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Section 66A: 6 साल पहले रद्द हो चुकी धारा पर अब भी हो रहे मुकदमे दर्ज, SC ने राज्य और HC ने मांगा जवाब
Section 66A: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2 अगस्त को धारा 66ए को लेकर राज्यों, केंद्र शासित प्रदेश के सरकारों और सभी उच्च न्यायालयों को एक नोटिस जारी किया है।
Section 66A: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2 अगस्त को धारा 66ए (Section 66A) को लेकर राज्यों, केंद्र शासित प्रदेश के सरकारों और सभी उच्च न्यायालयों को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कोर्ट ने कहा कि 2015 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धारा 66ए को रद्द किया जा चुका है, लेकिन इस धारा के तहत अब भी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इस मसले को लेकर राज्य (State government), केंद्र शासित प्रदेश और सभी उच्च न्यायालयों (High Court) से जवाब मांगा है।
इस मामले को लेकर एक गैर सरकारी संगठन (NGO) ने कोर्ट में अपील की थी, जिस पर सोमवार (2 अगस्त) को न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, "यह पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को इसका पक्षकार बनाया जाए। वही समग्र के माध्यम से इस मामले को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है।"
जानकारी के मुताबिक, पीयूसीएल (People's Union for Civil Liberties) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले को लेकर कोर्ट में पीयूसीएल की ओर से एडवोकेट संजय पारिख ने कहा, "ऐसे मामले मामलों की सुनवाई अब भी दो लोग कर रहे हैं- एक तो पुलिस और दूसरी न्यायपालिका"।
अधिवक्ता के इस बात को ध्यान में रखते हुए पीठ ने कहा कि इस मामले को लेकर कोर्ट सभी उच्च न्यायालयों को एक नोटिस जारी करेगा। वही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद रखी है।
बताते चलें कि इस मामले की आखिरी सुनवाई 5 जुलाई को की थी, जिसमें कोर्ट ने "स्तब्धता" और "हैरानी" जाहिर करते हुए कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत लोगों के खिलाफ अभी भी मामले दर्ज किए जा रहे है, जबकि कोर्ट ने साल 2015 में ही इस धारा को रद्द कर दी थी।