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शिवसेना ने किया गांधी परिवार का बचाव, असंतुष्ट खेमे की भूमिका पर उठाए सवाल

Shiv Sena: शिवसेना भी गांधी परिवार के समर्थन में उतर आई है। पार्टी के मुखपत्र सामना में गांधी परिवार की तरफदारी करते हुए असंतुष्ट खेमे जी-23 पर करारा हमला किया गया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Deepak Kumar
Published on: 16 March 2022 11:41 AM GMT
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शिवसेना ने किया गांधी परिवार का बचाव। 

Shiv Sena: वफादारों के बाद अब शिवसेना (shiv sena) भी गांधी परिवार (gandhi family) के समर्थन में उतर आई है। पार्टी के मुखपत्र सामना में गांधी परिवार (gandhi family) की तरफदारी करते हुए असंतुष्ट खेमे जी-23 पर करारा हमला किया गया है। हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में असंतुष्ट खेमे की सक्रियता पर सवाल भी खड़े किए गए हैं। शिवसेना (shiv sena) ने जी-23 को सड़ा हुआ आम बताते हुए यहां तक कहा कि इस खेमे से जुड़े हुए नेता मन ही मन कांग्रेस की करारी हार की कामना कर रहे थे। अब कांग्रेस को युवाओं में नई गति और नया विचार पैदा करने वाले नेतृत्व की जरूरत है।

पांच राज्यों में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली भारी शिकस्त के बाद असंतुष्ट खेमे की ओर से गांधी परिवार (gandhi family) को घेरा जा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार (gandhi family) पर हमला बोलते हुए कहा है कि अब घर की नहीं बल्कि सबकी कांग्रेस होनी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि अब गांधी परिवार से इतर किसी दूसरे व्यक्ति को पार्टी का नेतृत्व सौंपा जाना चाहिए। गांधी परिवार के वफादारों के बाद अब शिवसेना (shiv sena) की ओर से भी सिब्बल को जवाब दिया गया है।

कांग्रेस की हार पर झूठा विलाप

महाराष्ट्र में इस समय महाविकास अघाड़ी सरकार सत्तारूढ़ है और उद्धव सरकार को कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन हासिल है। शिवसेना (shiv sena) ने सरकार में अपने सहयोगी दल कांग्रेस में चल रही खींचतान पर खुलकर अपने विचार रखे हैं। पार्टी के मुखपत्र सामना में गांधी परिवार (gandhi family) का बचाव करते हुए सवाल किया गया है कि आखिर कपिल सिब्बल के जी-23 खेमे में है क्या? जी-23 खेमे के ऐसे नेता गांधी परिवार (gandhi family) पर हमला करने की कोशिश में जुटे हुए हैं जो कांग्रेस की थाली और कटोरी में खाकर स्वस्थ हुए हैं। शिवसेना ने सवाल खड़ा किया है कि कांग्रेस की पराजय पर विलाप करने वाले कितने नेता हाल में हुए विधानसभा चुनाव में सक्रिय हुए थे। इन नेताओं ने पार्टी के चुनाव प्रचार में आखिर क्या भूमिका निभाई थी।

शिवसेना (shiv sena) का कहना है कि सच्चाई तो यह है कि गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और जी-23 से जुड़े हुए अन्य नेता पारिवारिक भागदौड़ में एन्जॉय करने में जुटे हुए थे और अब कांग्रेस की पराजय पर विलाप करते हुए दिख रहे हैं। ये सभी नेता मन ही मन कांग्रेस की हार की कामना कर रहे थे और अब सबके सामने झूठा विलाप कर रहे हैं।

संगठन की कमजोरी की ओर किया इशारा

शिवसेना (shiv sena) का यह भी कहना है कि कांग्रेस को नए तरीके से मैदान में उतरना होगा। शिवसेना (shiv sena) ने उत्तर प्रदेश में संगठन की कमजोरी और कार्यकर्ताओं की कमी की ओर भी इशारा किया है। इसके साथ ही पार्टी चुनाव लड़ने के कौशल और चुनाव प्रबंधन में भी काफी पिछड़ गई है जिसे सुधारे जाने की जरूरत है।

उत्तराखंड में हरीश रावत का जिक्र करते हुए शिवसेना (shiv sena) का कहना है कि पार्टी ने एक पुराने नेता को बागडोर सौंप कर भाजपा को आगे बढ़ने का मौका दे दिया। मालूम हो कि उत्तराखंड के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है और हरीश रावत भी चुनावी मैदान में पराजित हो गए हैं।

नया बगीचा तैयार करने पर जोर

पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह का जिक्र करते हुए शिवसेना (shiv sena) का कहना है कि कांग्रेस से अलग होने के बाद उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया मगर उन्हें मनाने के लिए जी-23 के से जुड़ा कोई भी नेता सामने नहीं आया। गोवा में पार्टी का संगठन पूरी तरह जर्जर हो चुका है और स्थानीय कांग्रेस नेता अति आत्मविश्वास में दिख रहे थे। सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस की जड़ें पूरी तरह सूखती जा रहे हैं और कांग्रेस रूपी पेड़ पत्ता विहीन होता जा रहा है। ऐसे में पेड़ की पूरी कटाई और छ॔टाई करके नया बगीचा तैयार करने की जरूरत है।

वफादारों ने भी किया था बचाव

शिवसेना (shiv sena) से पहले गांधी परिवार (gandhi family) के कई वफादारों ने भी असंतुष्ट खेमे पर हमला बोला था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गांधी परिवार की वकालत करते हुए असंतुष्ट खेमे की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इन नेताओं का कहना है कि गांधी परिवार (gandhi family) के नेतृत्व में ही कांग्रेस आगे चलकर मजबूत हो सकती है। अब महाराष्ट्र में कांग्रेस के एक प्रमुख साझेदार ने भी गांधी परिवार के की वकालत करते हुए असंतुष्ट खेमे की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।

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