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कोरोना केस घट रहे ये मानना अभी जल्दबाजी, टेस्टिंग पर भी संदेह

कोविड के घटते मामलों पर वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में कोरोना के पुष्ट मामलों की संख्या में कमी सिर्फ एक भ्रम है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 17 May 2021 10:39 AM GMT
कोरोना केस घट रहे ये मानना अभी जल्दबाजी, टेस्टिंग पर भी संदेह
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कोरोना की जांच कराता बुजुर्ग (फोटो-न्यूजट्रैक)

लखनऊ: सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से भारत में कोरोना के नए केस (Corona Virus New Cases) घटते जा रहे हैं। ऐसे में अटकल लगाई जा रही हैं कि राज्यों में लॉकडाउन (Lockdown) या वैक्सीनेशन (Vaccination) की वजह से संक्रमण घट रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह पॉजिटिविटी दर (Positivity Rate) काफी ऊंची बनी हुई है, उससे लगता है कि स्थिति अब भी खराब है। प्रतिदिन होने वाली मौतों की संख्या अब भी 4 हजार से ज्यादा बनी हुई है।

लॉकडाउन (Lockdown) और वैक्सीनेशन (Vaccination) का असर मात्र चंद दिनों में नहीं आता है। सख्त लॉकडाउन भी सब जगह नहीं है। कस्बों और गांव में लॉकडाउन की क्या स्थिति है, अंदाजा लगाया जा सकता है। दूसरी ओर, वैक्सीनेशन का असर भी कुछ हफ्तों में आता है। ऐसे में ये कहना जल्दबाजी होगी कि लॉकडाउन या वैक्सीनेशन से केस घट रहे हैं।

टेस्ट कराती महिला (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टेस्टिंग की संख्या देखना भी जरूरी

ऐसे में ये देखना चाहिए कि प्रॉपर टेस्टिंग (Covid Testing) कितनी हो रही है। प्रतिदिन संक्रमण के जो आंकड़े दिए जा रहे हैं उसके साथ ये भी देखा जाना चाहिए कि कितनी टेस्टिंग की गई। कितनी रैपिड एंटीजन टेस्ट (Rapid Antigen Test) हुए और कितने आरटी-पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) हुए। जब तुलनात्मक तरीके से देखेंगे तभी सही तस्वीर पता चलेगी।

घटते मामलों पर एक्सपर्ट्स को संदेह है। उनका कहना है कि कोरोना का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से हो रहा है लेकिन वहां टेस्टिंग की नितांत कमी है। ऐसे में आंकड़ों पर कैसे विश्वास किया जाए।

WHO की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पॉजिटिविटी दर अधिक होना चिंता का विषय

एक्सपर्ट्स का कहना है चंद दिनों में मामले घटने से ये नहीं मानना चाहिए कि संक्रमण चरम स्थिति यानी पीक (Peak) पर पहुंच चुका है। डब्लूएचओ (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) का साफ कहना है कि देश के बहुत से ऐसे हिस्से हैं जहां मामले अभी पीक पर नहीं पहुंचे हैं और वहां संक्रमण ऊपर ही जा रहा है। सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि देश में पॉजिटिविटी दर अब भी 20 फीसदी से ज्यादा है जो बेहद चिंताजनक बात है। उन्होंने कहा कि ये ट्रेंड दिखाता है कि अभी और बुरी स्थिति आनी बाकी है।

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में राज्यों में अब भी पर्याप्त टेस्टिंग नहीं हो रही है। पॉजिटिविटी दर ज्यादा होने का मतलब है कि पर्याप्त टेस्टिंग ही नहीं हो रही। ऐसे में कुल मामलों के आंकड़ों का कोई मतलब नहीं है। ये बताया जानना चाहिए कि कुल कितने टेस्ट किये गए और पॉजिटिविटी दर क्या है।

पुष्ट मामलों की संख्या में कमी महज एक भ्रम

अमेरिका की मेयो क्लीनिक में मेडिसिन के प्रोफेसर एस वी राजकुमार (SV Rajkumar) का कहना है कि भारत में कोरोना (Corona virus) के पुष्ट मामलों की संख्या में कमी सिर्फ एक भ्रम है। पहली बात तो ये कि सीमित संख्या में टेस्टिंग करने के कारण मामलों की कुल संख्या वास्तविकता से बेहद कम है। दूसरी बात ये है कि कन्फर्म केस तभी सामने आएंगे जब आप उन्हें कन्फर्म कर पाएंगे। और ऐसा सिर्फ शहरी इलाकों में हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो कोई गिनती ही नहीं है।

Shreya

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