भी नहर प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

इस प्रोजेक्ट के महत्त्व और उपयोगिता के मद्देनजर केंद्र ने 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया। इसके तहत पूर्वांचल के नौ जिलों में 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता का विस्तार किया जाना है। इसके तहत सरयू मुख्य नहर, राप्ती मुख्य नहर और गोला पंप कैनाल, डुमरियागंज पंप कैनाल अयोध्या पंप कैनाल और उतरौला पंप कैनाल के कुल 6590 किमी लंबाई में नहर प्रणाली का विस्तार किया जाना है। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, सिंचाई विभाग के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी नदी घाटी जोड़ो परियोजना से भी जुड़ती है। इसके जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाण गंगा और रोहिन नदी को भी जोड़ा जाना है।

कई बार बंद और शुरू हुई परियोजना

34 वर्ष तक यह परियोजना राज्य की थी और वर्ष 2012 में इसे राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना घोषित किया गया फिर भी गति लगभग वैसी की वैसी रही। जबसे ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ तबसे उत्तर प्रदेश में सक्रिय सभी राजनीतिक दलों ने दो से चार बार तक सरकारें बना ली। प्रोजेक्ट घिसटता रहा, पैसे बर्बाद होते रहे। परियोजना के मूल प्लान के मुताबिक कुल 31 सौ किलोमीटर नहर का निर्माण होना था। परियोजना के तहत कई पुरानी नहरों को भी इसका हिस्सा बना दिया गया।

ये परियोजना पांच बार बंद हुई और फिर शुरू हुई। सबसे पहले 1980 में ये बंद हुई और 1982 में फिर शुरू हुई। वर्ष 1987 में फिर बंद हो गयी। अगले वर्ष यानी 1988 में फिर चालू हो गयी। फिर 1996 में बंद हुई। एक बार फिर चालू होकर वर्ष 2007 में फिर बंद हो गयी। वर्ष 2009 में फिर इस पर ग्रहण लगा। वर्ष 2012 में इसे राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना का हिस्सा बनाकर पांच वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। जब काम नहीं पूरा हुआ तो सरकारों ने दो वर्ष के लिए फिर बढ़ा दिया। इस योजना को नरेन्द्र मोदी सरकार ने प्राथमिकता देते हुए 2018 से तेजी से काम शुरू कराया।

सरयू नहर परियोजना की नहर प्रणाली

बहराइच में घाघरा नदी पर निर्मित गिरजापुरी बैराज के बाएं से बैंक से 360 क्यूसेक क्षमता की सरयू योजक नहर (17.035 किमी) निकाली गई है। इससे सरयू नदी पर निर्मित सरयू बैराज के अपस्ट्रीम दाएं किनारे में पानी लाया जाएगा। सरयू बैराज के बाएं बैक से 360 क्यूसेक क्षमता की 63.15 किमी की सरयू नहर निकाली गई है। सरयू मुख्य नहर के किमी 21.4 दाएं बैक से इमामगंज शाखा प्रणाली निकाली गयी है। सरयू मुख्य नहर के किमी 34.70 के बाएं किनारे से राप्ती योजक नहर 21.4 किमी लम्बाई में निर्मित कराई गई है। यह राप्ती नदी पर निर्मित राप्ती बैराज के अपस्ट्रीम में राप्ती नदी को पानी उपलब्ध कराएगी। इसका उपयोग 125.682 किमी लम्बी राप्ती मुख्य नहर के लिए किया जाएगा। सरयू मुख्य नहर के किमी 63.150 से दो शाखा प्रणाली बस्ती व गोंडा निकाली गई है। बस्ती शाखा से 4.20 लाख हेक्टेयर एवं गोंडा शाखा से 3.96 लाख हेक्टेयर सिंचाई होगी। राप्ती के मुख्य नहर के टेल से कैम्पियरगंज शाखा राप्ती मुख्य नहर प्रणाली से 3.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान किया जाना भी प्रस्तावित है। इसी क्रम में श्रावस्ती में लक्ष्मनपुर कोठी के निकट निर्मित राप्ती बैराज के बाएं तट से राप्ती मुख्य नहर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसकी कुल लंबाई 125.682 किमी है। उक्त नहर के दोनों किनारों पर आठ 8-8 मीटर चौड़ा सेवा मार्ग बनेगा। यह श्रावस्ती बलरामपुर सिद्धार्थनगर को जाएगी। बाद में इसे बॉर्डर रोड के रूप में विकसित किया जा सकेगा।



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Monika

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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