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कोरोना में देवदूत बने ये कपल: जिंदगी की जंग जीतने से लेकर मोक्ष दिलाने में हर पल संग

पूरे देश में फैली कोरोना की दूसरी लहर में हजारों लोगोें को ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड और श्मशान में जगह के लिए किल्लत मची हुई है। ऐसे भयावह माहौल में एंबुलेंस कपल हिमांशु और ट्विंकल बीमारों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं।

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Newstrack Network NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 16 May 2021 5:34 AM GMT (Updated on: 16 May 2021 5:47 AM GMT)
ambulance couple Himanshu and Twinkle are sending sick people to the hospital. Doing help
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मदद करने वाले कपल(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: कोरोना काल में जब अपने भी पराए हो जा रहे हैं। रिश्तों के परिवार के मायने खत्म होते जा रहे हैं तभी कुछ ऐसे लोगों सामने आए, जिन्होने में मानवता को जगा दिया। कोरोना के इस दौर में मानवता की पहचान हिमांशु और ट्विंकल कालिया ने इंसानियत की मिसाल कायम कर दी। उन्होंने अपना दिन जिंदगी के लिए संघर्ष करते मरीजों की मदद करने में बिताया।

हिमांशु और ट्विंकल जिंदगी के लिए जंग लड़ मरीजों को मदद करने का जिम्मा उठाया हैं तो वहीं उनकी सम्मानजनक अंत्येष्टि भी करवा देते हैं जो जिंदगी की जंग हार जाते हैं। सबको इस संकट के समय एक पाठ सिखाते हुए ये लोग बढ़-चढ़कर मैदान में आए हैं।

कपल ने उठाई ये जिम्मेदारी

पूरे देश में फैली कोरोना की दूसरी लहर ने आफत मचाई हुई है। इस तबाही के बीच हजारों लोगोें को ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड और श्मशान में जगह के लिए किल्लत मची हुई है। ऐसे भयावह माहौल में एंबुलेंस कपल हिमांशु और ट्विंकल बीमारों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं। उनके लिए दवा लाकर दे रहे हैं। जो लोग जिंदगी से जंग हार जा रहे हैं उनके लिए अंत्येष्टि की व्यवस्था करवा रहे हैं तो कभी जरूरत पड़ने पर खुद ही शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।

ये कपल पीपीई किट पहने, फेस शील्ड और मास्क लगाए हुए एंबुलेंस में वहां जाता है जहां मरीजों या मृतकों के परिवार भी जाने से घबराते हैं। इंसानियत की मूर्ति इस कपल का पूरा दिन बीमारों को अस्पताल पहुंचवाने या फिर मृतकों को श्मशान पहुंचाने के लिए अपनी 12 एंबुलेंस के बेडे़ को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के हमेशा तैयार रखने में बीतता है।

ऐसे में हिमांशु ने बताया कि उनके पास इसका कोई रिकार्ड नहीं है लेकिन वह कोरोना की दूसरी लहर में रोजाना करीब 20-25 लोगों को अस्पताल पहुंचने में मदद करते हैं। वहीं अब तक वह कोरोना से मरने वाले 80 लोगों की मदद कर चुके हैं, तो वहीं करीब एक हजार से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार करवाने में मदद कर चुके हैं। ये सब लोगों की मदद के लिए निशुल्क करते हैं।

मदद करने से पीछे नहीं हटते

इस बारे में ट्विकल ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें मयूर विहार से एक कॉल मिली। वहां पर अस्पताल जाते हुए ऑटो में ही एक कोरोना मरीज की मौत हो गई थी। वह उत्तरी दिल्ली के प्रताप नगर स्थित अपने घर से अपने पति के साथ तुरंत वहां पहुंची। डॉक्टर से शव की पड़ताल करवाने के लिए उसके अंतिम संस्कार की व्यवस्था की।

उसने बताया कि वो कैंसर से पीड़ित रह चुकी हैं और उनकी 13 व सात साल की दो बेटियां जपजी और रिद्धी हैं लेकिन उनकी निजी जिम्मेदारियां लोगों की कोरोना काल में मदद करने की राह में आड़े नहीं आतीं।

साथ ही हिमांशु ने बताया कि अब उनके पास दिल्ली ही नहीं बल्कि गाजियाबाद और नोएडा से भी कॉल आने लगी हैं। इसके साथ कई अस्पताल भी कॉल करते हैं। वह बेहद तेजी से ड्राइव कर एंबुलेंस लेकर जरूरतमंद तक पहुंच जाते हैं।

हिंमांशु की फास्ट ड्राइविंग के कारण आपात स्थिति में पुलिस और दूसरे लोग बुलाते हैं तो ताकि जख्मी या बीमार को बचाया जा सके। कभी एंबुलेंस को शव वाहन के तौर पर भी इस्तेमामल करना पड़ता है। ऐसे लोग साक्षात देवदूत के रूप में लोगों की मदद के लिए आगे आए।

Vidushi Mishra

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